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GHAZAL - 22

                       ग़ज़ल





फ़र्ज़  के  पैगाम  का  बस,  उम्र  भर  ये  स्वर  सुना  है |

युग विजेता बन  मनुज  तू ,  जिसने ये अम्बर बुना है ||



वो  कि -   जो  बैठे  हुए  थे   खुद   किनारों  पर   कहीं,

कह  रहे  थे -   खास  गहरा  नहीं  ये  सागर,  सुना  है ||



कल  न  जाने  बात  क्या  थी ?  आसमां  नीचा  लगा,

आज  जब  उँचाई  उसकी  नाप  ली  तो  सिर  धुना  है ||



लौट  कर  आया  नहीं,  उस  ख़त  के  बदले  कोई…
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Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 25, 2010 at 7:46pm — 1 Comment

GHAZAL - 21

ग़ज़ल





भारत  माता  माँग  रही  है - इस  नीति  से  पूर  विधान |

जिसमें हों सब  भाई बराबर, जाति - धर्मं से दूर, समान ||



जिसमें किसी की हो न उपेक्षा, मिले बराबर का अधिकार,

सब  हों  माँ  के एक से बेटे- अधिकारी, मजदूर, किसान ||



तंग  दिलों  से  बाहर  आ  कर, आओ,  रचें हम वह संसार.

जिसमें  सुख की हो सुगंध पर हों न दुखों के क्रूर निशान ||



बात   जोहती   है  भारत माँ , बेटों   के  इस   न्याय   का ,

जिसकी …
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Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 25, 2010 at 11:35am — 2 Comments

चौपाई सलिला: १. क्रिसमस है आनंद मनायें --संजीव 'सलिल'

चौपाई सलिला: १.



क्रिसमस है आनंद मनायें



संजीव 'सलिल'

*

खुशियों का त्यौहार है, खुशी मनायें आप.

आत्म दीप प्रज्वलित कर, सकें



क्रिसमस है आनंद मनायें,

हिल-मिल केक स्नेह से खायें.

लेकिन उनको नहीं भुलाएँ.

जो भूखे-प्यासे रह जायें.



कुछ उनको भी दे सुख पायें.

मानवता की जय-जय गायें.

मन मंदिर में दीप जलायें.

अंधकार को दूर भगायें.



जो प्राचीन उसे अपनायें.

कुछ नवीन भी गले लगायें.

उगे… Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on December 25, 2010 at 11:00am — 2 Comments

"अब रहने दो " (लघुकथा)

नैनीताल,
कड़ाके की ठण्ड थी..हम परिवार के साथ होटल से नेना देवी मंदिर, पैदल पैदल जा रहे थे..

पिताजी ने कडकडाती आवाज में माँ से कहा   : " अरे जरा हैण्ड बैग मफलर तो निकाल दो "

चलते चलते अचानक वो रुक गए और कुछ देखने लगे..
सामने चबूतरे पे एक पागल सा दिखने वाला आदमी अधनंगी हालत में सुकड़ के बैठा कुछ खा रहा था..

माँ हैण्ड बैग से मफलर निकालते हुए बोली : " क्या हुआ.. रुक क्यों गए?..ये लो मफलर "

पिताजी ने झुके से स्वर में कहा : " अब रहने दो  "

Added by Bhasker Agrawal on December 25, 2010 at 10:54am — No Comments

GHAZAL - 20

                    ग़ज़ल





मेरे  दिल  को  जलाने  वाले,  खुदा  तेरा  भी  दिल  जलाए |

मुझे जो तूने दिया है ये गम, तेरे भी दिल को सुकूँ न आये ||



मेरी  मुहब्बत  न तूने समझी, मुझे जो तूने दिया है ये गम,

खुदा तुझे भी अमन न बख्शे , तेरे चमन को खिज़ां जलाये ||



मेरी  वफ़ा  को जूनून  कहकर, मुझे जो तूने कहा है पागल,

तुझे   सजा   दे   खुदाई   इसकी, दर्द  तुझको  गले लगाए ||



जफा  के  खंज़र, का ये कातिल, दर्द क्या…
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Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 24, 2010 at 11:05pm — No Comments

