एक नवगीत
दूर बैठ कर पूछें दद्दा,
और सुना, क्या हाल-चाल है.
कैसे कह दूं, ठीक-ठाक सब,
मस्त हमारी चाल-ढाल है
तोड़ रहे हैं सभी आजकल,
अपना नाता गाँधी से.
सपनों की कंदीलें उनकी,
बचा रहा हूँ आँधी से.…
ContinueAdded by बसंत कुमार शर्मा on September 22, 2017 at 5:02pm — No Comments
१२२२ १२२२ १२२२ १२२२
मापनी 1222 1222 1222 1222
इधर जाता तो अच्छा था, उधर जाता तो अच्छा था.
रहा भ्रम में, कहीं पर यदि, ठहर जाता तो अच्छा था.
उभर आता तो अच्छा था, हृदय का घाव चेहरे पर,
हमारा दर्द भी हद से, गुजर जाता तो अच्छा था.
…
ContinueAdded by बसंत कुमार शर्मा on September 17, 2017 at 5:30pm — 17 Comments
मापनी २२ २२ २२ २
इतनी ज्यादा बात न कर
वादों की बरसात न कर
टूट न जाए नाजुक दिल,
उससे भीतरघात न कर
ख्यात न हो, कुछ बात नहीं,…
Added by बसंत कुमार शर्मा on September 15, 2017 at 8:30pm — 18 Comments
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