तुम वीरांगना हो जीवन की, तुम अपने पथ पर डटी रहो
चाहे उलाहना पाओ जितनी, तुम अपने जिद पर अड़ी रहो
गर्भ में ही मारेंगे तुमको, वो सांस नहीं लेने देंगे
कली मसल कर रख देंगे वो फूल नही बनने देंगे
तुम मगर गर्भ से निकल कर अपनी खुशबू बिखरा दो
तुम वीरांगना हो जीवन की, तुम अपने पथ पर डटी रहो
चाहे पथ पर पत्थर फेंके, शिक्षा से रोके तुमको
कुछ पुराने मनोवृत्ति वाले चूल्हे में झोंके तुमको
तुम ना डिगना अपने प्रण से, एकाग्रचित्त हो जमी…
Added by AMAN SINHA on May 21, 2022 at 11:59am — No Comments
मैं धरती बोल रही हूँ,
हाँ-हाँ धरती बोल रही हूँ
अपनी व्यथा सुनाने को मैं
मैं कब से डोल रही हूँ
मैं धरती बोल रही हूँ
मैंने ही तुमको जन्म दिया…
ContinueAdded by AMAN SINHA on May 16, 2022 at 11:30am — 2 Comments
दर्द है ये दो दिलों का, एक का होता नहीं
जागते है संग दोनों, कोई भी सोता नहीं
ये ख़ुशी है या के ग़म है, कोई कह सकता नहीं
दर्द का वैसे भी यारो, रंग होता हीं नहीं
याद आती है घडी वो, जब पहली बार हम मिले थे
बसंत के वो दिन नहीं थे, पर फूल दिल में खिले थे
क्या हुआ जो…
ContinueAdded by AMAN SINHA on May 13, 2022 at 1:00pm — No Comments
ख़यालों में मेरे ख़याल एक आता है
भरम मेरा मुझको यूं भरमा के जाता है
दिखता नहीं है पर कोई बातें करता है
नहीं साथ मेरे पर महसूस होता है
मैं अंजान उससे पर वो जानता है
वो है बस यहीं पर ये दिल मानता है
दिखा जो कहीं पर तो पहचान लूंगी
यही मर्ज़ मेरा है मैं जान लूंगी
वो है झोंका हवा का है अंदाज़…
ContinueAdded by AMAN SINHA on May 12, 2022 at 1:31pm — No Comments
तोड़े थे यकीन मैंने मुहल्ले की हर गली में
चैन हम कैसे पाते इतनी आहें लेकर
मौत हो जाए मेहरबा हमपे नामुमकिन है
ठोकरे हीं हमको मिलेंगी उसके दरवाज़े पर
हर परत रंग मेरा यूँ ही उतरता गया
ज़मी थी सख्त मैं मगर बस धंसता हीं गया
गुनाह जो मैंने किये थे बे-खयाली में
याद करके उन सबको मैं बस गिनता…
ContinueAdded by AMAN SINHA on May 6, 2022 at 12:54pm — 1 Comment
है फूलों सी खुशबू तेरे इस बदन में
जी चाहता है मैं साँसों में भर लूँ
अधूरा रहेगा ये इकरार मेरा
पहलू में अपने जो तुझको ना भर लूँ
हंसी से तेरी खिल जाती है कलियाँ
जगमग सी हो जाती है तेरे आने से दुनिया
है किसने मिलाया नशा इस समा में
कदम लड़खड़ाते है देख कर तेरी गालियां
मैं ज़िंदा हूँ साँसे लिए जा रहा…
ContinueAdded by AMAN SINHA on April 30, 2022 at 12:01pm — No Comments
आरज़ू है ये दिल की इस कदर तुझको चाहूँ
आँखों से तुझको छू लूँ प्यास अपनी बुझा लूँ
तमन्ना है यही तुझको बाहों में भर लूँ
ज़रा ही सही प्यार तुझसे मैं कर लूँ
आशिक़ी में तेरी आज खुदको मिटा दूँ
दिल की जो लगी है आज तुझको बता दूँ
कोई कह सके ना ये मैं हूँ के तू है
आज खुदको तुझी में इस कदर मैं मिला…
ContinueAdded by AMAN SINHA on April 29, 2022 at 11:28am — No Comments
कुछ याद सम्हाले रखा है,
हमने दर्द को पाले रक्खा है
हँसते चेहरे के आड़ में हमने,
दिल के छालों को रक्खा है
सब कहते है हम हँसते हैं,
हम अपने अंदर ही बसते हैं
अब सबको हम बतलाएं क्या,
हम तनहाई से कैसे बचते है
अब रोना धोना छोड़…
ContinueAdded by AMAN SINHA on April 28, 2022 at 11:42am — No Comments
वर्षों हुए
एक बार देखे उसको
तब वो पूरे श्रृंगार में होती थी
बात बहुत
करती थी अपनी गहरी आँखों से
शब्द कहने से उसे उलझने तमाम होती थी
इमली चटनी…
ContinueAdded by AMAN SINHA on April 27, 2022 at 11:30am — 1 Comment
थक गया हूँ झूठ खुद से और ना कह पाऊंगा
पत्थरों सा हो गया हूँ शैल ना बन पाऊंगा
देखते है सब यहाँ मुझे अजनबी अंदाज़ से
पास से गुजरते है तो लगते है नाराज़ से
बेसबर सा हो रहा हूँ जिस्म के लिबास में
बंद बैठा हूँ मैं कब से अक्स के लिहाफ में
काटता है खालीपन अब मन कही लगता नहीं
वक़्त इतना है पड़ा के वक़्त ही मिलता…
ContinueAdded by AMAN SINHA on April 22, 2022 at 10:30am — 1 Comment
ख़्वाब देखे जो भी मैंने सब अधूरे रह गए
मिटटी के बर्तन थे कच्चे, पानी के संग बह गए
