"ये कहाँ जा रही हो अम्मी ?" पड़ोस वाली महिला ने पूछा
"अरे वो अपनी मधु है न उसके घर से खबर आयी है , उसके पेट में दर्द हो रहा है , पेट से है न वो , पिछला जापा भी मैंने किया था , इस बार भी ......." बूढ़ी अम्मा ने हंस कर उत्तर दिया ।
" हे भगवान किस युग में जीते है ये इस मधु के घर वाले , दुनिया भर के अस्पताल है , पर देखो तो अब भी दायी से जापा करवाना चाहते है वो भी घर में । "
बूढ़ी अम्मा उन सबकी बातें सुन रही थी । लकड़ी की गाडी के सहारे से धीरे धीरे चलने वाली इस अम्मा का जीवन किसने…
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Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on May 28, 2017 at 11:11pm —
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बहती नदी से पूछा मैंने
बहती रहती हो थमती नहीं
देख मुझको वो मुस्कायी
बोली कुछ पल कुछ भी नहीं ।
देख हंसी उसकी फिर पूछा मैंने
बोलो न क्यों तुम रूकती नहीं
देख मेरी उत्सुकता वह बोली
अरे मेरी भोली सी बहना
रुक गयी तो कैसे चलेगा
खेतों का गागर कैसे भरेगा
सागर से फिर कौन मिलेगा
हरियाली से कौन बतियाईएगा
इतराती नहीं नारी हूँ मैं भी
चंचल हिरणी , मनभावन हूँ मैं भी
टकरा जाती हूँ चट्टानों…
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Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on May 22, 2017 at 7:45am —
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" तुम मुझे रोज़ लेने आ जाती हो , मेरे बाबा मुझे डाँटते है । उनको लगता है मैं आलसी हूँ , स्कूल नहीं जाना चाहती । " शीला ने अपनी सहेली मीना से कहा ।
" हाहा हाहा , सही तो कहते है तुम्हारे बाबा , पढ़ाई चोर तो तुम हो ही , जब देखो तुम्हारी कॉपियां अधूरी रहती है ...।" मीना ने हंसकर कहा
" धत्त , कोई नहीं झूठी मेरी कॉपियां तो पूरी होती है , वो तो ....... वो तो ........."अपनी माँ की तरफ़ देखकर शीला चुप हो गयी ।
मीना यह बात जानती थी कि शीला की माँ को शीला का स्कूल जाना पसंद…
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Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on May 12, 2017 at 11:38am —
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छन्न पकैया छन्न पकैया , ऐसे मेरे नाना
रोज़ सवेरे पानी देते , औ देते थे दाना
छन्न पकैया छन्न पकैया , खुश होते थे नाना
उड़ते हुए परिंदे आते , सब चुगने थे दाना
छन्न पकैया छन्न पकैया ,था उनका ये कहना
आपनी तरह परिंदों का भी, खयाल रखना बहना
छन्न पाकैया छन्न पकैया,सबको ये समझाना
पशु पक्षी पेडों पौधों से, प्यार सदा जतलाना
छन्न पकैया छन्न पकैया , जीना चाहें मरना
नाना सदा यही कहते थे ,प्रेम सभी से करना ।।
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on May 11, 2017 at 1:30pm —
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जाने कहाँ खो गये
खो गये हैं शब्द
जिनको पढ़कर कभी
हुआ करती थी सुबह
प्रथम किरणों के संग
ओस की बूंदों के भीतर
खो गये है वे शब्द
जो सूर्योदय से सूर्यास्त तक
कर देते थे जिवंत
ख़्वाब सजाया करते थे
खो गये हैं शब्द
जाने कहाँ किस ओर गये ।
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on May 6, 2017 at 11:08pm —
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खेतों में चलते हैं
हल जब भी
पसीना बहता है
मिट्टी में घुल मिलकर
लहराती फ़सल की देता सौगात है
धूप की तपिश
बरसात होती वरदान
थके कदमों को
बड़े वृक्ष देतें हैं छाँव
कुदरत के बिना
जीना होगा असम्भव
फिर कैसा घमण्ड
कैसा गुरुर
ज़मीन सभी की
पेड़ सभी के
छोटे बड़ों की
क्या होतीं हैं पहचान ?
