धन, दौलत तो उपयोग की वस्तु, जाती कभी भी साथ नहीं
कद्र ना होती उस शख्स की, पैसा जिसके पास नहीं ||
आज बचा लो कल मिलेगा, इसे बचाना दोष नहीं
दर-दर की वो ठोकर खाता, गरीब की कोई औकात नहीं ||
सुख-वैभव उसके दर विराजे, पैसो की ना जिसके पास कमी
अनकहे रिश्ते खुद बन जाते, आदर्श बनती हर बात कही ||
कुछ दोष तो यूं छिप जाते, उम्मीद जिसकी होती…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on December 19, 2020 at 1:44pm — 2 Comments
एक भ्रात है भरत के जैसा,
जिसमें कुछ पाने का भाव नहीं
समर्पित करता भ्रात चरण में,
राज्य संग सुख, चैन सभी ||
तिलभर भी छल ना मन में,
जग भी उसके साथ नहीं
कठोरता/ताने सहता सारे जन की,
मातृ की करनी उसकी सभी ||
विभीषण भी एक भ्रात उधर है
सिंहासन पर जिसकी आँख लगी
कठिन समय में भ्रात छोड़ता,
शत्रुओं को बताता भेद सभी ||
ना अंतक्रिया भी भ्रात की करता
सुख-भोग से भी इंकार…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on December 15, 2020 at 6:58pm — 2 Comments
कब रुका जो आज रुकेगा, वक़्त है ये तो चलता रहेगा
वक्त पर हकूमत कर सके ऐसा, नहीं जन्मा जो अब जन्मेगा ||
संग में इसके हँसना-रोना, सबको संग में इसके चलना पड़ेगा
अटल होकर चल रहा जो, उसे, वक़्त के आगे झुकना पड़ेगा ||
बेदर्दी ये वक़्त बड़ा है, घाव-क्लेश तो देता रहेगा
खुशियों के पल छोटे करके, दशा पर तेरी हँसता रहेगा ||
आस बांधता, विश्वास दिलाता, विश्वासघात भी करता रहेगा
गिरगिट जैसा रूप बदल कर, अनुभव खट्टे-मीठे देता रहेगा…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on December 3, 2020 at 2:30pm — 2 Comments
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