For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बसंत कुमार शर्मा's Blog – August 2020 Archive (4)

माँ की मिली जो गोद तो जन्नत में आ गए.- गजल

बहर- 221, 2121, 1221, 212

घर से निकल के आज अदालत में आ गए,

नाज़ुक हमारे रिश्ते मुसीबत में आ गए. 

हमने जरा सा आइना उनको दिखा दिया,

अहसान भूल कर वो अदावत में आ गए.

कोने में पेड़ आम का चुपचाप है…

Continue

Added by बसंत कुमार शर्मा on August 18, 2020 at 9:00pm — 10 Comments

तुम्हीं आये हरदम टहलते हुए.- ग़ज़ल

मापनी 

१२२ १२२ १२२ १२ 

 

कई ख़्वाब देखे मचलते हुए.

तुम्हीं आये हरदम टहलते हुए.

 

तबस्सुम के पीछे छिपे कितने ग़म,

कभी मोम देखो पिघलते हुए.

 

जहाँ भी हमें सत्य…

Continue

Added by बसंत कुमार शर्मा on August 12, 2020 at 7:17pm — 8 Comments

मेरे ही प्यार में पगी आई. - ग़ज़ल

फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन

2122 1212 22 

मेरे ही प्यार में पगी आई. 

पास जब मेरी ज़िन्दगी आई. 

 

उनके हिस्से में कुछ नहीं आया,

जिनको करना न बंदगी आई. 

 

न किसी से लगा…

Continue

Added by बसंत कुमार शर्मा on August 10, 2020 at 11:03am — 10 Comments

ग़ज़ल को सँवारा है इन दिनों.- ग़ज़ल

मापनी 221 2121 1221 212 

 

हर आदमी ही वक़्त  का मारा है इन दिनों.  

प्रभु के सिवा न कोई सहारा है इन दिनों.  

 

फिरते सभी नक़ाब में चेहरा छुपा-छुपा, 

चारों तरफ अजीब नज़ारा है इन दिनों. 

 

मिलना गले न हाथ मिलाना किसी…

Continue

Added by बसंत कुमार शर्मा on August 5, 2020 at 5:30pm — 10 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service