लोग इतने बदल गए ज़माना इतना बदल गया

लोग इतने बदल गए ज़माना इतना बदल गया

बदले जुबां के रंग उनके, तराना इतना बदल गया



निकलते हैं जब अल्फाज उनके, कुछ अजीब से लगते हैं

ऊपरी शोहरत पाकर भी वो गरीब से लगते हैं

वो भोलापन नहीं अब बातों में उनकी

दिल से निकले भाव भी तहजीब से लगते हैं



होकर सामने भी छुरा पीठ पर मारा मेरे

फिर भी दिल निकाल ना पाए

मेरे कातिल मुझे बड़े बदनसीब से लगते हैं



गले में पड़ा हार जब साँसों की तकलीफ बन गया

तब दिखावे की सजा मालूम हुई

कल बेआबरू होते देखा उन्हें बाज़ार… Continue

Added by Bhasker Agrawal on December 24, 2010 at 10:57pm — 4 Comments

GHAZAL - 19

                 ग़ज़ल





दोस्तों, कुछ  रात  ऐसी  भी थी, जब  सोया  नहीं  मैं |

दर्द  से  तड़पा  बहुत  पर  चीख  कर  रोया  नहीं  मैं  ||



कोई  शीशा  सा  तड़क  कर,  टूट, दिल  में  आ चुभा,

इसलिए  उस  रात भर तक, ख्वाब में खोया नहीं मैं ||



कौन सी मंजिल है किसकी और कहाँ किसका मकाँ ?

कौन  है  इस  राह  पर  भटका  हुआ, वो  या  कहीं मैं ?



ज़िन्दगी   के   मायने,  अहसान …
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Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 24, 2010 at 10:55pm — 2 Comments

जनक छंदी सलिला: २ संजीव 'सलिल

जनक छंदी सलिला: २                                                                         



संजीव 'सलिल'

*

शुभ क्रिसमस शुभ साल हो,

   मानव इंसां बन सके.

      सकल धरा खुश हाल हो..

*

दसों दिशा में हर्ष हो,

   प्रभु से इतनी प्रार्थना-

       सबका नव उत्कर्ष हो..

*

द्वार ह्रदय के खोल दें,

   बोल क्षमा के बोल दें.

      मधुर प्रेम-रस घोल दें..

*

तन से पहले मन मिले,

   भुला सभी शिकवे-गिले.

      जीवन में… Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on December 24, 2010 at 9:30pm — 2 Comments

अभिनंदन - अभिनंदन

Added by DEEP ZIRVI on December 24, 2010 at 3:00pm — No Comments

आज इस खामोश रात में,तुम को याद में करता हूँ

आज इस खामोश रात में,तुम को याद में करता हूँ

अतीत के बीते पन्नों को,उलट उलट के पढता हूँ



आज इस खामोश रात में,तुम को याद में करता हूँ



जब सर पे तेरा साया था

तब ये ख्याल न आया था

अब ओढ़ के काले अम्बर को

आँचल तेरा समझता हूँ



आज इस खामोश रात में,तुम को याद में करता हूँ



कहता था याद करूंगा नहीं

कभी भी बात करूंगा नहीं

पर आज तुम्हारी यादों को

आँखों में सजा के रखता हूँ



आज इस खामोश रात में, तुम को याद में करता हूँ…
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Added by Bhasker Agrawal on December 24, 2010 at 12:04pm — 8 Comments

नवगीत: मुहब्बत संजीव 'सलिल

नवगीत:



मुहब्बत



संजीव 'सलिल'

*

दिखाती जमीं पे

है जीते जी

खुदा की है ये

दस्तकारी मुहब्बत...

*

मुहब्बत जो करते,

किसी से न डरते.

भुला सारी दुनिया

दिलवर पे मरते..



न तजते हैं सपने,

बदलते न नपने.

आहें भरें गर-

लगे दिल भी कंपने.

जमाने को दी है

खुदाने ये नेमत...

*

दिलों को मिलाओ,

गुलों को खिलाओ.

सपने न टूटें,

जुगत कुछ भिड़ाओ.



दिलों से मिलें दिल.

कली-गुल रहें खिल.

मिले आँख तो… Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on December 24, 2010 at 8:16am — 3 Comments

जनक छंदी सलिला : १. संजीव 'सलिल'

जनक छंदी सलिला : १.

