For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Mohammed Arif's Blog – March 2018 Archive (6)

लघुकथा--अपील



" आप समस्त शहरवासियों से हाथ जोड़कर विनम्र अपील करता हूँ कि इस बार होने जा रहे 'स्वच्छता सर्वेक्षण ' में बढ़ चढ़कर भाग लें , अपना सकारात्मक फीडबेक देकर शहर को स्वच्छता की सूची में नंबर-वन बनाएँ ।यह शहर आपका है , इसे अपने घर की भाँति साफ-सुथरा और सुंदर बनाएँ। यह सबकी सामूहिक ज़िम्मेदारी है । शहर का नाम पूरे देश में रोशन करें । अपने आसपास गंदगी को फटकने न दें , घरों से निकलने वाला गीला और सूखा कचरा अलग-अलग डस्टबिन में डालें । मुझे उम्मीद है इस बार हमारा शहर स्वच्छता में पूरे देश में नंबर-वन…

Continue

Added by Mohammed Arif on March 25, 2018 at 9:13am — 10 Comments

लघुकथा--कठपुतली

एक राजनेता से पूछा -" आप तीखी बयानबाज़ी या शोला बयानी क्यों करते हैं ? इससे दूसरे वर्गों की भावनाएँ आहत है । देश का माहौल ख़राब होता है । अपनी ज़बान पर थोड़ा ताला क्यों नहीं लगाते ?"
राजनेता -" ज़बान पर ताला या नियंत्रण नहीं लगा सकता । मेरे हाथों में नहीं है ।"
मैंने पलटवार करते हुए पूछा -" फिर किसके हाथों में है ?"
" पार्टी आला कमान के ।" कुतिलता से मुस्कुराते हुए चल दिए ।

मौलिक एवं अप्रकाशित। ।

Added by Mohammed Arif on March 21, 2018 at 10:30am — 14 Comments

लघुकथा-संजीदा

एक समय था जब आनंदी लाल जी घंटों अख़बार पढ़ा करते थे । उम्र बढ़ने के साथ-साथ नेत्र ज्योति ने साथ छोड़ दिया । उन्हें अब अक्षर दिखाई नहीं देते । पोता चिण्टू सुबह की ताज़ा ख़बरें और अनमोल विचार रोज़ पढ़कर सुनाता है । वह दादा जी का सच्चा समाचार वाचक है । आज सुबह के सारे समाचार सुन लेने के बाद दादा जी बोले-" बेटा चिण्टू कोई अच्छा-सा अनमोल वचन सुनाओ ।" कुछ देर अख़बार के पन्ने पलटने के बाद चिण्टू बोला -" दादा जी ,व्हिक्टर ह्यूगो का बहुत बढ़िया विचार आया है वो सुनाता हूँ । सुनो ,"बुद्धिमान व्यक्ति बूढ़ा नहीं…

Continue

Added by Mohammed Arif on March 17, 2018 at 8:30am — 20 Comments

लघुकथा- हिंसा



अलमारी में रखे शब्दकोष के पन्ने अचानक फड़फड़ाने लगे । हो सकता है ये उनके अंदर की बेचैनी या घबराहट हो । " सहिष्णुता " शब्द ने "संस्कार " से अपनी व्यथा बताते हुए कहा -" मेरे अर्थ को लोग भूल से गए हैं । मैं उपेक्षित जीवन जी रहा हूँ । मेरे मर्म को कोई जानना नहीं चाहता । बुरा तो तब और लगता है जब मेरे आगे "अ" जोड़कर " असहिष्णुता " बनाकर देश में बवाल मचाया जा रहा है ।"

" सच कहती हो " सहिष्णुता" बहना । मेरी भी हालत अनाथों की तरह हो गई है । कोई मुझे अपनाने को तैयार ही नहीं है ।" "संस्कार…

Continue

Added by Mohammed Arif on March 11, 2018 at 9:00am — 27 Comments

लघुकथा--माँ

बड़े बेटे ने माँ के फटे पुराने कपड़े इकट्ठे किए । दूसरा बेटा चश्मा और छड़ी ढूँढकर लाया । तीसरे ने दवाई की शीशी और पुड़ियाँ अलमारी से निकाली । छोटी बहू कड़वा ताना देती हुई बोली-" जाने कब मरेगी । लगता है कोई अमर बूटी खाकर आई है ।" चारों मिलकर माँ को वृद्धाश्रम छोड़ आए । अब चारों ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला -चिल्लाकर सभी को बता रहे हैं कि माँ अपनी राजी-मर्जी से हमेशा के लिए अपनी बेटी के घर चली गईं ।

मौलिक एवं अप्रकाशित ।

Added by Mohammed Arif on March 6, 2018 at 8:00am — 16 Comments

कविता- वो आँखें


समय का काला
क्रूर धुआँ
आख़िरकार
तैर गया आँखों में
बन के मोतियाबिंद
बड़ा चुभता है आठों पहर
उन दिनों आँखें
बड़ी व्यस्त रहती थी
किसी के दिल को लुभाती थी
किसी के मन को भाती थी
सारा संसार समाया था इनमें
लेकिन धीरे-धीरे
इनका यौवन फीका पड़ गया
पहले जैसा कुछ भी नहीं रहा
अब ये आँखें
पथराई-सी
डबडबाई-सी
लाचार-सी रहती है
बस यही पहचान रह गई है इनकी ।

मौलिक एवं अप्रकाशित ।

Added by Mohammed Arif on March 1, 2018 at 5:00pm — 16 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
1 hour ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service