क्या लेना
मुझे मंदिर से क्या लेना
मुझे मस्जिद से क्या लेना
मैं दिल से इबादत करता हूँ
मुझे राम, रहीम संग रहना
मैं गीता पढ़ सकता हूँ
गुरु ग्रन्थ साहिब रट सकता हूँ
कुरान और बाइवल मेरे दिल में बसे
मुझे इन सब के संग रहना
मुझे सियासत नहीं आती
बिलकुल भी नहीं भाती
इक सीधा सदा हूँ इन्सान
मुझे इन्सान बनके ही रहना
में 'दीपक कुल्लुवी' हूँ
मुझे है प्यार दुनिया से
मुझे सबसे मुहब्बत है
मुझे और नहीं कुछ…
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Added by Deepak Sharma Kuluvi on October 1, 2010 at 9:47am —
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कहाँ तक
कहाँ तक संजोउं मैं सपने सुहाने
कहाँ तक बचाऊ मैं सपने सुहाने
अपना ही नाम तक भूलने लगा हूँ
कहाँ तक छुपाऊं मैं सपने सुहाने
क्या हूँ मैं किसको पता
क्या था मैं किसको पता
सबको दिखेगा बस मेरा आज
दिखाऊं किसे ज़ख्म दिल के पुराने
कल तक तो 'दीपक' था 'कुल्लुवी' है आज
किसे क्या पता ,है आवाद या बर्वाद
कोई भूल चुका होगा किसी को याद होगा
किसे क्या पता अब तो हम हैं दीवाने
दीपक शर्मा कुल्लुवी
०९१२३६२११४८६
Added by Deepak Sharma Kuluvi on September 30, 2010 at 11:05am —
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शर्म का घाटा
मिलावट का एक और खुलासा
मिलावट खोरों को शर्म का घाटा
शहद में मीठा ज़हर मिलाया
जिसनें भी खाया वोह पछताया
देश की नामीं बारह कम्पनियों में से
ग्यारह के सैम्पल में पाया
जन्म से लेकर मृत्यु तक
शहद का होता है उपयोग
किसको पता था मिटेंगे नहीं
लग जाएँगे और भी रोग
रामदेव बाबा जी के शहद से लेकर
डाबर तक यह पाया गया
मीठे मीठे चटकारों से
हम सबको बहलाया गया
सूली पर लटका दो सबको
या फिर मार दो गोली
जिस जिसनें…
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Added by Deepak Sharma Kuluvi on September 16, 2010 at 12:30pm —
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कुछ न कुछ
मेरे शे-रों में कुछ न कुछ तो ज़रूर रहा होगा
वर्ना अश्क आपके,इस कदर न छलकते
अंधेरों में ही सही,चिराग जलाने चले आते हो
वर्ना मेरी मजार के आसपास,इस कदर बेबस न भटकते
मायूस होकर ना देखते,बंद फाइलों में तस्वीरें मेरी
मेरी यादों के लिए,इस कदर ना तरसते
यह तो 'दीपक कुल्लुवी' का वादा था याद रखेंगे
आप तो बेवफा थे,इस कदर बेवजह ना बदलते
दीपक शर्मा 'कुल्लुवी'
०९१३६२११४८६
१५/०९/२०१०
Added by Deepak Sharma Kuluvi on September 15, 2010 at 11:16am —
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इंसानियत का फ़र्ज़
डेंगू का कहर देखकर
बेचारे मच्छर भी शरमा गए
अपनें तो पीछे हट गए
बेचारे मच्छर मदद को आ गए
कहनें लगे ना घबराना
हम इंसानियत का फ़र्ज़ निभाएँगे
आपके अपनें तो धोखा दे गए
हम ब्लड डोनेशन को ज़रूर आएँगे
अपना खून देकर भी
हम आपको ज़रूर बचाएँगे
जितना आपसे चूसा था
उससे दुगुना देकर जाएंगे
अपनी तो मज़बूरी थी
ना पीते तो कैसे जीते
लेकिन आपकी खातिर हम
बिन पिए मर जाएंगे
लेकिन आपके अपनों की तरह
पीठ…
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Added by Deepak Sharma Kuluvi on September 13, 2010 at 2:56pm —
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पैरोडी
सखी सैयां तो खूब ही कमात है,महंगाई डायन खाए जात है की धुन पर आधारित
भाई मीडिया तो सच ही दिखात है
शीला जलत भुनत जात है
हत्थनी कुण्ड करे बँटाधार है
बरसात कहर ढाए जात है
भाई मीडिया तो सच -----
सारी दिल्ली है बेहाल
आई फ्लू ,डेंगू की है मार
डाक्टर हो रहे मालामाल
कॉमनवेल्थ सुसरी सर पे सवार है
बरसात कहर ढाए जा-------
भाई मीडिया तो सच ही-----
जहाँ भी देखो जाम ही जाम
सड़कों पर भी चल रही नाव
दिल्ली का जीवन…
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Added by Deepak Sharma Kuluvi on September 13, 2010 at 2:30pm —
