इंसानी फ़ितरत – ( लघुकथा ) –
"हे पवन देव ,कृपया मेरी सहायता कीजिये"!आम के वॄक्ष ने कराहते हुए कहा
“क्या हुआ बन्धु, कोई कष्ट है क्या"!
"क्या आप नहीं देख रहे, यह उदंड मानव झुंड, पत्थर मार मार कर मुझे घायल कर रहा हैं"!
"तो इसमें मैं तुम्हारी क्या मदद कर सकता हूं"!
"आप अपने वेग से मुझे झकझोर कर मेरे फ़लों को नीचे गिरा दीजिये ताकि यह संतुष्ट होकर, पत्थर प्रहार बंद कर दें"!
"तुम बहुत भोले हो मित्र, ऐसा कुछ भी नहीं होगा,ये इंसान हैं"!
"आपके इस…
ContinueAdded by TEJ VEER SINGH on September 22, 2015 at 8:56pm — 13 Comments
हिन्दी का अखबार – ( लघुकथा ) -
"रणजीत , तुम्हारे घर के फ़ाटक में यह हिन्दी का अखबार लगा हुआ था, कौन पढता है तुम्हारे घर में "!
"पहले बाबूजी पढा करते थे पर अब कोई नहीं पढता"!
"अंकल को गुजरे हुए तो सात साल हो गये , फ़िर क्यों मंगाते हो"!
" बाबूजी के स्वर्गवास के बाद, मम्मीजी की इच्छा थी कि यह अखबार उनके जीते जी आता रहे!मम्मीजी रोज़ सुबह हिन्दी का अखबार, बाबूजी का चश्मा, बाबूजी की चाय उनके कमरे में रख आती थी!उन्हें इससे बडा सकून मिलता था"!
"पर अब तो…
ContinueAdded by TEJ VEER SINGH on September 13, 2015 at 7:30pm — 17 Comments
महाराज युधिष्ठिर अपने कक्ष में सामंतों के साथ व्यस्त थे!तभी बाह्य द्वार पर युद्ध विजय के विजय घोष और शंख, नगाडे,ढोल आदि वाद्यों की आवाज़ हुई!युधिष्ठिर बाहर आये तो देखा कि लघु भ्राता भीम वाद्य-यंत्र वादकों को निर्देश दे रहे थे!
"भ्राता भीम, अभी कोई युद्ध नहीं हुआ और ना कोई युद्ध विजय तो यह वाद्य यंत्र क्यों बजाये जा रहे हैं"!
"महाराज, क्षमा करें, आज आपने युद्ध से भी बडी विजय प्राप्त की है"!
"हम आपका आशय समझने में असमर्थ है, भ्राता भीम"!
"महाराज, अभी आपके पास…
ContinueAdded by TEJ VEER SINGH on September 1, 2015 at 10:00pm — 16 Comments
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