ज़िन्दगी कॆ रंग,,,,,,,,
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ज़िंदगी कॆ रंग पिचकारी,सॆ सब छूट गयॆ ॥
कैसॆ बतायॆं हम लाचारी, सॆ सब छूट गयॆ ॥१॥
घर, कुआं, खॆत,बगीचा,सब हमारॆ भी…
ContinueAdded by कवि - राज बुन्दॆली on January 30, 2012 at 1:59am — 1 Comment
बहती गंगा मॆं,,,,,
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स्वार्थ की चादर, तानकर सॊयॆ हैं सब ॥
न जानॆ कौन सॆ, भ्रम मॆं खॊयॆ हैं सब ॥१॥
समय किसी का, उधार रखता नहीं है,…
ContinueAdded by कवि - राज बुन्दॆली on January 25, 2012 at 9:23pm — 1 Comment
इशारॊं-इशारॊं सॆ
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इशारॊं-इशारॊं सॆ, बात कर ली जायॆ ॥
आज सितारॊं सॆ, बात कर ली जायॆ ॥१॥
गुलॊं सॆ मॊहब्बत, है हर एक कॊ,
क्यूं न ख़ारॊं सॆ, बात कर ली जायॆ ॥२॥
यह हवॆली महफ़ूज़, है या कि नहीं,
इन पहरॆदारॊं सॆ, बात कर ली जायॆ ॥३॥
रॊटी की कीमत, समझ मॆं आ जायॆ,
जॊ बॆरॊजगारॊं सॆ, बात कर ली जायॆ ॥४॥
उस की आबरू, नीलाम हॊगी कैसॆ,
चलॊ पत्रकारॊं सॆ, बात कर ली जायॆ ॥५॥
किसकी सिसकियां, हैं उन खॆतॊं मॆं,
"राज"जमींदारॊं…
Added by कवि - राज बुन्दॆली on January 24, 2012 at 3:13pm — 4 Comments
Added by कवि - राज बुन्दॆली on January 19, 2012 at 11:09am — 3 Comments
Added by कवि - राज बुन्दॆली on January 18, 2012 at 2:52am — 2 Comments
रिश्तॆ,,,,,, -----------------
दूर जब सॆ दिलॊं कॆ मॆल हॊ गयॆ ।
रिश्तॆ जैसॆ राई का तॆल हॊ गयॆ ॥१॥
जिननॆ दी रिश्वत नौकरी मिली,
डिग्रियां लॆ खड़ॆ थॆ फ़ॆल हॊ गयॆ ॥२॥
इरादॆ बहुत नॆक मगर क्या करॆं,
मंहगाई मॆं दब कॆ गुलॆल हॊ गयॆ ॥३॥
बॆमानी भ्रष्टाचार न मरॆंगॆ कभी,
बढ़ रहॆ हैं जैसॆ अमरबॆल हॊ गयॆ ॥४॥
बात की बात मॆं बदल जातॆ लॊग,
वादॆ जैसॆ बच्चॊं, कॆ खॆल हॊ गयॆ ॥५॥
नर और नारी रचॆ थॆ नारायण…
ContinueAdded by कवि - राज बुन्दॆली on January 18, 2012 at 2:50am — 3 Comments
Added by कवि - राज बुन्दॆली on January 17, 2012 at 7:32pm — 3 Comments
समझ सॆ परॆ हैं हम,,,,,
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यॆ मत सॊच कि इतनॆ गिरॆ हैं हम ॥
फ़क्त तॆरॆ इक वायदॆ पॆ मरॆ हैं हम ॥१॥
हॊशियारी की हरियाली न दिखावॊ,
ऎसॆ तॊ तमाम सारॆ खॆत चरॆ हैं हम ॥२॥
दिल मॆं कैद कर लॆं तुम्हॆं क्यूं कर,
कानूनी अदालत कॆ कटघरॆ हैं हम ॥३॥
हमारी हस्ती कॊ तॊलतॆ हॊ तराजू पॆ,
क्या समझॆ बॆज़ान सॆ बटखरॆ हैं हम ॥४॥
नॆकियॊं का दामन नहीं छॊड़ा कभी,
चाहॆ ला्खॊं मु्सीबत मॆं घिरॆ हैं हम ॥।५॥
शैतान की परवाह नहीं है जी…
ContinueAdded by कवि - राज बुन्दॆली on January 16, 2012 at 9:01pm — 3 Comments
Added by कवि - राज बुन्दॆली on January 16, 2012 at 6:20pm — 2 Comments
Added by कवि - राज बुन्दॆली on January 13, 2012 at 1:29am — 6 Comments
मत पूंछियॆ,,,,,,,,,,
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मतलब की बात करियॆ, बेकार का हाल मत पूछियॆ ॥
जैसी भी है अपनी है, सरकार का हाल मत पूछियॆ ॥१॥
लहराती है नैया, सरकार की तॊ लहरानॆ दीजियॆ,
आप माझी सॆ मगर,पतवार का हाल मत पूछियॆ ॥२॥
चिल्लातॆ चिल्लातॆ अन्ना की तबियत तंग हुई,
अपनॆ भारत मॆं, भ्रष्टाचार का हाल…
Added by कवि - राज बुन्दॆली on January 12, 2012 at 5:30pm — 4 Comments
कलम को तलवार कर दिया,,,,,,,,,,
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सिखाकर आप ने उपकार कर दिया ।
लो हम पे एक और उधार कर दिया ॥१॥
अब उम्र भर न अदा कर पायेंगे हम,
इस कदर आपने कर्जदार कर दिया ॥२॥
ज़माना नीलाम कर देता आबरू मेरी,
वो आप हैं जो कि खबरदार कर दिया ॥३॥…
Added by कवि - राज बुन्दॆली on January 12, 2012 at 5:00pm — 5 Comments
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