भूख थी जेरे बह्स और प्यास भी था मुद्द'आ
फैसला होना नहीं था, मुल्तबी वह फिर हुआ
रहमतों की बारिशें होंगी, मुनादी हो गयी
और बातें छोडिये, पर रोटियों का क्या हुआ
लाख बोलो कान पर,जूँ तक नहीं अब रेंगता
क्या असर होगा इन्हें, दो गालियाँ या बददुआ
हाथ इनके हैं बहुत लम्बे, मगर डरना नहीं
चाहे संसद में गढ़ें वो नामुआफ़िक मजमुआ
वारदातें भी रहम की मांगती हैं हर नज़र
कुछ दरीचा हो यहाँ पर,…
ContinueAdded by Dr Lalit Kumar Singh on July 17, 2013 at 7:09am — 12 Comments
121 22 121 22
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जहाँ जरूरी हुआ अड़े हैं,
इसीलिए हम यहाँ खड़े हैं
जिन्हें जरूरत जहान भर की
वहीँ मशाइल बड़े-बड़े हैं
समय उन्हीं के लिए बना है
जिन्हें कि हर पल लगे बड़े हैं
मिली जरा सी उन्हें जो शुहरत,
लगे जताने बहुत बड़े है
जिन्हें नाकारा है तेरी दुनिया
हम उनके हक़ में सदा लड़े हैं
किसी की कमियों से क्या है लेना
अगर है खूबी, वहीँ अड़े…
ContinueAdded by Dr Lalit Kumar Singh on July 15, 2013 at 6:30pm — 7 Comments
221 2121 1221 212
बेख़ौफ़ सारी उम्र निकल जाये इस तरह
गिरने की बात हो न, संभल जाए इस तरह
तूफ़ान भी चले तो चरागा जला करे
दोनों ही अपनी राह बदल जाए इस तरह
हर सिम्त जिंदगी रहे, पुरजोश बारहां
जो मौत का भी होश,बदल जाए इस तरह
फैले कहीं जो बाहें तो बच्चों सा दौड़कर
मिलने को हर इक शख्स मचल जाए इस तरह
आंसू किसी की आँखों का, हर आँख से बहे
इस शहर की फ़ज़ा भी बदल जाये इस तरह…
ContinueAdded by Dr Lalit Kumar Singh on July 7, 2013 at 10:40pm — 12 Comments
बता दो क्या कर लोगे
सूरज के ही आगे पीछे रहती है बस धूप,
बता दो क्या कर लोगे
उनका पेट भरेगा, तेरी भांड में जाए भूख ,
बता दो क्या कर लोगे
तेरे ही काँधे पर चढ़कर छोड़ेंगे बन्दूक,
बता दो क्या कर लोगे
बेटा उनका आगे होगा, तुम्ही जाओगे छूट,
बता दो क्या कर लोगे
काला होगा धन उनका जब तेरा पैसा लूट,
बता दो क्या कर लोगे
कुर्सी तेरी वो बैठेंगे, तुम बस देना घूस,
बता दो क्या कर लोगे
मौलिक और…
ContinueAdded by Dr Lalit Kumar Singh on July 5, 2013 at 10:00pm — 16 Comments
मैंने ख्वाबों में देखा है, कल आयेंगे घर सजना
आज सुबह से थिरक रहे हैं,चंचल चित,व्याकुल नयना
घनघोर घटा घर आंगन छाना,तुझमें ही छुप जाऊंगी
व्यथित ढूंढ जब होंगे प्रिय, तुरत सामने आ जाऊंगी
लग जाऊंगी जब सीने से, झूम बरसना तुम अंगना
मैंने ख्वाबों में देखा है, कल आयेंगे घर सजना
पी-कहाँ, पपीहे कहते थे तुम, कल तडके घर आ जाना
मेरे साथ ही तुझको भी है, गीत ख़ुशी के फिर गाना
द्वार मिलन पर पलक बिछाए ठुमक रहे मेरे…
ContinueAdded by Dr Lalit Kumar Singh on July 4, 2013 at 10:00pm — 20 Comments
एक क्षण ,
Added by Dr Lalit Kumar Singh on July 2, 2013 at 5:30am — 18 Comments
कश्ती को बस इक बार जताना है मुझे भी
जब तैर लिया, पार हो जाना है मुझे भी
जो अपने सिवा खास किसी को न समझते
कितना हूँ मैं दुश्वार बताना है मुझे भी
तूफाँ से यही बात कही, मैंने यहाँ पर
हर हाल चरागा ही जलाना है मुझे भी
अब छूट घटाओं को कभी दे नहीं सकता
पानी तो हर एक हाल पिलाना है मुझे भी
मत सोच सफ़र, पाँव मेरे बांध के रखना
जब वक्त कहे, लौट के आना है मुझे भी
जो आग लगाना ही बड़ा काम…
ContinueAdded by Dr Lalit Kumar Singh on July 1, 2013 at 7:00am — 17 Comments
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