हवा का बहता झोका
तन मन को है छूता
मानवता को दर्शाता
मित्र शत्रु को हर्षाता
कोई भेद नहीं करता
बारिस में वर्षा लाता
भूमि की प्यास बुझाता
दुनिया में प्यार बांटता
प्यार में धोखा खाता
हवा बवंडर बन जाता
अपनी दिशा भटकता
समाज में तबाही लाता
जड़ से दरख्त उखाड़ता
जग से अस्तित्व मिटाता
उसे अंबर तक ले जाता
निर्दोषों को देता सजा
वृक्षो की डाली तोड़ता
छीनता पक्षी का…
ContinueAdded by Ram Ashery on April 1, 2016 at 4:00pm — 3 Comments
रंगो का त्योहार है होली आओ मिलकर खेले
भेद भाव सब दूर भगाकर आओ होली खेले ॥
जो अपने भूले भटके हैं
धर्म दीवारों से बिछड़े हैं
और दूर देश में अटके हैं
कड़वी पर यह सच्चाई है
एक प्यार भरा संदेशा है
यह आज सुनहरा मौका है
रंगो का त्योहार है होली आओ मिलकर खेले
भेद भाव सब दूर भगाकर आओ होली खेले ॥
दुख सुख का यह जीवन है
यहाँ मिलकर सबको रहना है
हमें जीवन बाधा से लड़ना है
दुश्मन से देश को बचाना है
हमें मिलकर आगे…
ContinueAdded by Ram Ashery on March 18, 2016 at 8:00am — 1 Comment
सदा सच से दूर भागते
धूप ताप सब सह जाते
भगवान की मूर्ति बनाते
पूजा के हैं नियम बनाते
धर्म के पीछे ढोग रचाते
धूप दीप और नैवेद चढ़ाते
हवन के नाम अन्न जलाते
पत्थर पर हैं दूध पिलाते
भूखे बालक दूध न पाते
शिल्पी इनको जरा न भाते
उसे मूर्ति को छूने नहीं देते
मूर्ति को भगवान बताते
मंत्रो का उच्चारण करते
सुबह शाम आरती करते
शंख मजीरा ढ़ोल बजाते
सदा सुख की आशा करते
नारायण की कथा…
ContinueAdded by Ram Ashery on March 11, 2016 at 9:00am — 5 Comments
बसंत की शोभा बनती
कोयल मीठी बोलती
डाली डाली पर उड़ती
अमृत रस है घोलती
राही से कुछ कहती
नव उमंग से भरती
तन की पीड़ा हरती
मन में खुशियाँ भरती
कड़वाहट को दूर करती
सबका दिल है जीतती
प्यारी सबको लगती
कौवे पर नजर रखती
सदा मेहनत से बचती
घोसले का इंतेजार करती
मौका देख खुद अंडे देती
कौवे के अंडे बाहर करती
उसके संग साजिस करती
बच्चों को नहीं पालती
कोयल कौवे संग…
ContinueAdded by Ram Ashery on February 13, 2016 at 4:30pm — No Comments
ज़िंदगी और मौत के बीच फासला कितना,
पता नहीं किसी को कब आ जाए फरिस्ता ।
मौत के सौदागर उगाते हैं घृणा की फसल
समाज में खड़ी करते हैं नफरत की दीवार ।
बुझाते सभी के सामने जलता हुआ चिराग
सोचो सच और झूठ में अंतर है कितना ॥
एक बंदा भरी में कुछ आंशू बहा के कहता
विश्वास करो मुझपर हूँ भरी सभा में कहता ।
आज हमारे समाज से मिट रही साहिस्णुंता
आज घोल रहे विष देश में कुछ हमारे नेता ॥
मैं तुम्हारे दुख की घड़ी में बेहद गम जुदा हूँ
कोई…
ContinueAdded by Ram Ashery on January 29, 2016 at 10:00pm — 3 Comments
सागर की उठती गिरती लहरें, पथ पर चलना सिखा रही ।
ढूंढती पल पल किनारा, मंज़िल से पहले कभी रुके नहीं ।
सारी व्यथा अपने मन की आपस में एक दूसरे से कहती ।
सागर की गहरी शांति के विरुद्ध रौद्र रूप भरकर बहती ।
ख़तरों से आगाह कराती मंज़िल से पहले कभी रुके नहीं ।
हर काल परिस्थिति में हमको जीवन लक्ष्य बता देती ।
घायल, व्यथित खतरों से खेल, किनारों से दांस्ता कहती ।
संदेशा मानव को देकर कुछ खट्टे मीठे अनुभव कहती ।
आदि से लेकर अंत तक का लेखा…
ContinueAdded by Ram Ashery on January 29, 2016 at 3:00pm — 6 Comments
देखो कानून की परिभाषा कैसे बदल जाती है,
नेताओं को बेल और गरीब को जेल हो जाती है ।
यहाँ धनवानों का सारा ऋण माफ हो जाता है,
किसान की ज़िंदगी ऋण में ही साफ हो जाती है ।
किसी बात पर यूं ही कभी इतबार मत करना,
घट जाए कोई घटना तो तकरार मत करना ।
विश्वास और धोखा एक ही सिक्के दो पहलू है,
एक जीने का मकसद और दूसरा छीन लेता है ।
चंदा और रोशनी एक दूजे के संग में घूम रहे ,
पर दिन में एक दूसरे के विरुद्ध जंग लड़ रहे ।
गरीब का आरक्षण कुछ…
ContinueAdded by Ram Ashery on January 22, 2016 at 10:30pm — 1 Comment
Added by Ram Ashery on January 16, 2016 at 5:00pm — 3 Comments
शिक्षा की जब ज्योति जले, विकसित होवे लोग।
समाज को जब पंख मिले, खुशियाँ भोगें लोग ॥
भूख गरीबी जीत के, निर्भर हुआ अब देश ।
बोए बीज अब प्रेम के, प्रगति कर चला देश ॥
गलत इरादे दुश्मन के, बढ़ा रहे अब क्लेश ।
हम रखवाले वतन के, जग को दे दो संदेश ॥
परचम ऊंचा हो तभी, फैले चारों ओर ।
आन मान सम्मान सभी, करें साथ गठजोर ॥
करुणा सबके मन जगे, कोई दुखी न होय ।
हृदय से सब गले मिले, नफरत दूरी होय ॥
आतंकवाद के कष्ट को, जल्दी करेगे…
ContinueAdded by Ram Ashery on January 15, 2016 at 10:00pm — 5 Comments
हम खुशियों के दीप जलाकर मना रहे हैं दीपोत्सव
सच्चे विकास का संकल्प लेकर आगे बढ़ते प्रतिदिन
रूढ़िवादिता को त्यागकर हम करते नवयुग का वंदन
प्रेम का पावन पौध उगाकर करते एकता का संवर्धन
अज्ञानता की घनी रात का ज्ञानदीप से करते स्वागत
मतभेदों को आज हटाकर हम करते सबका अभिनंदन
भूल सारी बैर भावना करते देश हित में आत्म समर्पण
दुख से ग्रसित सभी जनों की पीड़ा का करते हम मर्दन
फूल और कांटे ज्यों सब मिलकर शोभित करते उपवन
भँवरे मिलकर…
ContinueAdded by Ram Ashery on November 14, 2015 at 9:58am — 1 Comment
क्यारी देखी फूल बिन ,माली हुआ उदास ।
कह दी मन की बात सब, जा पेड़ों के पास ॥
हिन्दी को समृद्धि करन हित, मन में जागी आस ।
गाँव गली हर शहर तक ,करना अथक प्रयास ॥
कदम बढ़ाओ सड़क पर ,मन में रख कर विश्वाश ।
मिली सफलता एक दिन ,सबकी पूरी आश ॥
सूरज चमके अम्बर में , करे तिमिर का नाश ।
अज्ञानता का भय मिटे, फैले जगत प्रकाश ॥
चंदा दमकी आसमान ,गई जगत में छाय ।
हिन्दी पहुंची जन जन में, तब बाधा मिट जाय ॥
हिन्दी हमारी ताज अब, सबको रख कर पास…
ContinueAdded by Ram Ashery on July 17, 2015 at 6:54pm — 3 Comments
समय छिपा जा सूर्य चक्र में ,जहां दुनिया सारी डोले
धरती से लेकर आसमान में ,नित नये रहस्य को खोले !
कली के अंदर छिपे फूल में, अपना नाना रूप छिपाये
घूम- घूम कर मधुकर उपवन में, सुंदर राग सुनाये !
फूल के अंदर छिपे सुगंध में , अमृत के कण घोले…
ContinueAdded by Ram Ashery on June 21, 2015 at 10:00am — 1 Comment
योग भगाये तन के सब रोग,
मन में सच्चा विस्वास जगाए।
जो नित करे जीवन में योग,
भव बाधा जीवन से मिट जाएँ ॥
मन मस्तिष्क का सुंदर संयोग
चुस्त और तंदुरुस्त शरीर बनाए…
ContinueAdded by Ram Ashery on June 21, 2015 at 9:47am — 2 Comments
अपेक्षा का दीप
मैंने अपनी अपेक्षा का दीप जलाया घर में
बुझे दीप न तेज हवा से सुरक्षा बाढ़ लगाया।
लक्ष्य को छूने का दृढ़ संकल्प लिया मन में
त्याग और बलिदान से प्रेरित मंत्र अपनाया ।
छल,कपट,ईर्ष्या कभी टिके नहीं अंतस्थल में
नैतिक मूल्यों के संस्कार का आवृत्त बनाया ।
मैंने अपनी अपेक्षा का दीप जलाया घर में
दया धर्म सद्भाव बढ़े आज सभी के जीवन में
अपेक्षा की आस लिए मैंने एक दीप जलाया।
स्नेह का तेल भरा ज्योति ज्ञान की जीवन में
मन में धीरज…
Added by Ram Ashery on May 9, 2015 at 9:56am — 4 Comments
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