Added by Naveen Mani Tripathi on October 28, 2016 at 1:00am — 2 Comments
Added by Naveen Mani Tripathi on October 24, 2016 at 1:00am — 6 Comments
2212 2212 2212
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दीवानगी में हम वफ़ा लिखते गए ।
तुम बेखुदी में बस जफ़ा पढ़ते गए ।।
पूछा किया वो आईने से रात भर ।
आवारगी में हुस्न क्यूँ ढलते गए ।।
आयी तबस्सुम जब मेरी दहलीज पर ।
देखा चिराग़े अश्क भी जलते गए ।।
नादानियों में फासलो से बेखबर ।
बस जिंदगी भर हाथ को मलते गए ।।
तालीम ले बैठा था जब इन्साफ की ।
क्यूँ मुज़रिमो के फैसले बदले गए ।।
जिसकी बेबाकी के चर्चे थे बहुत ।
तहज़ीब को अक्सर वही छलते गए…
Added by Naveen Mani Tripathi on October 22, 2016 at 7:00pm — 3 Comments
Added by Naveen Mani Tripathi on October 19, 2016 at 2:00pm — 4 Comments
221 2121 1221 212
हर मयकशी के बीच कई सिलसिले मिले ।
देखा तो मयकदा में कई मयकदे मिले ।।
साकी शराब डाल के हँस कर के यूं कहा।
आ जाइए हुजूर मुकद्दर भले मिले ।।
कैसे कहूँ खुदा की इबादत नहीं वहां ।
रिन्दों के साथ में भी नए फ़लसफ़े मिले ।।
यह बात और है की उसे होश आ गया ।
वरना तमाम रात उसे मनचले मिले ।।
जिसको फ़कीर जान के लिल्लाह कर दिया ।
चर्चा उसी के घर में ख़ज़ाने दबे मिले ।।
मुझ से न पूछिए कि…
Added by Naveen Mani Tripathi on October 17, 2016 at 3:00pm — 8 Comments
Added by Naveen Mani Tripathi on October 7, 2016 at 9:25am — 2 Comments
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