For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रविकर's Blog – March 2013 Archive (9)

होली का त्यौहार, इंद्र की धनुही ताके ||

मौलिक अप्रकाशित

धनुही ताके फाग में, आसमानि सुनसान |

नीलकंठ नीलांग को, बैंगनिया पकवान |



बैंगनिया पकवान, सभी को चढ़ी हरेरी |

पीले…

Continue

Added by रविकर on March 19, 2013 at 5:34pm — 1 Comment

यह नारा कमजोर था, नारा नारीखोर-

मौलिक/अप्रकाशित

नारा की नाराजगी, जगी आज की भोर ।

यह नारा कमजोर था, नारा नारीखोर ।

नारा नारीखोर, लगे सड़कों…

Continue

Added by रविकर on March 11, 2013 at 9:04pm — 4 Comments

दीमक बिच्छू साँप से, पाला पड़ता जाय -

मौलिक / अप्रकाशित

दीमक बिच्छू साँप से, पाला पड़ता जाय ।

पाला इस गणतंत्र ने, पाला आम नशाय ।

पाला आम नशाय, पालता ख़ास सँपोला ।

भानुमती…

Continue

Added by रविकर on March 4, 2013 at 9:22am — 16 Comments

अब बजट में आदमी - हो गया सस्ता चले ।।

मौलिक/अप्रकाशित

जब कभी रस्ता चले ।

फब्तियां कसता चले ।।

जान जोखिम में मगर-

मस्त-मन हँसता चले…

Continue

Added by रविकर on March 3, 2013 at 4:04pm — 1 Comment

बजट बिराना पेश, देखता रहा बिराना

मौलिक / अप्रकाशित

राना जी छत पर पड़े, गढ़ में बड़े वजीर |

नई नई तरकीब से, दे जन जन को पीर |



दे जन जन को पीर, नीर गंगा जहरीला |

मँहगाई *अजदहा, समूचा कुनबा लीला |…

Continue

Added by रविकर on March 2, 2013 at 5:38pm — 3 Comments

बेंच बेंच दूल्हा किया, शादीघर बदहाल-

मौलिक / अप्रकाशित

बड़ा बटोरा आज तक, लोलुपता ने माल |

बेंच बेंच दूल्हा किया, शादीघर बदहाल |

शादीघर बदहाल, सुता चैतन्य आज है ।…

Continue

Added by रविकर on March 2, 2013 at 4:44pm — 10 Comments

जीते चालीस चोर, रोज मरती मरजीना-

मौलिक / अप्रकाशित



जीना मुश्किल हो गया, बोला घपलेबाज |

पहले जैसा ना रहा, यह कांग्रेसी राज |



यह कांग्रेसी राज, नियम से करूँ घुटाला |

पर सांसत में जान, पडा इटली से पाला |…



Continue

Added by रविकर on March 1, 2013 at 5:30pm — 9 Comments

हास-परहास :मग में बीचो बीच, सिंह दमदार डटा था

मौलिक - अप्रकाशित

खर्राटों के बीच में, सोया आँखें मीच |

पता नहीं किस तरफ से, देह दबाया नीच |



देह दबाया नीच, सींच कर खेत हटा था-

मग में बीचो बीच, सिंह दमदार डटा था |…

Continue

Added by रविकर on March 1, 2013 at 5:15pm — 5 Comments

जजिया कर फिर जिया, जियाये बजट हालिया-

 

मौलिक / अप्रकाशित

करकश करकच करकरा, कर करतब करग्राह ।

तरकश से पुरकश चले, डूब गया मल्लाह ।

डूब गया मल्लाह, मरे सल्तनत मुगलिया ।

जजिया कर फिर जिया, जियाये बजट हालिया ।

धर्म…

Continue

Added by रविकर on March 1, 2013 at 10:45am — 22 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम्"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
Wednesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Jul 12
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service