(फ ऊलन -फ ऊलन-फ ऊलन-फ ऊलन )
मुहब्बत में धोका उठाने चले हैं।
हसीनों से वह दिल लगाने चले हैं।
सज़ा जुर्म की वह न दे पाए लेकिन
मेरा नाम लिख कर मिटाने चले हैं।
लगा कर त अस्सुब का आंखों पे चश्मा
वो दरसे मुहब्बत सिखाने चले हैं ।
अदावत भी जिनको निभाना न आया
वो हैरत है उल्फ़त निभाने चले हैं ।
बहुत नाम है ऐबगीरों में जिनका
हमें आइना वो दिखाने चले हैं ।
अचानक इनायत न उनकी हुई है
वो…
Added by Tasdiq Ahmed Khan on April 29, 2018 at 12:30pm — 8 Comments
(फ़ाइलातुन -फ़ाइलातुन -फ़ाइलातुन -फाइलुन )
कीजियेगा हुस्न वालों से मुहब्बत देख कर|
हो गए बर्बाद कितने लोग सूरत देख कर |
यूँ नहीं उसकी बुझी आँखों में आई है चमक
वह रुखे दिलबर पे आया है मुसर्रत देख कर|
बागबां आख़िर सितम ढाने से बाज़ आ ही गया
यकबयक फूलों की गुलशन में बग़ावत देख कर |
देखता है कौन यारो आजकल किरदार को
लोग रिश्ता जोड़ते हैं सिर्फ़ दौलत देख कर |
बे वफ़ाई के सिवा इन से तो कुछ मिलता नहीं
आज़माना हुस्न की चौखट पे…
Added by Tasdiq Ahmed Khan on April 19, 2018 at 1:30pm — 8 Comments
(फ़ाइलातुन -फ़ाइलातुन -फ़ाइलातुन -फ़ाइलुन )
बन गया है आज का इंसान हैवां दोस्तो |
पाक औरत का रहेगा कैसे दामां दोस्तो |
पेश आया था कभी दिल्ली में जैसा वाक़्या |
हो गया कठुआ ,रसाना में भी वैसा हादसा |
जिसको सुन कर हो रहे हैं जानवर दुनिया के ख़्वार |
कर दिया इंसान ने इंसानियत को शर्म सार |
यह नहीं है ख़्वाब कोई है हक़ीक़त दोस्तो |
आसिफ़ा है वह लुटी है जिसकी इज़्ज़त दोस्तो |
उम्र उस मासूम की थी सिर्फ़ लोगों आठ साल |
मुफ़लिसी थी घर में लेकिन था नहीं कोई…
Added by Tasdiq Ahmed Khan on April 18, 2018 at 10:00pm — 16 Comments
ग़ज़ल(डर लग रहा है तेवरे दिलदार देख कर )
(मफ ऊल-फाइलात-मफाईल-फाइलुन/फाइलात)
इक़रार में छुपा हुआ इनकार देख कर।
डर लग रहा है तेवरे दिलदार देख कर ।
जो आरज़ूए दीद थी काफूर हो गई
रुख़ पर पड़ी निक़ाब की दीवार देख कर ।
दिल की ख़ता है और निशाना जिगर पे है
तीरे नज़र चलाइए सरकार देख कर ।
अगला निशाना तू ही है दहशत पसन्द का
हँस ले तू ख़ूब घर मेरा मिस्मार देख कर ।
शायद बना लिया गया फिर…
ContinueAdded by Tasdiq Ahmed Khan on April 11, 2018 at 4:39pm — 23 Comments
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