मूँगफली खा चच्चा बोले
बहू आज कुछ चने भिगोले
कल को रोटी संग बनाना
जरा चटपटे आलू-छोले l
सारा दिन तू काम में पिस्से …
ContinueAdded by Shanno Aggarwal on March 7, 2013 at 1:30am — 17 Comments
शीत के मौसम से मच रही गदर है
इक्का-दुक्का ही कोई आता नजर है l
जमी बर्फ जमीं पे खामोश सा शहर है
पंछी ना चहका कोई ठूँठ हर शजर है l
होता बहुत मुश्किल निकलना घरों से
हाथ में दस्ताने और गले में मफलर है l
कांपती सी दिखती हर दूर तक डगर है
लोग बुत से चलते फिसलने का डर है l
बिन फूल-पात दिखते हैं पेड़ नंगे सारे
बस बर्फ के फूलों से ढका हुआ सर है l
दूब पर सफेदी चमकती है रजत जैसी
झुक रहे हैं तरु और धुंधली सी सहर है l
-शन्नो…
ContinueAdded by Shanno Aggarwal on January 20, 2013 at 6:00pm — 10 Comments
पथराया सा आसमां
इंतज़ार कर रहा है.....
तूफानी हवाओं में
सफेद बर्फ के फूल
नंगी निर्जीव टहनियों पर
कफ़न से रहे हैं झूल l
तूफान के रुकने पर
सूरज के निकलते ही
ये मोम से पिघलकर
बन जायेंगे धूल l
पथराया सा आसमां
इंतज़ार कर रहा है.....
-शन्नो अग्रवाल
Added by Shanno Aggarwal on January 16, 2013 at 6:30am — 9 Comments
इन जुगनू सी यादों पे जोर नहीं है
गर्म अश्कों के बहने में शोर नहीं है l
किसी काफ़िर का होता नहीं ठिकाना
आज यहाँ है तो कल ठौर कहीं है l
दो बूँदे पीकर कभी प्यास ना बुझती
प्यासे सहरे का दिखता छोर नहीं है l
मालों ने गाँव की है बदल दी दुनिया
अब छोटा सा दिखता स्टोर नहीं है l
हर बात में नुक्स निकालना है सहज
करने को कुछ कहो तो जोर नहीं है l
-शन्नो अग्रवाल
Added by Shanno Aggarwal on December 6, 2012 at 1:57am — 10 Comments
जो सोने की चिड़िया था सो रहा है
जिसे रोना ना चाहिये वो रो रहा है l
इस दुनिया का है कुछ अजब कायदा
अब लोगों को जाने क्या हो रहा है l
नये जमाने में खो गयी सादगी कहीं
बस बोझ जीने का इंसान ढो रहा है l
मन में खोट और रिश्तों में है चुभन
यहाँ अपना ही अपनों को खो रहा है l
जहाँ उगे कभी मोहब्बत के थे शजर
वहाँ काँटों का जंगल अब हो रहा है l
कितनी गंगा हुई मैली जानते सभी
पर उसमें…
ContinueAdded by Shanno Aggarwal on December 5, 2012 at 3:57am — 3 Comments
उम्र की दौड़ में हम बदल जाते हैं
वक्त की ठोकरों से संभल जाते हैं l
चाँद-तारों की हसरत है जिनको नहीं
सूखी रोटी खुशी से निगल जाते हैं l
कूड़े-कर्कट में पाया हुआ जो मिला
उन खिलौनों से ही वो बहल जाते हैं l
हैं जहाँ में बहुत जिनमें है वो हवस
जो भी देखा उसी पर मचल जाते हैं l
बिन किसी बात हम उनको खलने लगें
इस दुनिया में ऐसे भी मिल जाते हैं l
राजे-दिल खोलो जिसको अपना समझ…
ContinueAdded by Shanno Aggarwal on November 18, 2012 at 7:30pm — 6 Comments
मिल्कशेक और आम का पन्ना
नाच-नाच कर पीता मुन्ना
दिन आये गर्मी के रंगीन
पर हम शरबत के शौकीन l
एक दो तीन
हुई परीक्षा खतम कभी की
घर में छाई रहती मस्ती
उछल कूद कर मुन्नी हँसती
मम्मी सब पर रहे बरसती
हर दिन होता दंगे का सीन l
पर हम शरबत के शौकीन l
तीन चार पाँच
कुल्फी, शरबत और ठंडाई
ठंडी रबड़ी और मलाई
सबने घर में डट कर खाई
भूल-भाल गये सभी पढ़ाई
ना लगता कोई…
ContinueAdded by Shanno Aggarwal on May 20, 2012 at 6:30pm — 17 Comments
