212 212 212 212
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चोर का मित्र जब से बना बादशाह
चोर को चोर कहना हुआ है गुनाह
वो जो संख्या में कम थे वो मारे गए
कुछ गुनहगार थे शेष थे बेगुनाह
आज मुंशिफ के कातिल ने हँसकर कहा
अब मेरा क्या करेंगे सुबूत-ओ-गवाह
खून में उसके सदियों से व्यापार है
बेच देगा वतन वो हटी गर निगाह
एक बंदर से उम्मीद है और क्या
मारता है गुलाटी करो वाह वाह
एक मौका सुनो फिर से दे…
ContinueAdded by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on January 5, 2024 at 12:46pm — 2 Comments
करुण रुदन करता नहीं, कोई जाता देख
चाहे लिखता वो रहा, हर दिन सुख का लेख।१।
*
कैसे मुख अब फेर लूँ, मन में लिए सवाल
इस से भी बदतर कहीं, ना हो आगत साल।२।
*
यादें छोड़ तमाम फिर, गया और इक वर्ष
लाभ हानि का लोग क्यों, करते हैं निष्कर्ष।३।
*
स्वागत को हर्षित हुए, करें विदा तो हर्ष
क्या बोलूँ अब मैं भला, कैसा था यह वर्ष।४।
*
साथ समय के नित जिसे, कोसा दसियों बार
वही बिछड़ते दे रहा, नया साल उपहार।५।
*
नये …
ContinueAdded by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 31, 2023 at 10:00pm — No Comments
2122/१२१२/२२
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दिल की कालिख सँवार आँखों में
कह रहे सब खुमार आँखों में।१।
*
फिर सुहाता न कोई भी उस को
उग गया जिस के खार आँखों में।२।
*
वार करती है जानलेवा वो
क्या लिए है कटार आँखों में।३।
*
दिल तो बेचैन उस की बातों से
दिख रहा पर करार आँखों में।४।
*
सिर्फ दुख से न होती नम लोगो
हर्ष भी लाता धार आँखों में।५।
*
मन की चाहत सुबास सरसों की
खिल गयी पर …
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 31, 2023 at 7:29pm — 1 Comment
२२१/२१२१/१२२१/२१२
रहती हो जिसके साथ मुसीबत हरी भरी
कैसे हो उस की यार तबीयत हरी भरी।१।
*
वो भाग्यवान तात से जिसको मिले सदा
आशीष लाड़ डाँट नसीहत हरी भरी।२।
*
सबने है आग द्वेष की सुलगा रखी बहुत
रखता है मन में कौन मुहब्बत हरी भरी।३।
*
बढ़ता न ताप दुनिया का ऐसे कभी नहीं
रखते धरा को लोग जो औसत हरी भरी।४।
*
बाँटें दुखों के बोझ को मिलके सदा यहाँ
दो ईश खूब सब को ही…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 31, 2023 at 7:22pm — 2 Comments
किसे बताए फिक्र किसे है, मेरे रहने की मर जाने की
किसे पड़ी यहाँ पर मेरी लिखी बात दोहराने की
मेरे खातिर यहाँ भले क्यूँ अपने आँसू बर्बाद करे
किसको इतनी मोहब्बत मुझसे जो समय अपना बेकार करे
सब अपने है बस अपने हैं, अपने बनकर रह जाएंगे …
ContinueAdded by AMAN SINHA on December 30, 2023 at 11:01am — No Comments
Added by बृजेश कुमार 'ब्रज' on December 27, 2023 at 6:40pm — 2 Comments
गहरे तल पर ठहरे तम-सा,
ठहरा यह जीवन।
*
मौन तोड़ती एक न आहट,
घूरे बस निर्जन।
कौन रुका इस सूने पथ पर,
जो होगी खनखन।
घर आँगन दालानों की भी,
छाँव नहीं कोई।
दूर-दूर तक वीराना है,
गाँव नहीं कोई।
चले हवाएँ गला काटतीं,
सर्द बहुत अगहन।
*
कहीं चढ़ाई साँस फुलाए
कहीं ढाल फिसलन।
क़दम-क़दम पर भटकाने को,
ख़ड़ी एक उलझन।
लम्बा रस्ता पार न होता,
कितना चल आये।
चार क़दम पर…
ContinueAdded by Ashok Kumar Raktale on December 25, 2023 at 10:00pm — 4 Comments
दोहा पंचक. . . क्रोध
जितना संभव हो सके, वश में रखना क्रोध ।
घातक होते हैं बड़े, क्रोध जनित प्रतिरोध ।।
देना अपने क्रोध को, पल भर का विश्राम ।
टल जाएंगे शूल से, क्रोध जनित परिणाम ।।
शमन क्रोध का कीजिए, मिटता बैर समूल ।
प्रेम भाव की जिंदगी, माने यही उसूल ।।
रिश्ते होते खाक जब, जले क्रोध की आग ।
प्रेम विला में गूँजते, फिर नफरत के राग ।।
क्रोध बैर का मूल है, क्रोध घृणा की आग ।
क्रोध अनल के कब मिटे,…
Added by Sushil Sarna on December 24, 2023 at 12:49pm — 4 Comments
दोहा - सप्तक...
