For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -- किसी का कहा मानता ही कहाँ है

122--122--122--122

किसी का कहा मानता ही कहाँ है
वो अपनी ख़ता मानता ही कहाँ है

न काफ़िर कहूँ तो उसे मैं कहूँ क्या
है बुत में ख़ुदा मानता ही कहाँ है

है छोटी बहुत सोच उसकी करें क्या
किसी को बड़ा मानता ही कहाँ है

शिकायत यही है हर इक आदमी की
मेरी दूसरा मानता ही कहाँ है

मेरे पास हल है, सभी मुश्किलों का
कोई मश् वरा मानता ही कहाँ है

लगाना पड़ा झूठ का मुँह पे ग़ाज़ा
कि सच आइना मानता ही कहाँ है

भला आदमी है उसे कुछ भी कहदो
किसी का बुरा मानता ही कहाँ है

रक़ीबों के झाँसे में आया है दिलबर
मुझे बावफ़ा मानता ही कहाँ है

हुक़ूमत है 'खुरशीद' अब तीरगी की
मगर हौसला मानता ही कहाँ है
मौलिक और अप्रकाशित

'खुरशीद' खैराड़ी जोधपुर । 09413408422

Views: 902

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by रामबली गुप्ता on July 21, 2017 at 7:31am
भाई खुर्शीद जी मुग्ध कर दिया आपकी इस शानदार ग़ज़ल ने। मतले से लेकर मक्ते तक हर शैर दमदार है। दिल से बधाई स्वीकार करें।सादर

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 20, 2017 at 11:47pm

बहुत खूब, आदरणीय खुर्शीद भाई. अव्वल तो मंच पर आपका पुनः स्वागत है. फिर इस गहरी ग़ज़लग़ोई के लिए बधाइयाँ पेश है. रदीफ़ लम्बा हो तो कहन को साधना एक कठिन काम है. लेकिन आपने इस काम को बहुत ही होशियारी से निभाया है. कहन के हिसाब से सभी शेर उम्दा बन पड़े हैं. 

शुभ-शुभ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 16, 2017 at 9:22pm

वाह्ह्ह बहुत सुन्दर ग़ज़ल कही है मोहतरम जनाब खुर्शीद खैराडी जी शेर दर शेर मुबारक बाद कुबूलें 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 16, 2017 at 2:42pm

वाह वाह बेहद खुबसूरत ग़ज़ल कही है अपने आदरणीय खुर्शीद जी . हार्दिक बधाई आपको .

Comment by narendrasinh chauhan on July 15, 2017 at 4:32pm

बहुत खूबसूरत 

Comment by Samar kabeer on July 13, 2017 at 11:11am
जैसा कि आप जानते हैं ये मंच सीखने सिखाने का मंच है, और आप ही की तरह मैं भी इसी मिटटी से पैदा हुआ हूँ,और आपने जो कहा है उसे मैं समझता हूँ,लेकिन सिखने सिखाने के क्रम में ऐसी जानकारी मंच को देना मैं अपना फ़र्ज़ समझता हूँ सिर्फ़ इसी लिये लिख दिया था ।
Comment by khursheed khairadi on July 13, 2017 at 7:14am
सभी आदरणीय रचनाकारों का हृदय से आभार। आदरणीय समर सर, हिंदी और उर्दू हिन्दुस्थान की मिट्टी में जायी-जन्मी सगी बहनें हैं। इनके मूल संस्कृत-फारसी शब्दों से इन भाषाओँ के शब्दों का उच्चारण हिंदुस्थानी में अलग हो जाता है। जैसे कोई कहे पत्ता किन्तु मूल शब्द पत्र होता है। मेरे पास तो मुहम्मद मुस्तफ़ा खान मद्दाह का उत्तरप्रदेश हिंदी संस्थान का शब्दकोष है। वहाँ काफ़िर ही है, नीचे नोट दिया है कि फ़ारसी वाले काफ़र लिखते हैं। अब मैं तो हिंदुस्थानी हूँ, फ़ारसी तो नहीं। मेरी ग़ज़ल हिंदुस्थानी ज़बान (ज़ुबान, भी सही है) की ग़ज़ल है, फ़ारसी की नहीं। और में तो उर्दू भी नहीं जानता हूँ। इसलिए आपके फ़ारसी शब्दकोष के मानक पर नहीं चल पाने के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ।
सादर।
Comment by Mahendra Kumar on July 12, 2017 at 7:47pm

आ. ख़ुर्शीद जी, बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही आपने. सभी शेर ख़ूबसूरत हैं. हार्दिक बधाई प्रेषित है. सादर.

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 11, 2017 at 11:03pm
आ.खुर्शीद जी ईस बेहतरीन गजल के लिए हार्दिक बधाई।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 11, 2017 at 9:00pm

जानदार शानदार , आदरणीय

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Nov 17

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service