हर दिन बन कर मलयज बयार
सब पर होती रहती निसार
माँ से मिलतीं खुशियाँ हजार l
वो बन कर ममता की बदरी
भरती रहती जीवन-गगरी
छाया बन कर धूप-शीत में
बन जाती संबल की छतरी
हर बुरी नजर देती उतार l
वो है बाती की स्वर्ण-कनी
हर दुख को सह लेती जननी
पलकों पर सदा बिठाती है
बच्चे होते कच्ची माटी से
ढाले वो उनको ज्यों कुम्हार l
वो हृदय में रहे चाशनी सम
स्नेह कभी ना होता…
ContinueAdded by Shanno Aggarwal on May 15, 2012 at 1:00pm — 9 Comments
औरत न तेरा दर कहीं काँटों भरी डगर है
तेरे जन्म के पहले ही बनती यहाँ कबर है l
रखती कदम जहाँ है गुलशन सा बना देती
फिर भी यहाँ दुनिया में होती नहीं कदर है l
ये नादान नहीं जानते कीमत नहीं पहचानते
तेरे बिन कायनात तो सूखा हुआ शजर है l
जब भी कहीं देश में कोई ज्वलंत समस्या उठी है तो चारों तरफ एक चर्चा का विषय बन जाती है. भ्रूण हत्या भी एक ऐसा ही विषय बना हुआ है. भारत में आये दिन खबरों में, या फिर कभी रचनाओं, कभी लेखों या सिनेमा के माध्यम से…
ContinueAdded by Shanno Aggarwal on May 7, 2012 at 6:00am — 12 Comments
तू क्या-क्या ना सहती आई है l
कभी गंगा कहते हैं तुझको
कभी होती है देवी से उपमा
मन बिशाल ममता की मूरत
और सहनशक्ति में धरती माँ
रूप अनोखे हैं अनगिन तेरे
युग की गाथा में लक्ष्मी बाई है l
तू क्या-क्या ना सहती आई है l
तू ओस में डूबी कमल पंखुडी
रजनीगन्धा और हरसिंगार
सुरभित पुरवा के आँचल सी
घर में खिलती बन कर बहार
माटी सी घुल-घुल कर भी तू
ना कभी चैन से जीने पाई है…
ContinueAdded by Shanno Aggarwal on April 17, 2012 at 4:00am — 6 Comments
जय...जय...जय...ओ बी ओ l
यहाँ शरण में जो भी आया
ओ बी ओ ने गले लगाया l
इस मंदिर में जो भी आवे
रचना नई-नई लिखि लावे l
जो भी इसकी स्तुति गावे
नई विधा सीखन को पावे l
संपादक जी यहाँ पुजारी
उनकी महिमा भी है न्यारी l
जिसकी रचना प्यारी लागे
पुरूस्कार में वह हो आगे l
प्रबंधकों की अनुपम माया
भार प्रबंधन खूब उठाया l
जय...जय...जय..ओ बी ओ l
-शन्नो अग्रवाल
Added by Shanno Aggarwal on April 5, 2012 at 2:00am — 14 Comments
कोई सूरज की तारीफ करे तो
चंदा तुम ना होना गुमसुम l
सूरज की साँसों की गर्मी
करती है भू का उर्वर तन
और तुमसे शीतलता पाकर
कन-कन में होता परिवर्तन
है दोनों की ही हमें जरूरत
धरती पर मुस्काना दोनों तुम l
मौसम के कई रूप बदलते
कभी पतझर या फिर बसंत
पर तुम दोनों अटल सदा से
नभ पर है साम्राज्य अनंत
तुम पर है सारा जग निर्भर
क्या होगा वरना क्या मालुम…
ContinueAdded by Shanno Aggarwal on February 28, 2012 at 9:30pm — 6 Comments
आज महात्मा गांधी जी की पुन्य तिथि पर एक बालकविता प्रस्तुत है:
अपने प्यारे बापू
कितने अच्छे थे अपने बापू
सादा सा जीवन था उनका
लड़े लड़ाई सच की ही वह
ध्यान हमेशा रखा सबका l
हिंसा ना भाती थी उनको
साथ अहिंसा का अपनाया
सबके लिये थी दया-भावना
काम बड़ा करके दिखलाया l
भारत को आज़ाद कराने में
लगा दिया जीवन था सारा
देश छुड़ाया जब अंग्रेजों से
सबसे ऊँचा था उनका नारा l
दुबली-पतली काया थी…
Added by Shanno Aggarwal on January 30, 2012 at 10:30pm — 3 Comments
हाँ, आज का दिन छुट्टी का दिन l
आजाद देश के पंछी हम
जय हिंद ! वन्दे मातरम् !
