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हम नौसिखुओं को हिन्दी की छंदोबद्ध रचनाओं में अंग्रेजी के कुछ शब्दों के प्रयोग में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है।यथा मेरे द्वारा रचित एक दोहे की अर्द्धाली निम्नवत् है-//एफ. डी. आई से भला होगा देश…Continue
Started this discussion. Last reply by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी Apr 5, 2013.
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Posted on July 5, 2017 at 4:51pm — 4 Comments
Posted on April 3, 2017 at 9:29am — 14 Comments
Posted on March 31, 2017 at 2:26pm — 4 Comments
Posted on March 18, 2017 at 7:44pm — 3 Comments
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Comment Wall (13 comments)
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सदस्य कार्यकारिणीमिथिलेश वामनकर said…
आदरणीय विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी जी,
ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें...
सादर धन्यवाद
स्नेही विनय जी
आपने अपने व्यस्त समय से मुझे मार्गदर्शन किया. काफी विस्त्रत जानकारी दी. निराशा थी. प्रोत्साहन मिला .स्नेह बनाये रखिये.
प्रिय बन्धु,आपका आभार किन शब्दों में व्यक्त करूँ ...शब्द नहीं हैं...आपने मुझको इस साईट से परिचित करवाकर मेरे लिए ज्ञान का महासागर समक्ष कर दिया है ....अब यह पूरी तरह मेरे ऊपर निर्भर है की मैं इस महासागर की कितनी गहराइयों में उतरकर अपने लिए ज्ञान के मोती चुनूँ...मेरा पूरा प्रयास रहेगा की हमेशा आप सबके स्नेहाशीष से आपकी अपेक्षाओं को पूरा कर सकने में समर्थ हो पाऊं .......अत्यंत आभार ....ह्रदय से ........
आदरणीय विन्ध्येश्वरी प्रसाद जी
कल बहुतों का कल ले लेता .
कल को छीन विकल कर देता।
पूरी रचना अच्छी लगी।
आपने मुझे मित्रता योग्य समझा इसके लिए आपका आभार!
प्रिय भाई विन्ध्येश्वरी जी, आपकी सहृदय संवेदनाओं से बड़ा संबल मिला है...
सादर नमन।
Bhai Tripathi ji, Hamari Mitra mandali me aapka khule dil se svagat hai.
आदरणीय , श्री त्रिपाठी जी.
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