For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Rahila's Blog – August 2016 Archive (4)

रामभरोसे (लघुकथा)राहिला

"अरे अब चुप भी हो जा।लड़के के नम्बर तेरे नाराज़ होने से बढ़ नहीं जायेंगे।जैसे तू डाक्टर बन गया ,वो भी बन जायेगा।सीटें तो मिलनी ही हैं वो कहाँ जाएँगी।"

"आप उसे बढ़ावा ना दें पिताजी!"

"अरे भई!मैं उसे कोई बढ़ावा नहीं दे रहा।बस,तू अब ये किच-किच बंद कर।मेरी तबियत वैसे भी सुबह से कुछ ठीक नहीं हैं।कह कर वो धम्मसे सौफे पर गिर गए और पसीने - पसीने हो गए।

"क्या हुआ आपको? "घबराकर राजेश ने उन्हें सम्हाला।लेकिन जल्दी ही एक हृदय रोग विशेषज्ञ होने के नाते उसे समझते देर ना लगी ,मामला हृदयघात का… Continue

Added by Rahila on August 23, 2016 at 1:30pm — 4 Comments

टीस(लघुकथा)राहिला

"अब आप रंज ना करें महात्मा जी!ऐसे भविष्य का भान आपको ही क्या ,किसी को ना था ।हमने तो सुनहरे भारत का सपना संजोया था।अब यूँ रंजीदा होने से क्या हासिल।"

"रंज, बहुत छोटा शब्द है पटेल साहब!हम सब ने अपने वतन की एकता को लाखों के खून से सींचा था ।और आज उस वृक्ष के अस्तित्व के नाम पर सिर्फ यहाँ समृति चिन्ह नजर आ रहा है।"

"आपको क्या लगता है , क्या हमने अपना प्यारा वतन गलत हाथों में सौंप दिया?"भगत जी व्याकुल हो बोले।

"नहीं भगत जी ऐसा नहीं हो सकता ।आप ऐसा ना कहें ।ये न भूलें आप जिनकी बात कर… Continue

Added by Rahila on August 20, 2016 at 12:02pm — 5 Comments

हाय(लघुकथा)राहिला

"देखो भूरी बिलैया भूरे कान,देखो भूरी बिलैया भूरे कान"रसोई सूनी होते ही नयी बहू द्वारा नए सिरे से सजाये नॉनस्टिक बर्तन ,सास के कहने पर रख छोड़ी प्रसाद बनाने की छोटी सी एल्युमीनियम की कड़ाही को फिर से चिड़ाने लगे।उसका जी किया वो जोर ,जोर से रो ले।

"हे भगवान इससे तो अच्छा होता,मुझे भी अपने सगे सम्बन्धियों के साथ रसोई निकाला मिल जाता।"कहते हुए दो आंसू आँखों से लुढक पड़े ।लेकिन किसी सयाने ने खूब कहा कि इतिहास खुद को दोहराता है। उसे वो वक्त याद आने लगा जब उनके आने से इसी रसोई के पुराने पीतल के… Continue

Added by Rahila on August 12, 2016 at 3:10pm — 3 Comments

धंधे का उसूल(लघुकथा)राहिला

एक भिखारी के झोपड़े में आग क्या लग गयी,सारी मीडिया मछों की तरह भिनभिन करती मौका-ए-वारदात पर पहुँच गयी ।ये एक सामान्य आगजनी की घटना हो सकती थी ,लेकिन उस झोपड़े से जो जले हुए नोटों के बोरे के बोरे बरामद हुए ,ये खास खबर थी ।अब इस घटना को किस तरह सारे दिन की खबर बनाना है इसकी कबायत में मीडिया बाल की खाल निकल रही थी।

"बाबा!भीख मांग ,मांग कर करोड़ों रुपये जमा किये।और आज उनमें आग लग गयी।इससे तो अच्छा होता आप इन रुपयों का भरपूर उपयोग कर लेते।अच्छा खाते ,अच्छा पहनते।"

"आपके कहने का मतलब है हम… Continue

Added by Rahila on August 4, 2016 at 6:30am — 17 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
Sep 30
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
Sep 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service