गाफिल क्यों अंजाम से, तू आखिर नादान ।
तेरे इस अस्तित्व की, मिट्टी है पहचान ।।
धू -धू कर यह जिस्म जला, जले साथ अरमान ।
इच्छाओं की रुक गई, मैं - मैं भरी उड़ान ।।
ढह जाएंगे सब यहाँ, पत्थर के प्रासाद ।
मलबे होगे दंभ के, रोयेंगे उन्माद ।।
साँसों का चप्पू चले, धड़कन करती नाद ।
चित्रित अधरों पर हुए, अधरों के अनुवाद ।।
और -और की लालसा, मिटी न मिटे शरीर ।
भौतिक युग का आदमी , रहता सदा फकीर ।।
साथी वो किस काम के ,दें…
ContinueAdded by Sushil Sarna on December 21, 2023 at 12:24pm — No Comments
हरा-केसरिया, श्वेत रंग का, तिरंगा झड़ा कहलाता है
हरियाली-साहस, सत्य दर्शाता
प्रतीक-एकता, अखंडता का बन जाता है॥
राम-कृष्ण-बुध जन्मे जहाँ पर, मन उस पवित्र भूमि को शीश नवाता है
आन-बान-शान भारत देश की
हर भारतीय की जान कहलाता है॥
सभी भाषाओं की जन्मधात्री, संस्कृत, जो सबसे पुरानी भाषा है
विभिन्न उत्कृष्ट संस्कार-संस्कृति की पवित्र…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on December 21, 2023 at 11:51am — No Comments
2122 1122 1122 22 / 112
अंधा आँखों का है हर शख़्स बता देगा तुम्हें
ख़ार खाया है ये जन्मों का दग़ा देगा तुम्हें
गुरु वो घंटाल ज़माने कभी सय्याद रहा
काट कर पर वो रखेगा जो सज़ा देगा तुम्हें
झाँसे में उसके न आया करो जानाँ कभी तुम
रहती दुनिया का दरिन्दा वो क़जा देगा तुम्हें
है नशा उसको सदारत का कई बज़्म सुना
ना तुम्हारा न वो मेरा ही जता देगा तुम्हें
है वो ख़ुदगर्ज़ निहायत कहीं हद से ज़ियादा
ख़ुद…
Added by Chetan Prakash on December 20, 2023 at 6:00pm — 2 Comments
आवाज़ों से जंग
उषा अवस्थी
आज प्रदूषण बढ़ रहा
बदल-बदल कर रूप
बेचें झाड़ू , वाइपर
चला रिकाॅर्डिंग खूब
चाकू, कैंची औ छुरी
पैनी करते नित्य
मस्तक में छुरियाँ चलें
सुनें रिकॉर्डिंग तिक्त
चादर, कम्बल या बिकें
बने-बनाए वस्त्र
सतत रिकॉर्डिंग चल रही
कर वाणी निर्वस्त्र
असहनीय ध्वनियाँ,मचा
कानों में हुड़दंग
कैसे जीतेगा मनुज
आवाज़ो से…
ContinueAdded by Usha Awasthi on December 18, 2023 at 11:55am — No Comments
दोहा पंचक. . . .
साथ श्वांस के रुक गया, जीवन का संघर्ष ।
आँचल अंक विषाद के, मौन हुआ हर हर्ष ।।
जैसे-जैसे दिन ढले, लम्बी होती छाँव ।
काल समेटे जिन्दगी, थमते चलते पाँव ।।
इच्छाओं की आँधियाँ, आशाओं के ढेर ।
क्या समझेगी जिन्दगी, साँसों का यह फेर ।।
पगडंडी पक्की हुई, क्षीण हुए सम्बंध ।
अर्थ क्षुधा में खो गई, एक चूल्हे की गंध ।।
पत्थर सारे मील के, सड़क किनारे मौन ।
अपने अन्तिम अंक को, पढ़ पाया है कौन…
Added by Sushil Sarna on December 17, 2023 at 11:30am — 2 Comments
जाते हुए साल
एक बात पूछनी है
सीधा सीधा सा बस एक सवाल
कि तुम हर साल बदलने वाला
केवलमात्र क्या एक अंक हो
अथवा समझते हो कि तुम निष्कलंक हो
सारी जिम्मेवारी समय के काँधों पर डाल
किसे बहलाते हो
कुछ बदल नहीं सकते
अथवा बदलना नहीं चाहते
तो फिर -फिर क्यों आते हो
एक चेतावनी समझ लेना
अब के तभी आना
जो यदि
बंद करा सको युद्ध को
मुक्त करा सको प्रबुद्ध को
अथवा वहीं रहना
किसी से न कहना
कि तुम हार गए हो
..........