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क़दम
उन्ही के कदमों में जा गिरा ज़माना है
इश्क़-ओ-मुहब्बत का जिनके पास ख़ज़ाना है
वफ़ा की सूली पे जो हँसता हुआ चढ़ जाए
नाम-ए-बेवफ़ाई से बिल्कुल जो अंजाना है
ईद और दीवाली में जो फ़र्क़ नहीं करता
अल्ला और राम को एक जिसने माना है
आसां नहीं है जीना ऐसे जनू वालों का
शॅमा की मुहब्बत में हँसकर जल जाते परवाने हैं
'दीपक कुल्लवीउन सबको करता है सलाम
इंसानियत का बोझ जो हंसकर उठाते हैं
दीपक शर्मा कुल्लवी
09136211486
Added by Deepak Sharma Kuluvi on September 10, 2010 at 4:25pm —
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کهن جانگه
कहाँ जाएँगे
कश्ती मंझधार में है बचकर कहाँ जाएंगे
अब तो लगता है ऐ-दिल डूब जाएँगे
कोई आएगा बचाने ऐसा अब दौर कहाँ
अब तो चाहकर भी साहिल पे ना आ पाएँगे
हमनें सोचा था संवर जाएगी हस्ती अपनी
उनके दिल में ही बसा लेंगे बस्ती अपनी
इस भंवर में पहुँचाया हमें अपनों ने ही
अब इस तूफां से क्या खाक बच पाएँगे
अपनी बेबसी पे ऐ-कुल्लुवी क्या बहाएँ आंसू
वक़्त जो बच गया अब उसको कैसे काटूं
चंद लम्हों में यह 'दीपक' भी बुझ जाएगा
हम भी…
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Added by Deepak Sharma Kuluvi on August 19, 2010 at 4:19pm —
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कोन कहता ज़िन्दगी इक गम का नाम है
दर्द मैं डूबी हुई दुखों की खान है
मेरी तरह जलो और रोशन करो दुनियां को
फिर देखो यह ज़िन्दगी कितनी हसीन ख्वाब है
दीपक शर्मा कुल्लुवी
09136211486
Added by Deepak Sharma Kuluvi on August 18, 2010 at 5:47pm —
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ग़ज़ल
تنهى تنهى بيا
तन्हा तन्हा पाया
न उसनें साथ निभाया
न इसने साथ निभाया
जब भी देखा दिल को अपनें
तन्हा तन्हा पाया
कहनें को तो सब थे अपनें
सब तो यही कहते थे
लेकिन जब भी मुड़कर देखा
साथ किसीको ना पाया
कद्र मेरे जज्वातों की
वोह क्या खाक करेंगे
जिनको मुहब्बत नफरत में
फर्क करना ना आया
कोन नहीं चाहता उनकी याद में
बनें ना यादगारें
हमनें अपनी यादों को
सबके दिल…
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Added by Deepak Sharma Kuluvi on August 18, 2010 at 3:36pm —
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कितना बदल गया
मेरा शहर कितना बदल गया
मेरे वास्ते अब क्या रहा
मेरा शहर कितना बदल -----
न वोह मंजिलें न वोह रास्ते
जो कभी थे मेरे वास्ते
यहाँ लुट गया मेरा आशियाँ
यहाँ हमसफ़र न कोई रहा
मेरा शहर कितना बदल -----
जो गुजर गया उसे भूल जा
मेरा दिल यह कहता है मान जा
यह वक़्त की सौगात है
मेरा वक़्त अच्छा ना रहा
मेरा शहर कितना बदल -----
अब तो अजनवी सा लगे शहर
रिश्तों में घुल चुका ज़हर
कहने को सब अपनें हैं
अपनापन अब…
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Added by Deepak Sharma Kuluvi on August 18, 2010 at 12:41pm —
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अफ़सोस
किनारों पे चलाना मुमकिन नहीं था
डूब जाएंगे हम यह डर था हमें
खुद हमनें किनारों पे मारी थी ठोकर
आज तलक रास्ता मिला ना हमें
हम अपनीं तवाही के कसूरबार खुद हैं
संभल ही सके ना यह ग़म है हमें
यादों के नश्तर तीखे बहुत हें
यह अपनें ही ग़म हैं मंज़ूर है हमें
देखते हैं आइना जब फुर्सत में हम
सोचते हैं अक्सर हुआ क्या हमें
जलाते रहो यूँ भी 'दीपक' हैं हम
और आपकी फ़ितरत का ईल्म है हमें
दीपक शर्मा कुल्लुवी
09136211486
Added by Deepak Sharma Kuluvi on August 18, 2010 at 12:26pm —
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हमारी हंसी पे न जाओ यारो
दर्द तो मेरे भी दिल में होता है
लेकिन उनके ग़म की मीठी सी चुभन
