आपकी ओर से जब पहल हो गई
जिंदगी मेरी' कितनी सरल हो गई
उस तरफ आँख से एक मोती गिरा
इस तरफ आँख मेरी सजल हो गई
आपके रूठने का ये’ हासिल रहा
गुफ्तगू कम से’ कम, पल दो’ पल हो गई
…
ContinueAdded by बसंत कुमार शर्मा on September 17, 2018 at 7:30am — 14 Comments
गौरैया है कितनी प्यासी
झुलस रहा तन, व्याकुल है मन,
छायी है चहुँ ओर उदासी.
रख दो एक सकोरा पानी,
ताक रही गौरैया प्यासी.
एक घौंसला था छोटा सा,
उड़ गया प्रगति की आँधी में. …
ContinueAdded by बसंत कुमार शर्मा on September 15, 2018 at 12:30pm — 14 Comments
आप आये अब हमें दिल से लगाने के लिए
जब न आँखों में बचे आँसू बहाने के लिए
छाँव जब से कम हुई पीपल अकेला हो गया
अब न जाता पास कोई सिर छुपाने के लिए
तितलियाँ उड़ती रहीं करते रहे गुंजन भ्रमर
पुष्प में मकरंद था जब तक…
ContinueAdded by बसंत कुमार शर्मा on September 13, 2018 at 4:20pm — 12 Comments
पतझड़ों के बीच भी यदि ऋतु सुहानी है तो है
घर हमारे महमहाती रात रानी है तो है
हो रहीं मशहूर परियों की कथाएँ आजकल
और उनमें एक अपनी भी कहानी है तो है
बेवफा वो हो गया पर हम न भूले हैं उसे
यदि हमारे पास उसकी कुछ निशानी…
ContinueAdded by बसंत कुमार शर्मा on September 10, 2018 at 9:43am — 4 Comments
वज़्न 221 1221 1221 122
दिल लूट के’ कह दे कि खतावार नहीं था
वो इश्क में इतना भी समझदार नहीं था
आँखों से’ उड़ी नींद बताती है’ सभी कुछ
कैसे वो’ कहेगा कि उसे प्यार नहीं था
क्यों फेंक दिया उसने कबाड़े में मुझे…
ContinueAdded by बसंत कुमार शर्मा on September 2, 2018 at 9:06am — 13 Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |