आभासी इस दुनिया में क्या
आभास भी आभासी होते हैं ?
शक्ल नहीं होती है सामने
इंसान भी आभासी होते हैं ?
समय समय पर बनते बिगड़ते
रिश्ते भी आभासी होते हैं ?
इंसान में इंसानियत नहीं तो
आभासी इंसान भी होते हैं ?
बदलते युग का आगाज़ है
असली और नकली भी होते हैं ?
साहित्य कोष में भी
कहीं आभासी शब्द होते हैं ?
जाने कितने ऐसे सवाल है मन…
ContinueAdded by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 16, 2017 at 4:00pm — 3 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 13, 2017 at 9:29am — 7 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 12, 2017 at 11:30am — 6 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 12, 2017 at 10:34am — 9 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 9, 2017 at 12:28pm — 6 Comments
फिर आ गयी है रात
पूनम के बाद की
खिला हुआ चाँद
कह रहा है कुछ
क्या तुम सुन रहे हो ?
तारों से कर रहें हैं बातें
तन्हा बीत जाती हैं रातें
देखता है यह चाँद यूँही
हँसता होगा यह भी देख मुझको
क्या तुम सुन रहे हो ?
साथ चलने को कहा था
थामकर हाथ चल रहे थे
फिर क्या हुआ यकायक
कैसे गरज गए यह बादल
क्या तुम सुन रहे हो
चमक रही है बिजली
चाँद…
ContinueAdded by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 8, 2017 at 10:00pm — 13 Comments
हो रहा कलरव श्यामा का
उठो देखो बाहर
सूर्य उठा रहा चादर
हो रही है भोर
नारंगी नभ से खिलता
बादलों को चीरता हुआ
कह रहा है हमसे
हो रही है भोर
पत्तों पर ओस शर्माती
देख सूर्य की किरणे
खुद को समेटती कहते हुए
हो रही है भोर
मिट्टी की सौंधी सी महक
कलियों का खिलना
धुप देख मुस्कुराना कहता है
हो रही है भोर
उठो छोडो बिस्तर अब…
ContinueAdded by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 8, 2017 at 9:30pm — 6 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 31, 2017 at 11:30pm — 12 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 28, 2017 at 9:22am — 8 Comments
सन १९८२ , बी वाय के कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स, शरणपुर रोड, नाशिक , यह उनदिनों की बात है जब मैं इस कॉलेज में पढ़ती थी |
हमारी कॉलेज के पैरेलल दो सड़के जाती थी, एक त्रम्बकेश्वर रोड, और दूसरी गंगापुर रोड , और इन दोनों के बीच पड़ता है हमारा कॉलेज रोड|
हमारे कॉलेज से एक रास्ता कट जाता है जो गंगापुर रोड की तरफ जाता है , कॉलेज से करीब ४.८ किलोमीटर की दुरी पर है यह सोमेश्वर मंदिर | महादेव जी का यह एक प्राचीन मंदिर है , गोदावरी नदी के तट पर बसा यह मंदिर अपनी सुंदरता लिए हुए है | उनदिनों…
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 22, 2017 at 7:17pm — 4 Comments
गाँव वालों के बीच इन दिनों एक ही चर्चा चल रही थी और वो थी सुखिया के बेटे का आतंकवादी बन जाना | सुखिया एक सीधा सादा कुम्हार था पर उसके हाथ के बने घड़े सुन्दर और पक्के होते थे | आस पास के गाँव वाले भी उसके पास घड़े खरीदने आते थे |
लोगों को जब उनके बेटे के बारे में पता चला तो वे सब सकते में आ गए ।
किसीने कहा , " घोर कलजुग है भैया , किसीका भरोसा नहीं । "
कोई बोला ," इसमें तो मुझे उस सुखिया कुम्हार की ही गलती दिखे है , माटी के घड़े तो बना दिए पर खुद…
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 22, 2017 at 5:47pm — 7 Comments
१
आया सावन
बोले मयूरा सुनो
उसकी बोली |
२
गरज गए
बादल सावन के
नाचो औ गाओ |
३
गीत कोई तो
सुना दो सावन के
मनवा डोले |
४
मधुर गीत
गाती जब सखियाँ
पिया पुकारें |
५
हरित धरा
कहती कुछ कुछ
सुनो तो सही |
६
चमके जब
बिजली डर लागे
ढूँढे पिया को…
ContinueAdded by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 18, 2017 at 10:30pm — 14 Comments
लो आ गया फिर से सावन
संग लाया यादें मन भावन
नदी का किनारा अमरुद का पेड़,
पत्थर उठाकर तुम्हारा करना खेल
पानी उछालना , फिर हंस देना
अमरुद तोड़ खुद ही खा लेना
थी अठखेलियाँ वो जो तुम्हारी
बस गयी तब से साँसों में हमारी
उछलते छीटों से खुद को भी भिगौना
गीले होकर रूठ कर बैठ जाना
कीचड़ लगाकर फिर भाग जाना
पेड़ की आड़ से फिर मुस्कुराना
शैतान सी हंसी , मस्ती की…
ContinueAdded by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 16, 2017 at 7:00pm — 10 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 2, 2017 at 11:00pm — 6 Comments
" बहुत अच्छा करती हो जो अब गोष्ठियों में आने लगी हो , अच्छा लगा आपको यहाँ देखकर । " एक वरिष्ठ साहित्यकार ने एक महिला से कहा ।
" जी नमस्ते सर , नहीं ऐसा कुछ नहीं है , समय अनुसार आ जाती हूँ , विविध रचनाकारों को सुनने का अवसर मिल जाता है । " उस महिला ने उत्तर दिया ।
" ओह तो श्रोता बनकर आती हो ? "
" जी , वैसे सुना है आज कल श्रोता नहीं मिलते ? जो भी आते है उन सभी को मंच की लालसा होती है । "
" बिलकुल सही कह रहीं हैं आप", अट्हास लेते हुए उन्होंने अपने साथी की तरफ देखते हुए कहा , एक…
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on June 24, 2017 at 2:30pm — 11 Comments
1
कैसी ख़ामोशी
हर तरफ़ देखो
रात खामोश
2
यह जो तुम
हो गये हो ख़ामोश
बदली छायी ।
3
बदल गए
सोचा न ऐसा कभी
ख़ामोशी बोली ।
4
दूर हो गए
कदम ख़ामोशी के
चलते चले ।
5
जब टूटेगी
ख़ामोशी बादलों की
वर्षा ही होगी ।
6
सुनायी देती
ख़ामोशी की ज़ुबान
आँखों में देख ।
7
लम्बी ख़ामोशी
काँटो सी है चुभति
समझे कोई ।
8
रहने लगे…
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on June 12, 2017 at 11:00pm — 2 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on June 11, 2017 at 10:55pm — 8 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on June 9, 2017 at 12:53pm — 4 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on June 3, 2017 at 8:56am — 8 Comments
बिन मौसम बरसात कहीं
साथ होती है यादें
रिम झिम रिम झिम बरसे पानी
साथ होती हैं बातें
उस नदी की अल्हड लहरें
साथ होती है रातें
आसमान पर चाँद सितारे
बादल गीत हैं गातें
कल कल करता बहता पानी
कागज़ की नाव बहाते
चल मुसाफिर चलता चल तू
साथ नहीं कोई आते
मौलिक एवं…
ContinueAdded by KALPANA BHATT ('रौनक़') on May 30, 2017 at 10:34pm — 4 Comments
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