ज़मीन भी यहीं
आसमान भी
फिर यह कैसी सोच
कि किसी एक को
मिल रहा सरंक्षण आसमान का
जो नहीं…
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Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on April 21, 2017 at 9:02am —
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लगती प्यारी
मोहे मेरी बिटिया
गोरैया जैसी ।
रोज़ जगाती
नींद से हर दिन
प्यारी बिटिया ।
ठुमक कर
चलती थी नन्हीं सी
मेरी बिटिया ।
बड़ी सयानी
मीठी जिसकी बोली
मेरी बिटिया ।
घर आँगन
महकाती प्यार से
मेरी बिटिया ।
नया घरौंदा
बसाया अपना भी
मेरी बिटिया ।
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on April 7, 2017 at 4:30pm —
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मौज मनाने
छुट्टियों में हैं आते
नदी किनारे
बड़ी सुहानी
हवा चलती यहाँ
नदी किनारे ।
मन मोहक
नज़ारा यहाँ होता
नदी किनारे ।
मस्त लहर
आकर टकराती
नदी किनारे ।
भीड़ अधिक
हो जाती है अक्सर
नदी किनारे ।
संग पिया के
सन्ध्या देखने आती
नदी किनारे ।
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on April 4, 2017 at 7:59pm —
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शारदे माँ ( मधुमालती छंद)
माँ शारदे वरदान दो
सत बुद्धि दो संग ज्ञान दो
मन में नहीं अभिमान हों
अच्छे बुरे का सज्ञान दो
वाणी मधुर रसवान दो
मैं मैं का न गुणगान हों
तुमसे कभी हम दूर हों
न ऐसे कभी मज़बूर हों
दिल में सदा ही तुम रहो
रात और दिन बस तुम रहो
तुम बीन न यह जीवन हों
माँ शारदे ऐसा वर दो ।।
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on April 4, 2017 at 7:06pm —
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ऐसा हुआ , बारात में
लड़का नहीँ , आया अभी
बोले पिता , बेटा कहे
पैसा अभी , मिला नहीं
शादी नहीँ , होगी अभी
मिला नहीं , दहेज अभी ।
बेटी कहे , देना नहीं
पैसा बुरा , जले चिता
होती नहीं , बेटी बुरी
चलती नही , चालें कभी
पगड़ी भली , लागे मुझे
पिता बोज़ क्यों , माने मुझे
बेटी कभी , चाहे नहीँ
अपमान नहीँ , करे कभी ।
मौलिक एवं अप्रकाशित ।
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on March 16, 2017 at 4:14pm —
7 Comments
ढूंढ रहा है आज क्षितिज तुम्हें
हाँ वही जो परेशान तुम्हें किया करता था
तुम्हें प्यार करते देख किसीको
अपने आँसूं बहाया करता था
नदी किनारे से अक़्सर देखा करता था
देख कर तुमको वो मुस्कुरा देता था
बादलों से शरारत करने को कहता था
फिर उनमें अपने को छिपा लेता था ।
तुम फिर उसकी तलाश में खो जाती थीं
अटखेलियां करते हुए बादलों से
जब उसका तुम पता पूछा करती थीं
चुपके से वो आड़ से तुम्हें देख लेता था ।
हो तुम दीवानी उसकी जानता है जग…
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Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on March 6, 2017 at 7:06pm —
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बदमाश सखी की चंचल बातें
करती मस्ती
कभी तो कर देती है दूर
खींच एक लकीर
क्या खोया पाया
मन की वेदना को
अब रास आती है
खामोशियाँ ....
हँसते रहना है
दूर हो जाये हर मुश्किल
सखी की ...
न दो अब कोई आवाज़
थके कदमो से चलना है
अभी बाक़ी है कोई राह
पुकारती हुई सी ...