रोने भी नहीं देती हमें
DEEPAK KULUVI
Added by Deepak Sharma Kuluvi on August 18, 2010 at 12:25pm —
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نا کارنگه
ना करेंगे
हम दर्द अपना बाँट कर
कुच्छ कम ना करेंगे
जो लिखा है किस्मत में
उसका ग़म ना करेंगे
मिट जाएँगे हंसते हुए
यह जानते हैं हम
बेरुखी पे आपकी
शिकवा ना करेंगे
आपको भी याद तो
आएगी एक दिन
जब ना लगेगा दिल आपका
'दीपक कुल्लुवी' के बिन
आपको हो ना हो
कोई ग़म नहीं
हम तो आपकी मुहब्बत पे
एतवार करेंगे
दीपक शर्मा कुल्लुवी
داپاک شارما…
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Added by Deepak Sharma Kuluvi on August 18, 2010 at 12:22pm —
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क्या होगा
जहाँ सैक्स स्कैंडल हाकी में
इंजेक्शन लगता लौकी में
अस देश का यारो क्या होगा
वहां पड़ता सबको ही रोना
ओ-ओ-ओ-ओ-ओ-ओ-ओ
जहाँ चौड़ी छाती चोरों की
मौज है रिश्वत खोरों की
अस देश का यारो क्या होगा
वहां पड़ता सबको ही रोना
ओ-ओ-ओ-ओ-ओ-ओ-ओ
जहाँ मिलता सबकुछ नकली है
और गरीब की हालत पतली है
अस देश का यारो क्या होगा
वहां पड़ता सबको ही रोना
ओ-ओ-ओ-ओ-ओ-ओ-ओ
दीपक शर्मा कुल्लुवी
09136211486
Added by Deepak Sharma Kuluvi on August 18, 2010 at 10:48am —
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ग़ज़ल
حد
हद
ले लो कुछ मेरे भी गम दोस्तों
कब तलक आपके ग़म उठाऊंगा मैं
बह न जाएँ कभी अश्क डर है मुझे
कब तलक अपनें आसूं छुपाऊंगा मैं
आपकी याद जीने ना देगी मुझे
मोत से खुद को कब तक बचाऊंगा मैं
खुदा तो नहीं मैं भी इन्सान हूँ
ज़ख्म सीने में कब तक दबाऊंगा मैं
ना पीने की हमनें कसम तोड़ दी
आपके ख्यालों से कब तक बहलाऊंगा मैं
दीपक शर्मा कुल्लुवी
دبك شارما كلف
09136211486
Added by Deepak Sharma Kuluvi on August 18, 2010 at 10:45am —
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ए ग़म कब तलक साथ चलता रहेगा
छोड़ दे मेरा साथ अब खुदा के लिए
ज़र्रा ज़र्रा टूट चुका है मेरा नाजुक सा दिल
माँ ले मेरी बात अब खुदा केलिए
दीपक कुल्लुवी
إ جم كاب طلاق ثاث شلت رهج
شهد د مرة سطح أب خودا ك لي
زارا زارا توت شوكة مرة نازك سى ديل
مان ل مري بات أب خودا ك لي
دبك شارما كلف
Added by Deepak Sharma Kuluvi on August 18, 2010 at 10:44am —
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AAKHARI PANNEN
आखरी पन्नें
آخر بن
मेरे आंसुओं के
कद्रदान हैं बहुत
हम रोना नहीं चाहते
वोह बहुत रुलाते हैं
दीपक शर्मा कुल्लुवी
دبك شارما كلف
हमनें किसी के वास्ते
कुछ भी नहीं किया
अब किसको क्या बतलाएं
किस हाल में मैं जिया
दीपक शर्मा कुल्लुवी
دبك شارما كلف
Added by Deepak Sharma Kuluvi on August 16, 2010 at 4:23pm —
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मैं और मेरी शायरी
मुझे अपनी खता मालूम नहीं
पर तेरी खता पर हैराँ हूँ
तकदीर के हाथों बेबस हूँ
अफ़सोस है फिर भी तेरा हूँ
दीपक शर्मा कुल्लुवी
Added by Deepak Sharma Kuluvi on August 16, 2010 at 4:21pm —
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قتل حین
कातिल हैं
तेरी बेरुखी तेरा ग़म
मेरी तकदीर में शामिल है
कभी तो करते हमपे यकीं
के हम भी तेरे काबिल हैं
तेरी बेरुखी तेरा ग़म----
लाख जुदाई हो तो क्या
यादों में कभी हो ना कमीं
बचा लेंगे मंझधार से भी
हम ही तेरे साहिल हैं
तेरी बेरुखी तेरा ग़म----
क़त्ल भी कर दो उफ़ ना करें
हँसते हँसते मर जाएंगे
ना ज़िक्र करेंगे दुनियां से
कि आप ही मेरे कातिल हैं
तेरी बेरुखी तेरा ग़म----
हम 'दीपक' थे जल जाते…
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Added by Deepak Sharma Kuluvi on August 16, 2010 at 2:10pm —
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