समाज की अति व्यस्तता में मगन हम आनंद का अनुभव करने के लिए विशेष अवसरों की खोज करतें हैं | त्यौहार उन विशेष अवसरों में से एक है | ये हमारे जीवन में नयापन लाते हैं, आनन्द और उल्लास पैदा करते हैं | हमारे त्योहारों में दीपावली का विशेष स्थान है | दीपावली का साधारण अर्थ दीपों की पंक्ति का उत्सव है और दीपक का प्रकाश ज्ञान और उल्लास का प्रतीक है | दीपावली कब और क्यों मनाया जाता है ये तो हम सभी जानते हैं | इसके बारे में अनेक सांस्कृतिक,ऐतिहासिक एवं धार्मिक परम्पराएं और कितनी कहानियां प्रचलित हैं ये…
ContinueAdded by Meena Pathak on October 29, 2013 at 8:30pm — 19 Comments
दिए दिन, महीने, बरस
जीवन के अनमोल पल
तुम्हारी तल्खियों से
आहत जख्मों को छुपा
मुस्कान की सौगात दी
कोमल भावनाएं
इच्छाओं की आहूति दी
कायम रखी
तुम्हारी मिल्कियत
वजूद को मिटा कर
फिर भी
तुम छीनते रहे मुझसे
मेरे हिस्से का वक्त
तुम्हें मंजूर नही
मेरा खुद के लिए
जीना
तृप्त ना हो सकीं
तुम्हारी इच्छाएं
छीन लेना चाहते हो
मेरा आस्तित्व
मेरी अभिलाषाएं
मेरा सब कुछ
हक से लेने वाले…
Added by Meena Pathak on October 23, 2013 at 4:30pm — 28 Comments
जवान होते ही हैं
शहीद होने के लिए
और नेता
वह तो शासक है
सोना उनका हक है
जवान जब गोली खा रहा होता है
नेता पार्टी कर रहे होते हैं
जवानों की चिता को
मुखाग्नि भी
राजनीति का अवसर देती है
उन्हें,
शहीदों की
माओं के चाक सीने पर भी
नमक छिड़कने से भी
बाज नही आते
विलाप, क्रंदन भी
अवसर हैं वोट की तिजारत के।
नेताओं
देश शर्मसार है तुम पर।
मीना पाठक
…
Added by Meena Pathak on October 19, 2013 at 8:00am — 29 Comments
रमाकांत को पचास वर्ष की आयु में सात पुत्रियों के बाद पुत्र रत्न की प्राप्ती हुयी थी | आज बेटे की छठी बड़े धूमधाम से मनाई जा रही थी | मित्रों और रिश्तेदारों से घर भरा हुआ था कहीं तिल रखने की भी जगाह नही थी घर में | महिलाएँ बधाई गीत गा रहीं थीं | रमाकांत सपत्नी खुशी से फूले नही समा रहे थे | बेटियाँ चुपचाप ये सब देख रहीं थीं | सबसे छोटी बेटी जो मात्र तीन वर्ष की थी अपनी सबसे बड़ी बहन की गोद में बैठी थी | सभी बहने देख रहीं थी कि कैसे सभी उसके नन्हें से भाई को गोद में ले कर स्नेह दिखा रहे थे | माँ…
ContinueAdded by Meena Pathak on October 11, 2013 at 5:36pm — 24 Comments
माँ
गहरी सागर सी
ऊँची अनन्त सी
घुली पवन में
सुगंध सी
माँ!
हृदय तुम्हारा
कोमल फूलों सा
मिश्री सी वाणीं
लोरी, परियों की कहानी
माँ!
सुन्दर इतनी कि
अप्सराएँ शर्माएँ
आँचल में तुम्हारे
सागर ममता का
लहराये
महानता में ईश्वर भी
पीछे रह जाए
माँ!
स्पर्श में तुम्हारे
मिलता असीम सुख
हृदय से लग के
मिटता संताप, दुःख
माँ!
तुम मेरी…
Added by Meena Pathak on October 6, 2013 at 9:30am — 21 Comments
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