दिल में खौफ़े खुदा भी लाया जाए
अच्छे बुरे का फर्क जाना जाए
कब्ल इसके उंगली उठाओ सब पर
अपने दिल को भी तो खंगाला जाए
यूँ तो उनकी की है फजीहत सबने
प्यार उनसे कभी जताया जाए
निकले बाहर गरीबों की आवाज़ें
उनको भी तो कभी सुन लिया जाए
पहले इसके बिगड़ जायें हालात
जुल्मों को वक़्त रहते रोका जाए
Added by नादिर ख़ान on November 30, 2012 at 10:35pm — 4 Comments
तैयार किए गए
कुछ रोबोट
डाले गए
नफरत के प्रोग्राम
चार्ज किए गए
हैवानियत की बैटरी से
फिर भेज दिये गए
इंसानों की बस्ती में
फैलने आतंक
ये और बात है
इंसानियत ज़िंदा रही
हार गए हैवान
नहीं डरा सके हमें
न हीं कमज़ोर कर सके
हमारा आत्मविश्वास
और…
ContinueAdded by नादिर ख़ान on November 22, 2012 at 11:53am — 9 Comments
आज करना कुछ नया-सा चाहता हूँ
आस के जज़्बात भरना चाहता हूँ
ये ग़ज़ल मेरी अधूरी है अभी तक
बस तेरी ख़ुशबू मिलाना चाहता हूँ
शौक़ है ये और ज़िद भी है हमारी
दिल में दुश्मन के उतरना चाहता हूँ
ख़ौफ़जद है ज़िंदगी अब तो हमारी
प्यार के कुछ रंग भरना चाहता हूँ
दुश्मनों ने दोस्त बन कर जो किया था
गलतियाँ उनकी भुलाना चाहता हूँ
(मात्रा 2122 2122 2122 की कोशिश की है ।)
Added by नादिर ख़ान on November 20, 2012 at 11:00pm — 6 Comments
गिरती दीवारें सूने खलिहान है
गावों की अब यही पहचान है
चौपालों में बैठक और हंसी ठट्ठे
छोटे छोटे से मेरे अरमान है
जनता के हाथ आया यही भाग्य है
आँखों में सपने और दिल परेशान है
लें मोती आप औरों के लिये कंकड़
वादे झूठे मिली खोखली शान है
हम निकले हैं सफर में दुआ साथ है
मंजिल है दूर रस्ता बियाबान है
Added by नादिर ख़ान on November 16, 2012 at 4:30pm — 12 Comments
तेरा था कुछ और न मेरा था
दुनिया का बाज़ार लगा था
मेरे घर में आग लगी जब
तेरा घर भी साथ जला था
अपना हो या हो वो पराया
सबके दिल में चोर छिपा था
तुम भी सोचो मै भी सोचूँ
क्यों अपनों में शोर मचा था
टोपी - पगड़ी बाँट रहे थे
खूँ का सब में दाग लगा था
मै भी तेरे पास नहीं था
तू भी मुझसे दूर खड़ा था
Added by नादिर ख़ान on November 12, 2012 at 11:17pm — 1 Comment
मेरा बेटा
अभी बच्चा है
अक़्ल से कच्चा है
चीज़ों का महत्व
नहीं जानता
और न ही
बड़ी बातें करना जानता है
उसकी खुशियाँ भी
छोटी-छोटी हैं
चॉकलेट, खिलौनों से ख़ुश
पेट भर जाए तो ख़ुश
पर लालची नहीं है वो
उतना ही खाएगा
जितनी भूख़ है
कल के लिए नहीं सोचता
आज की फिक्र करता है
चीज़ें ज़्यादा हो जायें
दोस्तों में बाँट देगा
छोटा है न
कुछ समझता नहीं
लोग समझाते हैं
बाद के लिए रख लो
पर नहीं समझता…
Added by नादिर ख़ान on November 8, 2012 at 6:00pm — 4 Comments
मेरा बेटा
छोटा है
महज़ छ: साल का
मगर
खिलौने इकट्ठे करने में
माहिर है
और खिलौने भी क्या ?
दिवाली के बुझे हुये दिये
अलग-अलग किस्म की
पिचकारियाँ
हाँ कई रंग भी है
उसके मैंजिक बॉक्स में
लाल, हरे, पीले
मगर रंगों मे फर्क
नहीं जानता
बच्चा है न
नासमझ है
होली में
पूछेगा नहीं
आपको कौन सा रंग पसंद है
बस लगा देगा
बच्चा है न
नासमझ है
हरे और पीले का फर्क
अभी नहीं जानता
उसे तो ये भी नहीं पता
होली का…
Added by नादिर ख़ान on November 5, 2012 at 3:30pm — 7 Comments
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