ओपन बुक्स ऑनलाइन के सभी सदस्यों को प्रणाम, बहुत दिनों से मेरे मन मे एक विचार आ रहा था कि एक ऐसा फोरम भी होना चाहिये जिसमे हम लोग अपने सदस्यों की ख़ुशी और गम को नजदीक से महसूस कर सके, इसी बात को ध्यान मे रखकर यह फोरम प्रारंभ किया जा रहा है, जिसमे सदस्य गण एक दूसरे के सुख और दुःख की बातो को यहाँ लिख सकते है और एक दूसरे के सुख दुःख मे शामिल हो सकते है |
धन्यवाद सहित
आप सब का अपना
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जान में जान आई सर...
बजा फ़रमाया ।
अलविदा महिमा जी
महिमाश्री जी को मैं एक संवेदनशील रचनाकार के रूप में जानता था, उनसे मेरी पहचान ओबीओ पर ही हुई थी। वे बेहद संवेदनशील रचनाकार थीं, वो अपनी खुशी दूसरों से साझा करना चाहती थी पर शायद तकलीफ नहीं, इसलिए उन्होंने शुरू में शायद यह ज़ाहिर नहीं किया कि उन्हें कैंसर जैसी दुःसाध्य बीमारी ने जकड़ लिया है। मगर मैं इस सोच में था कि वह इसके विरुद्ध जंग जीतकर लौट आई हैं। आज अचानक उनके निधन का बेहद दुःखद समाचार सुनकर स्तब्ध हूँ, जो मुझे फेसबुक पर आदरणीया कल्पना भट्ट दीदी की पोस्ट से मिला।
विनम्र श्रद्धांजलि ।
विनम्र श्रद्धांजलि प्रिय महिमा श्री | यूं ऐसे कोई जाता है क्या भला?
महिमा श्री शायद २००७ के लगभग जागरण जंक्शन पर साथ-साथ ब्लॉग लिखने से परिचय में आयी. लगभग एक साथ ही ओ बी ओ से जुड़ीं. २०१४ में हल्द्वानी में हुए ओ बी ओ के प्रथम कार्यक्रम में उससे मुलाक़ात का अवसर मिला था. गद्य लेखन उसे अधिक प्रिय था. अपनी कुछ कवितायेँ और कल्लोलिनी में समीक्षा के लिए पुस्तक भेजने पर व्हाट्स अप के अनुसार १६ अप्रेल को उससे अंतिम बार चर्चा हुई. ज़रा भी ऐसा नहीं लगता था कि यह आखिरी बार बात हो रही है. किन्तु ईश्वर की मर्जी के आगे किसकी चली है. मन बहुत खिन्न है. विनम्र श्रृद्धांजलि.
विनम्र श्रद्धांजलि
दुःखद ख़बर....भावपूर्ण श्रद्धांजलि
बेहद दुखद।विनम्र श्रद्धांजलि
आदरणीया कल्पना भट्ट जी की पोस्ट से ज्ञात हुआ कि ओपेनबुक्स ओ लाइन की एक समय की सक्रिय सदस्य युवा कवयित्री नहीं रहीं। अत्यंत ही दुःखद समाचार है। ओबीओ के बैनरतले प्राची सिंह जी के संयोजन में हल्द्वानी में आयोजित समारोह में महिमा जी से मुलाकात हुई थी। वीनस केसरी जी द्वारा इलाहाबाद में आयोजित पुस्तक विमोचन समारोह में भी उनसे मुलाकात हुईथी। वीनस केसरी जी द्वारा लखनऊ में आयोजित पुस्तक विमोचन समारोह में भी हम मिले थे। वह खुशमिजाज सदस्य थी। महिमा जी को विनम्र श्रद्धांजलि।
अलबेला खत्री जी, संजय मिश्रा हबीब जी, अरुण अनंत जी और अब महिमाश्री....अल्प समय में ही, अल्पायु में ही इनका जाना हृदय को पीड़ा दे रहा है।
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