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Kalipad Prasad Mandal's Blog – July 2016 Archive (4)

दोहे !

अन्तर कितना हो गया, कौमें नहीं करीब

पहला छोर अमीर तो, अन्तिम छोर गरीब |६|

  

शुद्ध भाव से सीखते, कपटीपन का पाठ

बिना भ्रष्ट आचार के.नहीं राजसी ठाठ   |७|

जनता हित के नाम से, नेता करते काम

पेटी भरते स्वयं की, ले भारत का नाम |८|

  

काला धन सोने  नहीं, देता सुख  की नींद 

कर भरकर ईमान से, हँसो मनाओ ईद |९|

   

रख कर 'काली' सम्पदा, किया भ्रष्ट ईमान

सब जनता मानते  उन्हें,,कलियुग का भगवान्…

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Added by Kalipad Prasad Mandal on July 27, 2016 at 6:00am — 5 Comments

दोहे

दोहे !

डायन महँगाई  करे, पिया को परेशान

काट छाँट हर चीज़ में, कम हुआ खान -पान

खमा बहादुर ही करे, कायर का क्या काम

क्रोध घृणा की भावना, खुद को करे तमाम |

   

रस्सी खोलो मोह की, फिर देखो  संसार   

भौतिक धन दौलत सभी, दुनियाँ निरा असार |

चिंता छोड़ जहान की, चिन्तन कर भगवान

चिन्ता मन का रोग है, चिन्ता चिता समान

ज्योत जलाकर  ज्ञान की, रोशन कर तू राह 

राह नहीं चलना सरल, आँधार है अथाह…

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Added by Kalipad Prasad Mandal on July 25, 2016 at 5:00pm — 6 Comments

दोहे!

ईमान पर न टंगती, आज देश की नीति

बे-ईमानी हो गई, हर पार्टी की रीति  |1|

भूल हुई है आम से, जनता अब पछताय    

बाहर पहुंच  दाल है, भात नमक से खाय |२|   

टूट गये  सब वायदे, समय हुआ प्रतिकूल

अब चुनाव ही हारकर, वो समझेगा भूल |३|

शुभदिन अब कब आयगा, हुए भले दिन दूर

महँगाई को झेलने, जनता है मजबूर |४|

देखा समतावाद को,  है स्वांग अर्थ हीन

धनियों की यह मंडली,  दूर है  दीन हीन |५|

मौलिक…

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Added by Kalipad Prasad Mandal on July 21, 2016 at 9:30am — 5 Comments

ग़ज़ल

२१२२        २१२२     २१२२       २२

जिंदगी क्या है ज़रा नज़रे उठा कर  देखो

अश्क बारी  बंद कर चश्में सुखा कर  देखो |

जिंदगी भर  लालसा के पीछे भागे तुम क्यूँ    

शांति से तुम सोचकर कारण पता कर देखो |

मुफलिसी को तुम भी हंसी  में चिढ़ाया होगा

मुफलिसों को कुछ कभी तो तुम खिला कर देखो |

चश्मा पहने हो जो उसको  साफ़ करना  होगा

शान शौकत  धन के ऐनक को हटा कर  देखो |

मानुषिकता में नहीं कोई बड़ा या…

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Added by Kalipad Prasad Mandal on July 17, 2016 at 7:30am — No Comments

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