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आपकी याद आई खुशी दे गयी।
होंठ में इक मधुर सी हँसी दे गयी।।
जाम हाथों मे हमने न थामा कभी।
आज तेरी छुअन बेखुदी दे गयी।।
//मौलिक व अप्रकाशित//
Posted on November 6, 2017 at 2:30pm — 6 Comments
(दिगपाल छंद विधान:- यह छंद 24 मात्रायों का, जिसमें 12 -12 में यति के साथ चरण पूर्ण होता है)
तजि अधर्म,कर्म,सुधर्म कर,
गीता तुझे बताए I
हों शुद्ध,बुद्ध,प्रबुद्ध सब,
निज धर्म को न भुलाए I I
धर नव नीव स्वधर्म की,
शिव ही सत्य मानिए I
छोड़ सकल लोभ मोह,
ऒम ही सर्व जानिए I I
मौलिक व अप्रकाशित
Posted on October 26, 2013 at 3:00pm — 18 Comments
प्रेम में मगन मैं, होने लगा हूँ
जग से नाता तोड़ चला हूँ,मैं
जग से नाता तोड़ चला हूँ
प्रेम में मगन मैं, होने लगा हूँ
उनसे मिलन की, आस लिए
अंधरों बड़ी प्यास, लिए
दर बदर मैं, भटक रहा हूँ, हाँ
दर बदर मैं, भटक रहा हूँ
प्रेम में मगन मैं, होने लगा हूँ
आएगी कब वह, रात सुहानी
होंगी जब वो,मेरी दीवानी
रात और दिन यही, सोच रहा हूँ, मैं
रात और दिन यही, सोच रहा हूँ
प्रेम में मगन मैं, होने लगा हूँ
हर…
ContinuePosted on October 11, 2013 at 3:30pm — 9 Comments
सुन्दरता इसको घेरी है
मादकता इसमें पिरोई है
मीठे में मिश्री जैसा मेरा गाँव
सबसे प्यारा सबसे न्यारा मेरा गाँव
उंच नीच का भेद नहीं है
शहरों जैसा क्लेश नहीं है
फूलों में गुलशन जैसा मेरा गाँव
सबसे प्यारा सबसे न्यारा मेरा गाँव
सुन्दरता तरुओं की प्यारी
मादकता सरसों की सारी …
Posted on July 6, 2013 at 2:30pm — 4 Comments
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मित्रता का हाथ बढ़ाने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय।
सादर,
विजय निकोर