सन्नाटा - लघुकथा -
सोनू ने स्कूल से आते ही, स्कूल बैग पटक कर, सीधे दादा जी के कमरे का रुख किया, "दादा जी, ये ब्लफ मास्टर क्या होता है?"
दादाजी अपने दोस्तों के साथ वर्तमान राजनीति पर चर्चा में मशगूल थे।जिनमें कुछ लोकल लीडर भी थे| अतः सोनू को टालने के लिये कहा,"सोनू, अभी तुम स्कूल से आये हो। ड्रेस बदल कर कुछ खा पी लो। फिर बात करते हैं।"
"नहीं दादाजी, मुझे पहले यह जानना अधिक जरूरी है।"
"सोनू, अभी हम लोग देश के मौजूदा हालात के बारे में कुछ आवश्यक बात कर रहे…
ContinueAdded by TEJ VEER SINGH on November 20, 2018 at 10:34am — 15 Comments
पहल - लघुकथा -
सुखदेव जी का पांच साल का बेटा आइने के आगे खड़े होकर सिगरेट मुंह में लगाकर अपने पापा की सिगरेट पीने की स्टाइल की नक़ल कर रहा था।
सुखदेव जी की नज़र जैसे ही उस पर पड़ी, उनकी खोपड़ी भन्ना गयी।गुस्से में तमतमा गये।
"यह क्या कर रहा है बबलू?"
"पापा, देखो आप ऐसे ही पीते हो ना सिगरेट। मैं बिलकुल कॉपी कर लेता हूँ।"
"मगर इसमें धुआँ तो निकल ही नहीं रहा।" उसकी बहिन ने तंज कसा।
"वह भी निकलेगा, थोड़ा बड़ा हो जाने दो।"
"मैं अभी निकालता हूँ तेरा…
ContinueAdded by TEJ VEER SINGH on November 13, 2018 at 10:49am — 11 Comments
मेरी धरोहर - लघुकथा -
"सुधा, मेरा सफेद कुर्ता पाजामा निकाल दो। शीघ्रता से।"
"अरे विनोद, यह क्या सुन रहा हूँ? यहाँ सब लोग दिवाली की पूजा की तैयारी में व्यस्त हैं और तुम ये क्या सफेद कपड़ों की फरमाइश कर रहे हो?"
"जी दादाजी, आपने सही सुना। मुझे मेरे दोस्त अकबर के घर जाना है। उसके अब्बू का इंतकाल हो गया है।"
"तुम्हें पता है आज इस दीपावली के शुभ अवसर पर मैं अपनी वसीयत भी बनाने वाला हूँ। अभी हमारे परिवार के वक़ील आने ही वाले हैं। हो सकता है जो उस वक्त मौजूद ना हों, उन्हें…
ContinueAdded by TEJ VEER SINGH on November 5, 2018 at 4:58pm — 14 Comments
काल चक्र - लघुकथा -
"राघव, तुम यहाँ रेलवे प्लेटफार्म पर, इस हालत में?"
मुझे एक बार तो विश्वास ही नहीं हुआ कि यह बेंच पर बैठा शख्स मेरा मित्र राघव ही है। दाढ़ी , बाल बढ़े हुए। पैर में हवाई चप्पल। पाजामे के साथ ढीली सी टी शर्ट। मेरा हम उम्र था लेकिन अस्सी साल का बूढ़ा लग रहा था|
मैं जिस राघव का दोस्त था, वह तो सदैव आसमान में उड़ता था। शेर की तरह दहाड़ता था। कालेज के दिनों में वह अकेला बंदा था जो सूट बूट और टाई पहनकर कार में कॉलेज आता था। क्या शानदार व्यक्तित्व था। हर कोई उसे…
ContinueAdded by TEJ VEER SINGH on November 3, 2018 at 12:04pm — 12 Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |