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ओबीओ परिवार के सभी…Continue
Started this discussion. Last reply by Sheikh Shahzad Usmani Sep 9, 2017.
हमारे ओबीओ से जुड़े एक मित्र श्री अलबेला खत्री जी बहुत गंभीर अवस्था में सूरत के अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं जिस किसी से कोई भी सहायता बने कर सकते हैं भगवान् से प्रार्थना है वो जल्दी…Continue
Started this discussion. Last reply by Saurabh Pandey Apr 5, 2014.
१४ जून २०१३ की शाम ओबीओ की…Continue
Started this discussion. Last reply by rajesh kumari Jul 1, 2013.
मुझे गर्व है कि मेरे दामाद (थल सेना कर्नल) को गणतंत्र दिवस के अवसर पर सेना मैडल से सम्मानित किया गया है|…Continue
Started this discussion. Last reply by rajesh kumari Feb 22, 2013.
२१२२ २१२२ २१२२ २१२
वो मेरी खामोशियों को हाँ म हाँ समझा किया
मुझको धरती और खुद को आसमाँ समझा किया
पहना जब तक सादगी और शर्म का मैंने लिबास
ये ज़माना यार मुझको नातवाँ समझा किया
उस कहानी के सभी किरदार उसको थे अज़ीज़
बस मेरे किरदार को ही रायगाँ समझा किया
जिस्म मेरा रूह मेरी जिस चमन पर थी निसार
वो फ़कत मुझको वहाँ का पासबाँ समझा किया
जिसकी दीवारों में माज़ी सांस लेता था कभी
यादों से भरपूर घर को वो…
ContinuePosted on March 17, 2018 at 2:30pm — 18 Comments
2122 2122 2122 2122
इन बहारों में भी गुल ये हो गये हैं ज़र्द साहिब
चढ़ गई वहशत कि इनपर क्यूँ अभी से गर्द साहिब
जब जहाँ चाहा किसी ने सूँघ कर फिर फेंक डाला
पूछने वाला न कोई नातवाँ का दर्द साहिब
जो रफू कर दें किसी औरत के आँचल को नज़र से
अब कहाँ हैं ऐसी नजरें अब कहाँ वो मर्द साहिब
हो गये पत्थर के जैसे फ़र्क क्या पड़ता इन्हें कुछ
हो झुलसता दिन या कोई शब ठिठुरती सर्द साहिब
क्या बचा है मर्म इसमें क्या करोगे इसको…
Posted on March 1, 2018 at 6:35pm — 13 Comments
221 2121 1221 212
गर बीज है जमीन में अंकुर भी आयेगा
,जागेगी ये अवाम तग़य्युर भी आयेगा
'ज़ह्नों में लाज़मी है तहय्युर भी आयेगा
बदलाव आयेगा तो तफ़क्कुर भी आयेगा
इंसानियत का आज कोई गीत गा रहा
,जब साज है नया तो नया सुर भी आयेगा
आना न मेरी जिन्दगी में तुम कभी सनम
,आए तो फुर्कतों का तसव्वुर भी आयेगा
'कमसिन रहे वो नाज़नीं यारो दुआ करो
आया अगर शबाब तकब्बुर भी आयेगा'
लिखदी ग़ज़ल समाज पे शाइर ने इक…
Posted on February 6, 2018 at 5:30pm — 16 Comments
पर्वत जैसे दिन कटें ,रातें लगती भारी|
प्रीत रीति के खेल में ,ऐ साजन मैं हारी||
अधरों पर मुस्कान है,उर के भीतर ज्वाला|
पीनी पड़ती सब्र की ,भीतर भीतर हाला||
बिस्तर पर जैसे बिछी,द्वी धारी कुल्हारी|
प्रीत रीति के खेल में ,ऐ साजन मैं हारी||
सरहद से आई नहीं, अबतक कोई पाती|
जल जल आधी हो गई,इन नैनों की बाती||
चौखट पर बैठी रहूँ देखूँ बारी बारी|
प्रीत रीति के खेल में ,ऐ साजन मैं…
ContinuePosted on January 29, 2018 at 8:51pm — 16 Comments
आदरणीया राजेश कुमारी जी दोहा प्रस्तुति पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का तहे दिल से शुक्रिया।
धन्यवाद आ. राजेश मैम, आपने अपना बहुमूल्य समय दिया, उत्साहवर्धन के शब्द कहे, मेरी सोच-मेरे नजरिये की तारीफ़ की आपने, आपको पसंद आई मेरी कहानी, इसके लिए ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूँ. आप सबों के प्रेरक वाक्य ही मेरी कलम को और धारदार और स्थापित करने में सहायक होंगे. धन्यवाद!!
आदरणीया
बिंदु नं 0 2 को ही समझना था i 'कहते है गोपाल' का उल्लेख कर आपने मेरे भ्रम का सटीक निवारण किया i आपका स्नेह यूँ ही बना रहे i सादर i
महनीया
आपसे सदा सीखता रहता हूँ i इसी जिज्ञासा में आपकी निम्न टिप्पणी पर भी अपनी शंका का निवारण चाहूँगा i
शैलि ,वैलि में गच्चा खा गए आदरणीय :))) और पकडे भी गए ...... स्वीकार है आदरणीया
अंग्रेजो ने किया वात-आवरण कसैला----रोले में विषम इसे कुछ और स्पष्ट करें महनीया
चरण का गुरु लघु से होना है आपका किया =लघु गुरु
कुण्डलिया का आरम्भ का शब्द और अंत का शब्द भी एक ही होना मेरे संज्ञान में अब यह बाध्यता अब
चाहिए समाप्त हो गयी है
स म्म्मान आदरणीया i
आपको सपरिवार ज्योति पर्व की हार्दिक एवं मंगलमय शुभकामनाएं...
जन्मदिन की आपको ढेरों शुभकामनायें आदरणीया राजेश दीदी
हे माँ श्वेता शारदे , सरस्वती वन्दना (उल्लाला छंद पर आधारित )
इस रचना के feature होने के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीया राजेश जी।
सादर,
विजय निकोर
आदरणीया राजेश कुमारी जी साधुवाद गज़ल पर दाद के लिये .
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