सौम्या की खास सहेली काफ़ी जतन के बाद भी लन्दन से शादी के एक दो दिन पहले ना पहुँच, ठीक उसी दिन पहुँच पायी।अपनी प्रिय सखी की पसंद को लेकर उसके मन में काफ़ी सवाल थे,जो मौका पाते ही निकल पड़े।
"तू बस एक वजह बता दे इस कोयले की खान से शादी करने की?"उसने एक नज़र स्टेज पर खड़े उसके दूल्हे डाल कर कहा।
"तमीज से बोल रमा!इतना तो याद रख ,तू मेरे पति के बारे में बात कर रही है।"
"अच्छा!!खूब ,जरा देख..,अपने पूरे कुटुंब को एक नज़र।इतनी हेठी शख्सियत तो तेरे ड्राइवर की भी नहीं।"
"शक्ल…
ContinueAdded by Rahila on July 1, 2016 at 3:00pm — 18 Comments
“अरे..अरे रे रे .... ये क्या कर रहे हो दिमाग तो खराब नहीं हो गया आप लोगों का... किराए दार होकर बिना बताये मेरे ही घर में ये तोड़ फोड़ क्यूँ?” घर के मुख्य द्वार जिसपर उसके स्वर्गीय पति का नाम लिखा था मजदूरों द्वारा हथौड़े से तोड़ते हुए देखकर आपा खो बैठी सावित्री|
“अरे कोई कुछ बोलता क्यूँ नहीं बंद करो ये सब वरना अभी पुलिस को बुलाती हूँ”
“हाँ बुला लीजिये आंटी जी ताकि आज आपको भी पता लगे किरायेदार कौन है वो तो मेरे सास ससुर ने अब तक मेरा व् मेरे पति का मुँह बंद कर रखा था आज कल…
ContinueAdded by rajesh kumari on July 1, 2016 at 10:00am — 10 Comments
Added by Manan Kumar singh on July 1, 2016 at 6:30am — 8 Comments
२१२२ २१२२ २१२२
फ़र्क करना है ज़रूरी इक नज़र में
बदतमीज़ों में तथा सुलझे मुखर में
शांति की वो बात करते घूमते हैं
किन्तु कुछ कहते नहीं अपने नगर में
शाम होते ही सदा वो सोचता है-
क्यों बदल जाता है सूरज दोपहर में
भूल जा संवेदना के बोल प्यारे
दौर अपना है तरक्की की लहर में
हो गया बाज़ार का ज्वर अब मियादी
और देहाती दवा है गाँव-घर में
आदमी तो हाशिये पर हाँफता है
वेलफेयर-योजनाएँ हैं…
Added by Saurabh Pandey on July 1, 2016 at 12:30am — 30 Comments
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