संजीव 'सलिल'

*

आत्म दीप जलता रहे,

तमस सभी हरता रहे.

स्वप्न मधुर पलता रहे..

*

उगते सूरज को नमन,

चतुर सदा करते रहे.

दुनिया का यह ही चलन..

* हित-साधन में हैं मगन,

राष्ट्र-हितों को बेचकर.

अद्भुत नेता की लगन..

*

सांसद लेते घूस हैं,

लोकतन्त्र के खेत की.

फसल खा रहे मूस हैं..

*

मतदाता सूची बदल,

अपराधी है कलेक्टर.

छोडो मत दण्डित…

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Added by sanjiv verma 'salil' on December 23, 2010 at 11:30pm — 4 Comments

मेरी बारी कब आएगी ,

आया जब मैं उज्जवल बेला ,

हसी ख़ुशी का मस्त सवेरा ,

था सब अपना नही पराया ,

ये सब उन लोगो से पाया ,

सोचता हूँ मैं अक्सर यारा ,

मेरी बारी कब आएगी  !…

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Added by Rash Bihari Ravi on December 23, 2010 at 7:00pm — 3 Comments

चल मेरे मन चलें वहाँ..



चल मेरे मन चलें वहाँ..  … Continue

Added by Lata R.Ojha on December 23, 2010 at 4:30pm — 6 Comments

झूठ नहीं बोलते (लघुकथा)

एक लड़का लड़की रेस्तरां में बैठे थे ..

लड़का : अब मान भी जाओ, इतना गुस्सा ठीक नहीं .
लड़की : देखो तुम्हे झूठ नहीं बोलना चाहिए था,प्यार में झूठ नहीं बोलते

तभी लड़की का फोन बजा ..
हेलो! ..हाँ मम्मी में रस्ते में ही हूँ ..

Added by Bhasker Agrawal on December 23, 2010 at 11:14am — 7 Comments

क्या है

उसने पूछा ये क्या है

मैंने कहा सवाल है

उसने पूछा सवाल क्या है

मैंने कहा ख्याल है

उसने पूछा ख्याल क्या है

मैंने कहा बवाल है

उसने पूछा बवाल क्या है

मैंने कहा मेरा हाल है

Added by Bhasker Agrawal on December 22, 2010 at 11:48pm — 1 Comment

सच कहू धन्य हुआ OBO इन्हें पाकर ,

कोई अभिनव कोई बागी कोई हैं प्रभाकर ,

सच कहू धन्य हुआ OBO इन्हें पाकर ,

सलिल जी की शायरी मस्त
भरी गीत हैं ,

आती हैं मस्ती मन में जोगेंद्र ब्लॉग पाकर ,

नविन राकेश राणा इसके तो सितारे हैं ,

नीलम जी, रंजना जी, अनीता जी आकर

दीपक शर्मा जी की बाते निराली हैं ,

बिजय , प्रीतम , और रत्नेश भाई अक्सर ,

गुरु भी धन्य हुए इन सब को संग पाकर ,

सतीश जी के गीत मन को भोराकर ,

लिखते अच्छे ब्लॉग…

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Added by Rash Bihari Ravi on December 22, 2010 at 7:30pm — 6 Comments

GHAZAL - 18

                       ग़ज़ल





न  जाने  कब  वो  समझेंगे  मुहब्बत  मेरे इस दिल की |

सताती  है  बहुत  मुझको,  अदा  
ये  मेरे  कातिल  की ||



ज़माना  देख  कर  मुझको,  पलट  कर  के  उलझता  है,

नज़र   मेरी   तरफ   उठती  नहीं  पर  मेरी  मंजिल  की ||



जिन्हें   मेरी   तमन्ना   है,  मेरी   चाहत   नहीं  हैं  वो,

मेरी  चाहत  की  चाहत  मैं  नहीं, है  बात …
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Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 22, 2010 at 2:30pm — 3 Comments

ये..इश्क ही तो है..

चमकती चाँदनी के काजल सी रात..





सर्द हवा और तारों का साथ.. …



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Added by Lata R.Ojha on December 22, 2010 at 2:00pm — 9 Comments

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Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
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