सुबह-सुबह उठी जब मुन्नी
बोली मेरी स्कूल से छुट्टी
भैया की कालेज से छुट्टी
पापा की आफिस से छुट्टी
मौज ही मौज है सारा दिन l
हाँ, आज का दिन छुट्टी का दिन l
आजाद देश के पंछी हम
जय हिंद ! वन्दे मातरम् !
निकलेगा जलूस सड़कों पर
देखेंगे टीवी हम मिलकर
हाथों में सधा तिरंगा होगा
भरत नाट्यम डांस भी होगा
होगी तब खूब ताक धिना-धिन l
हाँ, आज का दिन…
Added by Shanno Aggarwal on January 26, 2012 at 4:00am — 4 Comments
नाशाद मेरा मिहिर तो जिंदगी वफात है
साँसों के गिर्दाब में इस रूह की निजात है l
साहिर है तेरी कलम में कुछ कमाल का
जैसे खून में भरा हो कुछ रंग गुलाल का l
हर्फों में छुपा रखी है सदियों की बेबसी
तेरे चेहरे पे अब देखती हूँ ना कोई हँसी l
बातों में बेरुखाई अब होती है इस कदर
बेजार सी जिंदगी जैसे बन गई हो जहर l
तासीर न कम होती है होंठों को भींचकर
या बेसाख्ता बहते हुये अश्कों से सींचकर…
ContinueAdded by Shanno Aggarwal on January 24, 2012 at 7:50pm — 9 Comments
निशा के आँचल को समेट
खुद को किरणों में लपेट
क्षितिज पार फैली अरुणाई
बहने लगी पवन बौराई
कोहरे का आवरण हटा
सूरज ने खोले नयन कोर l
नीड़ में दुबके बैठे आकुल
भोर हुई तो चहके खगकुल
खुले झरोखे हवा की सनसन
आकर तन में भरती सिहरन
है नव प्रभात, संदेश नवल
नव उमंग, मन में हलचल
कमल सरोवर पर अलि-राग
काँव-काँव कहीं करते काग
हर्ष से तरु-पल्लव विभोर l
संक्रांति मनाते हैं हिलमिल…
ContinueAdded by Shanno Aggarwal on January 23, 2012 at 3:30am — 9 Comments
कल्पना में बिखरे कुछ टुकड़े पेश हैं:
घर में छा जातीं खुशियाँ
अगर कोई लल्ला हो गया l
और अगर जन्मी बिटिया
तो भारी पल्ला हो गया l
जब कभी फसल हुई कम
तो मंहगा गल्ला हो गया l
कोई डिग्री लेकर घर बैठे
तो वो निठल्ला हो गया l
शादी क्या हुई जनाब की
बीबी का…
ContinueAdded by Shanno Aggarwal on January 17, 2012 at 3:30am — 8 Comments
करवट लेता है नया साल
आओ कुछ उम्मीदें कर लें
अरमानों के कुछ बूटों को
दामन में हम अपने सी लें l
नेकी हो भरी दुआओं में
मायूस ना हो कोई चेहरा
जीवन हो शांत तपोवन सा
खुशिओं का रंग भरे गहरा l
ना आग बने कोई चिंगारी
ना आस बने कोई लाचारी
जग में फैला हो अमन-चैन
ना कहीं भी हो कोई बेगारी l
ओंठों पे खिली तबस्सुम हो
हर दिल में नूर हो इंसानी
आँखों में रोशन हों…
ContinueAdded by Shanno Aggarwal on January 15, 2012 at 8:00pm — No Comments
ये दुनिया गोल है
यहाँ बड़ा ववाल है
हर चीज का मोल है
बड़ा गोलमाल है l
बातों में तो मिश्री
मन में कोई चाल है
है बहेलिया ताक में
बिछा के बैठा जाल है l
कहीं ताल लबालब
कहीं पड़ा अकाल है
क्यों इतना अन्याय
उठता रहा सवाल है l
कर पायें आपत्ति
ऐसी कहाँ मजाल है
बात-बात में लोगों की
खिंच जाती खाल है l
-शन्नो अग्रवाल
Added by Shanno Aggarwal on January 15, 2012 at 7:37am — 4 Comments
है समय की दरकार l
ये है संसार
कभी ना
किसी पर
करना एतबार l
झूठ के खार
कब जाने
किस पर
कर देंगे वार l
खिला हरसिंगार
कब कौन
लूट जाये
पेड़ की बहार l
आज है प्यार
कल को
नफरत के
होंगें अंगार l
है समय की दरकार l
-शन्नो अग्रवाल
Added by Shanno Aggarwal on January 15, 2012 at 6:00am — 2 Comments
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