अन्तर कितना हो गया, कौमें नहीं करीब
पहला छोर अमीर तो, अन्तिम छोर गरीब |६|
शुद्ध भाव से सीखते, कपटीपन का पाठ
बिना भ्रष्ट आचार के.नहीं राजसी ठाठ |७|
जनता हित के नाम से, नेता करते काम
पेटी भरते स्वयं की, ले भारत का नाम |८|
काला धन सोने नहीं, देता सुख की नींद
कर भरकर ईमान से, हँसो मनाओ ईद |९|
रख कर 'काली' सम्पदा, किया भ्रष्ट ईमान
सब जनता मानते उन्हें,,कलियुग का भगवान्…
ContinueAdded by Kalipad Prasad Mandal on July 27, 2016 at 6:00am — 5 Comments
दोहे !
डायन महँगाई करे, पिया को परेशान
काट छाँट हर चीज़ में, कम हुआ खान -पान
खमा बहादुर ही करे, कायर का क्या काम
क्रोध घृणा की भावना, खुद को करे तमाम |
रस्सी खोलो मोह की, फिर देखो संसार
भौतिक धन दौलत सभी, दुनियाँ निरा असार |
चिंता छोड़ जहान की, चिन्तन कर भगवान
चिन्ता मन का रोग है, चिन्ता चिता समान
ज्योत जलाकर ज्ञान की, रोशन कर तू राह
राह नहीं चलना सरल, आँधार है अथाह…
ContinueAdded by Kalipad Prasad Mandal on July 25, 2016 at 5:00pm — 6 Comments
ईमान पर न टंगती, आज देश की नीति
बे-ईमानी हो गई, हर पार्टी की रीति |1|
भूल हुई है आम से, जनता अब पछताय
बाहर पहुंच दाल है, भात नमक से खाय |२|
टूट गये सब वायदे, समय हुआ प्रतिकूल
अब चुनाव ही हारकर, वो समझेगा भूल |३|
शुभदिन अब कब आयगा, हुए भले दिन दूर
महँगाई को झेलने, जनता है मजबूर |४|
देखा समतावाद को, है स्वांग अर्थ हीन
धनियों की यह मंडली, दूर है दीन हीन |५|
मौलिक…
ContinueAdded by Kalipad Prasad Mandal on July 21, 2016 at 9:30am — 5 Comments
२१२२ २१२२ २१२२ २२
जिंदगी क्या है ज़रा नज़रे उठा कर देखो
अश्क बारी बंद कर चश्में सुखा कर देखो |
जिंदगी भर लालसा के पीछे भागे तुम क्यूँ
शांति से तुम सोचकर कारण पता कर देखो |
मुफलिसी को तुम भी हंसी में चिढ़ाया होगा
मुफलिसों को कुछ कभी तो तुम खिला कर देखो |
चश्मा पहने हो जो उसको साफ़ करना होगा
शान शौकत धन के ऐनक को हटा कर देखो |
मानुषिकता में नहीं कोई बड़ा या…
ContinueAdded by Kalipad Prasad Mandal on July 17, 2016 at 7:30am — No Comments
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