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on February 22, 2017 at 7:13am —
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देखो देखो री सखी
किया कैसा है श्रृंगार
बसन्ती हवा है चली
ऋतु राजा है तैयार ।
मीठी कोयल की बोली
झूली अम्बुवा की डार ।
ऋतु राजा है बोला
पिया करलो थोडा प्यार ।
गाओ मन भावन ये राग
हो ये बसन्त बहार ।
मौलिक एवं अप्रकाशित ।
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on February 9, 2017 at 8:49pm —
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रे मन कह दे
अपनी बात आज
बंद है जो भीतर
बाहर आने दे आज
देख, पवन पुरावई
शीत लहर आई
कह दे अपनी बात
जिसे जड़ कर चुकी हो
देख बाहर प्रवासियों को
घर अपना जो छोड़ आये है
कुछ दिनों के लिये ही सही
नया बसेरा बसाने आये है
आज खोल दे द्वार अपने भी
उड़ जाने दे अपनी पीड़ा को
लग जाने दे पंख परिंदों की तरह
खुली साँसे ले लेने दे ।
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on January 20, 2017 at 5:30pm —
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मीत नहीं
संगीत नहीं
प्रेम का कोई गीत नहीं ।
दिल ही नहीं
धड़कन ही नहीं
जीवन की यह रीत नहीं ।
इंसान हैं तो दिल भी होगा
दिल में बसा संगीत भी होगा
बिन संगीत जीवन नहीं ।
बिना प्रीत के मिलन नहीं ।
गाओ गाओ मधुर तराने
प्रेम के होते बहुत फ़साने
बिना फ़साने के प्रेम नहीं
प्रेम नहीं तो जीत नहीं ।
जियो जियो तो ऐसे जियो
मधुर प्रेम के प्याले पियो
प्याले में मिश्री भी घोलो
मीठी मीठी वाणी बोलो…
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Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on January 4, 2017 at 4:03pm —
17 Comments
न जाने क्यों उनका इंतज़ार करती हूँ
न आये कभी जो उनसे प्यार करती हूँ
देखा था उनकों पहली बार जब
नयन से नयन मिले थे तब
कशिश थीं उनकी आँखों में
डूबती गयी उनकी बाँहों में ।
स्पर्श था प्रथम वो मेहबूब का
एहसास था प्यार का प्रीत का
थामा जब हाथ उन्होंने मेरा
तब शर्माया था दामन मेरा ।
एक ख़्वाब ही तो था
जो प्यार का एहसास था
वो दर्द दे गया है मुझे
आह निकली है मुख से ।
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on January 2, 2017 at 10:03pm —
14 Comments
दुःख बिसराये
सुख को लाये
ऐसा गीत गाऊँ मैं
खट्टी मीठी यादों को
थोड़ा सा गुन गुनाऊं मैं
दूर खड़ा पर्वत पुकारे
चलकर उसतक जाऊं मैं
बादलों से बरसे पानी
झूम झूम कर नाचूँ मैं
खेत बुलाये, परिंदे पुकारें
बोली उनकी समझूँ मैं
नाच उठे मनवा मेरा
गीत ऐसा कोई गाऊँ मैं |
बहती नदी , बहता झरना
कलकल इनकी सुन लूँ मैं
किनारे से टकराती लहरों से
कुछ देर बातें कर लूँ मैं
देखकर वहां गोरी कलाई…
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Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on December 31, 2016 at 9:30pm —
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मेरे दिल के जज़्बात साथ नहीं देते हैं
और आँसू भी अपनी बात कहते हैं ।
ना जाने नम सी आँखें रहती हैं
और दर्द की पीर आँखें सहती हैं
देखकर बेवफाई यह रोती है
तन्हाई के हर सितम सहती हैं ।
रात की अँधियारी में कभी रोती हैं
कभी काँधे पे सर रख सोती हैं
अश्क बन जब जब दिखाई देतीं हैं
सारा जग समेट अपने में भर लेतीं है ।
दर्द का दरिया आँखों को कहते हैं
आँखों से ही तो इशारे किया करते हैं
सूनी सूनी सी गलियारी है दिल की
हर…
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Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on December 27, 2016 at 8:30pm —
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एक दिन माली रूठ गया
फूल यह जान दुःखी हुआ
सूरज की तपिश भी तेज थी
बिन पानी के फूल सूख गया
ज़मीन पर गिर मिट्टी पर पड़ा
जोत रहा था बाट माली की
सोच रहा था क्या हो गया
मेरा माली क्यों रूठ गया ।
इतने में कोई पास आया
देख उसको मुरझाया फूल हरकाया
बोला माली से बाबा क्या ऐसी बात हुई
आपकी राह देखते देखते देखो
कई कलियाँ भी मुर्झा गयीं ।
माली ने प्यार से उसे उठाया
गिरे हुए फूल को फिर सहलाया
फूल और माली की प्रीत निराली
सूरज बोला मैं…
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Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on December 24, 2016 at 8:30pm —
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आज एक सौदा ही कर लें
बोली बॉस एक दिन
सुनकर यह चकित हुई मैं
देखती रही उनको एकटक
देख मुझको भांप गयी वो
मुझे लगा कांप गयी वो
पर नहीं , नहीं हुआ कोई असर
बोलीं न छोडूंगी कोई कसर
अब मैं हुई और परेशान
शैतान आया था बनकर मेहमान
रुकी कुछ पल फिर हंस कर बोलीं
अपने ईमान की पोल खोली
सुनो मेरा तुम करो एक काम
न करना इस बात को आम
मेरे पास काला धन पड़ा है
मोदी जी ने सर पर हथौड़ा मारा है
औरतो के खाते में ढाई लाख़ फ्री है
यह रकम…
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Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on December 22, 2016 at 8:30am —
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