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Deepak Sharma Kuluvi's Blog (122)

क्या लेना

क्या लेना





मुझे मंदिर से क्या लेना

मुझे मस्जिद से क्या लेना

मैं दिल से इबादत करता हूँ

मुझे राम, रहीम संग रहना

मैं गीता पढ़ सकता हूँ

गुरु ग्रन्थ साहिब रट सकता हूँ

कुरान और बाइवल मेरे दिल में बसे

मुझे इन सब के संग रहना

मुझे सियासत नहीं आती

बिलकुल भी नहीं भाती

इक सीधा सदा हूँ इन्सान

मुझे इन्सान बनके ही रहना

में 'दीपक कुल्लुवी' हूँ

मुझे है प्यार दुनिया से

मुझे सबसे मुहब्बत है

मुझे और नहीं कुछ… Continue

Added by Deepak Sharma Kuluvi on October 1, 2010 at 9:47am — 3 Comments

कहाँ तक

कहाँ तक

कहाँ तक संजोउं मैं सपने सुहाने
कहाँ तक बचाऊ मैं सपने सुहाने
अपना ही नाम तक भूलने लगा हूँ
कहाँ तक छुपाऊं मैं सपने सुहाने
क्या हूँ मैं किसको पता
क्या था मैं किसको पता
सबको दिखेगा बस मेरा आज
दिखाऊं किसे ज़ख्म दिल के पुराने
कल तक तो 'दीपक' था 'कुल्लुवी' है आज
किसे क्या पता ,है आवाद या बर्वाद
कोई भूल चुका होगा किसी को याद होगा
किसे क्या पता अब तो हम हैं दीवाने

दीपक शर्मा कुल्लुवी

०९१२३६२११४८६

Added by Deepak Sharma Kuluvi on September 30, 2010 at 11:05am — 1 Comment

शर्म का घाटा

शर्म का घाटा



मिलावट का एक और खुलासा

मिलावट खोरों को शर्म का घाटा

शहद में मीठा ज़हर मिलाया

जिसनें भी खाया वोह पछताया

देश की नामीं बारह कम्पनियों में से

ग्यारह के सैम्पल में पाया

जन्म से लेकर मृत्यु तक

शहद का होता है उपयोग

किसको पता था मिटेंगे नहीं

लग जाएँगे और भी रोग

रामदेव बाबा जी के शहद से लेकर

डाबर तक यह पाया गया

मीठे मीठे चटकारों से

हम सबको बहलाया गया

सूली पर लटका दो सबको

या फिर मार दो गोली

जिस जिसनें… Continue

Added by Deepak Sharma Kuluvi on September 16, 2010 at 12:30pm — 5 Comments

कुछ न कुछ

कुछ न कुछ

मेरे शे-रों में कुछ न कुछ तो ज़रूर रहा होगा
वर्ना अश्क आपके,इस कदर न छलकते
अंधेरों में ही सही,चिराग जलाने चले आते हो
वर्ना मेरी मजार के आसपास,इस कदर बेबस न भटकते
मायूस होकर ना देखते,बंद फाइलों में तस्वीरें मेरी
मेरी यादों के लिए,इस कदर ना तरसते
यह तो 'दीपक कुल्लुवी' का वादा था याद रखेंगे
आप तो बेवफा थे,इस कदर बेवजह ना बदलते

दीपक शर्मा 'कुल्लुवी'
०९१३६२११४८६
१५/०९/२०१०

Added by Deepak Sharma Kuluvi on September 15, 2010 at 11:16am — 3 Comments

इंसानियत का फ़र्ज़

इंसानियत का फ़र्ज़



डेंगू का कहर देखकर

बेचारे मच्छर भी शरमा गए

अपनें तो पीछे हट गए

बेचारे मच्छर मदद को आ गए

कहनें लगे ना घबराना

हम इंसानियत का फ़र्ज़ निभाएँगे

आपके अपनें तो धोखा दे गए

हम ब्लड डोनेशन को ज़रूर आएँगे

अपना खून देकर भी

हम आपको ज़रूर बचाएँगे

जितना आपसे चूसा था

उससे दुगुना देकर जाएंगे

अपनी तो मज़बूरी थी

ना पीते तो कैसे जीते

लेकिन आपकी खातिर हम

बिन पिए मर जाएंगे

लेकिन आपके अपनों की तरह

पीठ… Continue

Added by Deepak Sharma Kuluvi on September 13, 2010 at 2:56pm — 1 Comment

पैरोडी :भाई मीडिया तो सच ही दिखात है !

पैरोडी



सखी सैयां तो खूब ही कमात है,महंगाई डायन खाए जात है की धुन पर आधारित



भाई मीडिया तो सच ही दिखात है

शीला जलत भुनत जात है

हत्थनी कुण्ड करे बँटाधार है

बरसात कहर ढाए जात है

भाई मीडिया तो सच -----

सारी दिल्ली है बेहाल

आई फ्लू ,डेंगू की है मार

डाक्टर हो रहे मालामाल

कॉमनवेल्थ सुसरी सर पे सवार है

बरसात कहर ढाए जा-------

भाई मीडिया तो सच ही-----

जहाँ भी देखो जाम ही जाम

सड़कों पर भी चल रही नाव

दिल्ली का जीवन… Continue

Added by Deepak Sharma Kuluvi on September 13, 2010 at 2:30pm — 3 Comments

क़दम

क़दम


उन्ही के कदमों में जा गिरा ज़माना है
इश्क़-ओ-मुहब्बत का जिनके पास ख़ज़ाना है
वफ़ा की सूली पे जो हँसता हुआ चढ़ जाए
नाम-ए-बेवफ़ाई से बिल्कुल जो अंजाना है
ईद और दीवाली में जो फ़र्क़ नहीं करता
अल्ला और राम को एक जिसने माना है
आसां नहीं है जीना ऐसे जनू वालों का
शॅमा की मुहब्बत में हँसकर जल जाते परवाने हैं
'दीपक कुल्लवीउन सबको करता है सलाम
इंसानियत का बोझ जो हंसकर उठाते हैं


दीपक शर्मा कुल्लवी
09136211486

Added by Deepak Sharma Kuluvi on September 10, 2010 at 4:25pm — 2 Comments

कहाँ जाएँगे

کهن جانگه



कहाँ जाएँगे



कश्ती मंझधार में है बचकर कहाँ जाएंगे

अब तो लगता है ऐ-दिल डूब जाएँगे

कोई आएगा बचाने ऐसा अब दौर कहाँ

अब तो चाहकर भी साहिल पे ना आ पाएँगे

हमनें सोचा था संवर जाएगी हस्ती अपनी

उनके दिल में ही बसा लेंगे बस्ती अपनी

इस भंवर में पहुँचाया हमें अपनों ने ही

अब इस तूफां से क्या खाक बच पाएँगे

अपनी बेबसी पे ऐ-कुल्लुवी क्या बहाएँ आंसू

वक़्त जो बच गया अब उसको कैसे काटूं

चंद लम्हों में यह 'दीपक' भी बुझ जाएगा

हम भी… Continue

Added by Deepak Sharma Kuluvi on August 19, 2010 at 4:19pm — 3 Comments

कोन कहता

कोन कहता ज़िन्दगी इक गम का नाम है
दर्द मैं डूबी हुई दुखों की खान है
मेरी तरह जलो और रोशन करो दुनियां को
फिर देखो यह ज़िन्दगी कितनी हसीन ख्वाब है

दीपक शर्मा कुल्लुवी

09136211486

Added by Deepak Sharma Kuluvi on August 18, 2010 at 5:47pm — 3 Comments

तन्हा तन्हा पाया

ग़ज़ल

تنهى تنهى بيا

तन्हा तन्हा पाया





न उसनें साथ निभाया

न इसने साथ निभाया

जब भी देखा दिल को अपनें

तन्हा तन्हा पाया

कहनें को तो सब थे अपनें

सब तो यही कहते थे

लेकिन जब भी मुड़कर देखा

साथ किसीको ना पाया

कद्र मेरे जज्वातों की

वोह क्या खाक करेंगे

जिनको मुहब्बत नफरत में

फर्क करना ना आया

कोन नहीं चाहता उनकी याद में

बनें ना यादगारें

हमनें अपनी यादों को

सबके दिल… Continue

Added by Deepak Sharma Kuluvi on August 18, 2010 at 3:36pm — 4 Comments

कितना बदल गया

कितना बदल गया



मेरा शहर कितना बदल गया

मेरे वास्ते अब क्या रहा

मेरा शहर कितना बदल -----

न वोह मंजिलें न वोह रास्ते

जो कभी थे मेरे वास्ते

यहाँ लुट गया मेरा आशियाँ

यहाँ हमसफ़र न कोई रहा

मेरा शहर कितना बदल -----

जो गुजर गया उसे भूल जा

मेरा दिल यह कहता है मान जा

यह वक़्त की सौगात है

मेरा वक़्त अच्छा ना रहा

मेरा शहर कितना बदल -----

अब तो अजनवी सा लगे शहर

रिश्तों में घुल चुका ज़हर

कहने को सब अपनें हैं

अपनापन अब… Continue

Added by Deepak Sharma Kuluvi on August 18, 2010 at 12:41pm — 4 Comments

अफ़सोस

अफ़सोस

किनारों पे चलाना मुमकिन नहीं था
डूब जाएंगे हम यह डर था हमें
खुद हमनें किनारों पे मारी थी ठोकर
आज तलक रास्ता मिला ना हमें
हम अपनीं तवाही के कसूरबार खुद हैं
संभल ही सके ना यह ग़म है हमें
यादों के नश्तर तीखे बहुत हें
यह अपनें ही ग़म हैं मंज़ूर है हमें
देखते हैं आइना जब फुर्सत में हम
सोचते हैं अक्सर हुआ क्या हमें
जलाते रहो यूँ भी 'दीपक' हैं हम
और आपकी फ़ितरत का ईल्म है हमें

दीपक शर्मा कुल्लुवी

09136211486

Added by Deepak Sharma Kuluvi on August 18, 2010 at 12:26pm — 2 Comments

NA JAAO

हमारी हंसी पे न जाओ यारो
दर्द तो मेरे भी दिल में होता है
लेकिन उनके ग़म की मीठी सी चुभन
रोने भी नहीं देती हमें

DEEPAK KULUVI

Added by Deepak Sharma Kuluvi on August 18, 2010 at 12:25pm — 1 Comment

ना करेंगे & आओ

نا کارنگه



ना करेंगे



हम दर्द अपना बाँट कर

कुच्छ कम ना करेंगे

जो लिखा है किस्मत में

उसका ग़म ना करेंगे

मिट जाएँगे हंसते हुए

यह जानते हैं हम

बेरुखी पे आपकी

शिकवा ना करेंगे

आपको भी याद तो

आएगी एक दिन

जब ना लगेगा दिल आपका

'दीपक कुल्लुवी' के बिन

आपको हो ना हो

कोई ग़म नहीं

हम तो आपकी मुहब्बत पे

एतवार करेंगे





दीपक शर्मा कुल्लुवी

داپاک شارما… Continue

Added by Deepak Sharma Kuluvi on August 18, 2010 at 12:22pm — 2 Comments

क्या होगा

क्या होगा

जहाँ सैक्स स्कैंडल हाकी में
इंजेक्शन लगता लौकी में
अस देश का यारो क्या होगा
वहां पड़ता सबको ही रोना
ओ-ओ-ओ-ओ-ओ-ओ-ओ
जहाँ चौड़ी छाती चोरों की
मौज है रिश्वत खोरों की
अस देश का यारो क्या होगा
वहां पड़ता सबको ही रोना
ओ-ओ-ओ-ओ-ओ-ओ-ओ
जहाँ मिलता सबकुछ नकली है
और गरीब की हालत पतली है
अस देश का यारो क्या होगा
वहां पड़ता सबको ही रोना
ओ-ओ-ओ-ओ-ओ-ओ-ओ

दीपक शर्मा कुल्लुवी
09136211486

Added by Deepak Sharma Kuluvi on August 18, 2010 at 10:48am — 2 Comments

हद

ग़ज़ल
حد

हद


ले लो कुछ मेरे भी गम दोस्तों
कब तलक आपके ग़म उठाऊंगा मैं
बह न जाएँ कभी अश्क डर है मुझे
कब तलक अपनें आसूं छुपाऊंगा मैं
आपकी याद जीने ना देगी मुझे
मोत से खुद को कब तक बचाऊंगा मैं
खुदा तो नहीं मैं भी इन्सान हूँ
ज़ख्म सीने में कब तक दबाऊंगा मैं
ना पीने की हमनें कसम तोड़ दी
आपके ख्यालों से कब तक बहलाऊंगा मैं

दीपक शर्मा कुल्लुवी

دبك شارما كلف

09136211486

Added by Deepak Sharma Kuluvi on August 18, 2010 at 10:45am — No Comments

कब तलक

ए ग़म कब तलक साथ चलता रहेगा

छोड़ दे मेरा साथ अब खुदा के लिए

ज़र्रा ज़र्रा टूट चुका है मेरा नाजुक सा दिल

माँ ले मेरी बात अब खुदा केलिए

दीपक कुल्लुवी

إ جم كاب طلاق ثاث شلت رهج
شهد د مرة سطح أب خودا ك لي
زارا زارا توت شوكة مرة نازك سى ديل
مان ل مري بات أب خودا ك لي
دبك شارما كلف

Added by Deepak Sharma Kuluvi on August 18, 2010 at 10:44am — No Comments

आखरी पन्नें

AAKHARI PANNEN
आखरी पन्नें
آخر بن

मेरे आंसुओं के
कद्रदान हैं बहुत
हम रोना नहीं चाहते
वोह बहुत रुलाते हैं

दीपक शर्मा कुल्लुवी
دبك شارما كلف

हमनें किसी के वास्ते
कुछ भी नहीं किया
अब किसको क्या बतलाएं
किस हाल में मैं जिया

दीपक शर्मा कुल्लुवी
دبك شارما كلف

Added by Deepak Sharma Kuluvi on August 16, 2010 at 4:23pm — 4 Comments

मैं और मेरी शायरी

मैं और मेरी शायरी


मुझे अपनी खता मालूम नहीं
पर तेरी खता पर हैराँ हूँ
तकदीर के हाथों बेबस हूँ
अफ़सोस है फिर भी तेरा हूँ

दीपक शर्मा कुल्लुवी

Added by Deepak Sharma Kuluvi on August 16, 2010 at 4:21pm — 2 Comments

कातिल हैं

قتل حین



कातिल हैं



तेरी बेरुखी तेरा ग़म

मेरी तकदीर में शामिल है

कभी तो करते हमपे यकीं

के हम भी तेरे काबिल हैं

तेरी बेरुखी तेरा ग़म----

लाख जुदाई हो तो क्या

यादों में कभी हो ना कमीं

बचा लेंगे मंझधार से भी

हम ही तेरे साहिल हैं

तेरी बेरुखी तेरा ग़म----

क़त्ल भी कर दो उफ़ ना करें

हँसते हँसते मर जाएंगे

ना ज़िक्र करेंगे दुनियां से

कि आप ही मेरे कातिल हैं

तेरी बेरुखी तेरा ग़म----

हम 'दीपक' थे जल जाते… Continue

Added by Deepak Sharma Kuluvi on August 16, 2010 at 2:10pm — 5 Comments

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