मौलिक व…
Added by amita tiwari on December 15, 2023 at 12:00am — 1 Comment
1212-- 1122-- 1212-- 22
अंधेरा चार सू फैला दमे-सहर कैसा
परिंदे नीड़ में सहमे हैं, जाने डर कैसा
ख़ुद अपने घर में ही हव्वा की जात सहमी है
उभर के आया है आदम में जानवर कैसा
अधूरे ख़्वाब की सिसकी या फ़िक्र फ़रदा की
हमारे ज़हन में ये शोर रात-भर कैसा
सरों से शर्मो हया का सरक गया आंचल
ये बेटियों पे हुआ मग़रिबी असर कैसा
वो ख़ुद-परस्त था, पीरी में आ के समझा है
जफ़ा के पेड़ पे रिश्तों का अब…
ContinueAdded by दिनेश कुमार on December 3, 2023 at 10:00am — 6 Comments
२१२२/१२१२/२२
*
सूनी आँखों की रोशनी बन जा
ईद आयी सी फिर खुशी बन जा।१।
*
अब भी प्यासा हूँ इक सदी बीती
चैन पाऊँ कि तू नदी बन जा।२।
*
हो गया जग ये शीत का मौसम
धूप सी तू तो गुनगुनी बन जा।३।
*
मौत आकर खड़ी है द्वार अपने
एक पल को ही ज़िन्दगी बन जा।४।
*
मुग्ध कर दू फिर से हर महफिल
आ के अधरों पे शायरी बन जा।५।
*
इस नगर में तो सिर्फ मसलेंगे
फूल जाकर तू जंगली बन जा।६।…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 2, 2023 at 7:00am — 3 Comments
2122 1122 1122 22
ख़्वाब से जाग उठे शाह सदा दी जाए
पकड़े जायें अभी क़ातिल वो सज़ा दी जाए
बख़्श दी जाए कहीं जान ख़वातीनों की
अब तो ज़ालिम को कड़ी कोई सज़ा दी जाए
घूमते हैं वो दरिन्दे भी नकाबों में अब तो
जितना जल्दी हो उन्हें मौत बजा दी जाए
लोग अच्छे ही परेशान हैं वहशी दरिन्दों
इन्तिहाँ हो गयी अब लौ वो बुझा दी जाए
ज़ात इन्साँ की पशेमाँ है ज़रायम से 'चेतन'
तूफाँ कोई तो उठा कर…
Added by Chetan Prakash on November 27, 2023 at 12:57pm — 2 Comments
लगता है मेरे प्यारों को पैसा है मेरे पास
सच्चाई पर यही है कि क़र्ज़ा है मेरे पास
ए सी की रहने वाली तू मत प्यार कर मुझे
आवाज़ करता छोटा सा पंखा है मेरे पास
मुझसे बिछड़ के जूड़ा बनाती नहीं है अब
वो लड़की जिसका आज भी गजरा है मेरे पास
पापा ये मुझ से कहते हुए रो पड़े थे कल
कितने दिनों के बाद तू बैठा है मेरे पास
साया दिया था मैंने कड़ी धूप में जिसे
अब सिर्फ़ उसकी याद का साया है मेरे पास
अब…
ContinueAdded by Md. Anis arman on November 23, 2023 at 12:39pm — 3 Comments
ग़ज़ल -- 221 2121 1221 212
क़दमों में तेरे ख़ुशियों की इक कहकशाँ रहे
बन जाए गुलसिताँ वो जगह, तू जहाँ रहे
ज़ालिम का ज़ुल्म ख़्वाह सदा बे-अमाँ रहे
पर कोई भी ग़रीब न बे-आशियाँ रहे
आ जाए जिन को देख के आँखों में रौशनी
वो ख़ैर-ख़्वाह दोस्त पुराने कहाँ रहे
हर दम पराए दर्द को समझें हम अपना दर्द
दरिया ख़ुलूसो-मेहर का दिल में रवाँ रहे
काफ़ी नहीं है दिल में फ़लक चूमने का ख़्वाब
परवाज़ हौसलों…
ContinueAdded by दिनेश कुमार on November 17, 2023 at 8:30am — 4 Comments
दोनों में से क्या तुम्हें चाहिए सुख या के संतोष
क्षणभंगुर सा हर्ष चाहिए, या जीवन भर का रोष
खुशी का जीवन लम्हो सा है, अब आए अब जाए
छोटी सी उदासी मन की पहाड़ हर्ष का ढाए
खुशी स्वभाव से चंचल पानी, कल कल बहता जाए
कभी…
ContinueAdded by AMAN SINHA on November 9, 2023 at 1:36pm — No Comments
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