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करने लगे है वो भी हमपे ऐतबार थोडा थोडा ।
उनको भी हो गया है हमसे प्यार थोडा थोडा ॥
रहते थे जो परदो मे छुप छुप के कल तलक ।
अब होने लगा है उनका भी दीदार थोडा थोडा ॥
कहते थे वो इश्क विश्क बाते है फिजूल की ।
चढने लगा है उनपे भी ये खुमार थोडा थोडा ॥
उडी है नीँद रातो की करार छिन गया दिन का ।
अब रहने लगे है वो भी बेकरार थोडा थोडा ॥
है हक चुमना भंबरो का फूलो को बेधडक ।
हम को भी दे दो वो अधिकार थोडा…
ContinuePosted on April 28, 2014 at 10:00pm — 2 Comments
मिजाज मेरे शहर का रंगीन बडा है ।
हर मौसम यहाँ का बेहतरीन बडा है ।।
आंखो मे सुरमा मुहँ मे पान रचा है ।
हर शख्स यहाँ का शौकीन बडा है ।1।
शोखिया अदाये वो इठलाती जबानी ।
यहाँ हुस्नो शबाब नाजनीन बडा है ।2।
है झील का किनारा वो लहरो की मस्ती ।
हर नजारा यहाँ दिल नशीन बडा है ।3।
हरसू है बस प्यार मोहब्बत की बाते ।
नफरत यहाँ जुर्म संगीन बडा है ।4।
हो इक शहर ऐसा भी इस जहाँ मे कही…
ContinuePosted on February 24, 2014 at 12:30pm — 6 Comments
सूरज को पिघलते देखा है
वक्त के साथ रिश्तो को बदलते देखा है ।
दौलत के लिये अपनो को लडते देखा है ॥
लिये आग चढा था जो सुबह आसँमा पे
शाम उस सूरज को पिघलते देखा है ।।
तैरा था जो लहरो के विपरीत हरदम ।
साहिल पे उस जहाज को डूबते देखा है ।।
हुआ करती थी जहाँ संस्कारो की बाते ।
हाँ आज मैने उन घरो को टूटते देखा है ॥
बैठा था कल तक जो किस्मत के भरोसे
उस शख्स को आज हाथ मलते…
ContinuePosted on December 19, 2013 at 11:30am — 15 Comments
मुतदारिक मुसद्दस सालिम
212 /212/ 212
जिन्दगी जिन्दगी जिन्दगी ।
बन्दगी तिश्नगी आशिकी ॥
जिन्दगी जिन्दगी जिन्दगी ।…
ContinuePosted on October 1, 2013 at 4:30pm — 16 Comments
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Comment Wall (6 comments)
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Bahut Bahut Sundarr Hridaysparshi rachna
रचना पसंद करने के लिए आपका तहेदिल से आभार और धन्यवाद !
bhai basant nema ji, aapka swagat hai.
आ0 बसन्त नेमा जी, मित्रता अतिपावन कड़ी को जोड़ती है। आपका सादर अभिनन्दन व हार्दिक स्वागत है। सादर,
मुख्य प्रबंधकEr. Ganesh Jee "Bagi" said…
बहुत बहुत आभार आदरणीय बसंत नेमा जी ।
सदस्य कार्यकारिणीrajesh kumari said…
आपका स्वागत है