रेत की दीवार थी और दलदली सी छतरही
मौज़ों के टकराव से वो अंत तक लड़ती रही
साल सोलह कर लिए जो पूरे अपने उम्र के
कैद में घिरने लगी मैं बिन किये एक जुर्म के
स्कूल का बस्ता भी मेरा कोने में था पड गया
सांस लेती किताबों पर भी धूल सा एक जम…
ContinueAdded by AMAN SINHA on April 7, 2022 at 3:12pm — 2 Comments
मैं जहाँ पर खड़ा हूँ
वहाँ से हर मोड़ दिखता है
इस जहाँ से उस जहाँ का
हरेक छोर दिखता है
ये वो किनारा है जहां
सब खत्म हुआ समझो
सभी भावनाओं का जैसे
अब अंत हुआ समझो
दर्द मुझे है बहुत मगर
अब उसका कोई इलाज नहीं
मैं ना लगूँ खुश…
ContinueAdded by AMAN SINHA on April 6, 2022 at 10:33am — No Comments
बोल जो हमने लिखे थे गीत तेरे हो गए
साथी मेरे जो भी थे सब मीत तेरे हो गए
वो हया थी या भरम था हम थे जिस पर मर गए
आज भी हम सोचते है क्या ख़ता हम कर गए
चाह थी हंसी की हमको आंसुओ से भर गए
पास थे मंज़िल के अपने गुमशूदा तुम कर गए
एक तेरी खातिर हमतो इस जहाँ से लड़ गए
रस्मों रिवाज़ तोरे हद से हम गुज़र गए
क़तार…
ContinueAdded by AMAN SINHA on April 5, 2022 at 10:00am — No Comments
वो मेरा करीबी था, मैं मगर फरेबी था
इश्क़ वो वफा ओं वाली चाह बन के रह गयी
जो भी सितम हुए, सब मैंने ही सनम किए
टोकरी दुआओं वाली, आह बनके रह गयी
था मेरा गुरूर उसको, मेरा था शुरूर उसको
साथ जब मैंने छोड़ा, आंखे नम रह गयी
सपनों का था एक क़िला, मिलने का वो…
ContinueAdded by AMAN SINHA on April 4, 2022 at 11:28am — 2 Comments
बस बहुत हुआ अब जाने दो, सांस जरा तो आने दो
घुटन भरे इस कमरे मे, जरा धूप तो छंटकर आने दो
बस बहुत हुआ अब जाने दो
बहुत सुनी कटाक्ष तेरी, बात-बात पर दुत्कार तेरी
शुल के जैसे बोल तेरे, चुन-चुन कर मुझे हटाने दो
खामोशी में है प्यार मेरा, ना मुझपर कुछ उपकार तेरा
मुझको जो गरजू समजा…
ContinueAdded by AMAN SINHA on April 1, 2022 at 12:50pm — 1 Comment
मैंने देखा है जहाँ में लोग दो तरह के है
हाँ यहाँ पर हर किसी को रोग दो तरह के है
एक को लगता है जैसे सब देवता के हाथ है
एक को लगता सबकुछ दानवो के साथ है
मन के विश्वास को कोई आस्था बता रहा
दूसरा अपने भरम को सत्य से छिपा रहा
लोगों के आस्था का यहाँ हो रहा व्यापार है
हर गली में पाखंडियों का लग रहा बाज़ार है…
ContinueAdded by AMAN SINHA on March 31, 2022 at 10:14am — 2 Comments
बस कुछ दिनों की बात है, ये वक़्त गुज़र जाएगा
मौत के अंधेरे को चीर के फिर उजला सवेरा आएगा
समय सब्र रखने का है, एक व्रत रखने का है
अगर संयम से चले हम तो फिर ये संकट भी टल जाएगा
बस कुछ ................................................
है प्रार्थना सभी से मिलकर साथ रहो तुम सब
बहूत देख लिया जग हमने, बस घर मे रहो सारे…
ContinueAdded by AMAN SINHA on March 30, 2022 at 10:20am — 3 Comments
कजरा वही गज़रा वही आँखों में है नर्मी वही
पायल वही झुमका वही साँसों में है गर्मी वही
टिका वही बिंदी वही गालो में है लाली वही
काजल वही कंगन वही कानो में है बाली वही
चुनड़ वही घागर वही कमर पर है गागर वही
ताल वही और चाल वही घुँघराले से बाल वही
रूप वही और रंग वही चोली अबी भी तंग वही
अंग वही और ढंग वही रहती हरदम है संग…
ContinueAdded by AMAN SINHA on March 29, 2022 at 10:25am — 12 Comments
किवाड़ के खड़कने के आवाज़ पर
दौड़ कर वो कमरे में चली गयी
आज बाबूजी कुछ कह रहे थे माँ से
अवाज़ थी, पर जरा दबी हुई
बात शादी की थी उसकी चल पड़ी
सुनकर ये ख़बर जरा शरमाई थी
आठवीं जमात हीं बस वो पढ़ी थी
चौदह हीं तो सावन देख पाई थी
हाथ पिले करना उसके तय रहा
बात ये बाबूजी जी ने उससे कह…
ContinueAdded by AMAN SINHA on March 28, 2022 at 10:25am — 2 Comments
ना खबर है राह की ना मजिंल का ठिकाना है
खुद की तलाश में हम खुद को भुलाए जा रहे है
नज़्म है कोई ना कोई गुंज़ाइश-ए तराना है
अंजान अल्फ़ाज़ को खुदका बताए जा रहे है
फलक के अक्स में हम तैरते हुए
उस पार हो भी…
ContinueAdded by AMAN SINHA on March 25, 2022 at 10:30am — No Comments
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