For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Kalipad Prasad Mandal's Blog – July 2016 Archive (4)

दोहे !

अन्तर कितना हो गया, कौमें नहीं करीब

पहला छोर अमीर तो, अन्तिम छोर गरीब |६|

  

शुद्ध भाव से सीखते, कपटीपन का पाठ

बिना भ्रष्ट आचार के.नहीं राजसी ठाठ   |७|

जनता हित के नाम से, नेता करते काम

पेटी भरते स्वयं की, ले भारत का नाम |८|

  

काला धन सोने  नहीं, देता सुख  की नींद 

कर भरकर ईमान से, हँसो मनाओ ईद |९|

   

रख कर 'काली' सम्पदा, किया भ्रष्ट ईमान

सब जनता मानते  उन्हें,,कलियुग का भगवान्…

Continue

Added by Kalipad Prasad Mandal on July 27, 2016 at 6:00am — 5 Comments

दोहे

दोहे !

डायन महँगाई  करे, पिया को परेशान

काट छाँट हर चीज़ में, कम हुआ खान -पान

खमा बहादुर ही करे, कायर का क्या काम

क्रोध घृणा की भावना, खुद को करे तमाम |

   

रस्सी खोलो मोह की, फिर देखो  संसार   

भौतिक धन दौलत सभी, दुनियाँ निरा असार |

चिंता छोड़ जहान की, चिन्तन कर भगवान

चिन्ता मन का रोग है, चिन्ता चिता समान

ज्योत जलाकर  ज्ञान की, रोशन कर तू राह 

राह नहीं चलना सरल, आँधार है अथाह…

Continue

Added by Kalipad Prasad Mandal on July 25, 2016 at 5:00pm — 6 Comments

दोहे!

ईमान पर न टंगती, आज देश की नीति

बे-ईमानी हो गई, हर पार्टी की रीति  |1|

भूल हुई है आम से, जनता अब पछताय    

बाहर पहुंच  दाल है, भात नमक से खाय |२|   

टूट गये  सब वायदे, समय हुआ प्रतिकूल

अब चुनाव ही हारकर, वो समझेगा भूल |३|

शुभदिन अब कब आयगा, हुए भले दिन दूर

महँगाई को झेलने, जनता है मजबूर |४|

देखा समतावाद को,  है स्वांग अर्थ हीन

धनियों की यह मंडली,  दूर है  दीन हीन |५|

मौलिक…

Continue

Added by Kalipad Prasad Mandal on July 21, 2016 at 9:30am — 5 Comments

ग़ज़ल

२१२२        २१२२     २१२२       २२

जिंदगी क्या है ज़रा नज़रे उठा कर  देखो

अश्क बारी  बंद कर चश्में सुखा कर  देखो |

जिंदगी भर  लालसा के पीछे भागे तुम क्यूँ    

शांति से तुम सोचकर कारण पता कर देखो |

मुफलिसी को तुम भी हंसी  में चिढ़ाया होगा

मुफलिसों को कुछ कभी तो तुम खिला कर देखो |

चश्मा पहने हो जो उसको  साफ़ करना  होगा

शान शौकत  धन के ऐनक को हटा कर  देखो |

मानुषिकता में नहीं कोई बड़ा या…

Continue

Added by Kalipad Prasad Mandal on July 17, 2016 at 7:30am — No Comments

Monthly Archives

2018

2017

2016

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service