जब जब तुम्हें सोचती हूँ
मेरे ख्वाब खिल उठते हैं
सोचती हूँ रंग बिरंगी दुनिया
अपना सजीव होना|
जब जब तुमसे मिलती हूँ
बागों में फूलों का
बेमौसम खिलना होता है
पक्षी चहचहाने लगते हैं
नदिया में सागर में
जीवन बहने लगता है
तब सब से मिलती हूँ
उल्लास से|
जब जब तुमसे मिलती हूँ
जिन्दगी छलकती है
मेरी आँखों से
मेरे हाथ महकते हैं
मेंहदी के रंग से
तब मिलती हूँ जिन्दगी से
तब मैं मिलती हूँ
अपने आप…
Added by Sarita Bhatia on January 31, 2014 at 5:04pm — 17 Comments
दिल बड़ी अजीब शय है
खुश हो तो
बहकता है
चहकता है
महकता है
उछलता है
मचलता है
टूटता है तो
हो जाता बेदर्द
देता इंतहा दर्द
कर देता सर्द
खो जाता चैन
कर देता बेचैन
हर दिन हर रैन
.......................
मौलिक व् अप्रकाशित
Added by Sarita Bhatia on January 30, 2014 at 6:02pm — 15 Comments
बड़ी मुश्किल से कुछ 'अपने' मिले हमको ज़माने में
कहीं उनको न खो दूँ ख्वाहिशें अपनी जुटाने में /
बने जो नाम के अपने हैं उनसे दूरियाँ अच्छी
मिलेगा क्या भला नजदीकियां उनसे बढ़ाने में/
उजाले छोड़े हैं तेरे लिए रहना सदा रोशन
अँधेरे रास हैं आए वफ़ा तुझसे निभाने में /
हसीं यादों ने छोड़े हैं सफ़र में ऐसे कुछ लम्हे
रँगें हैं हाथ अपने अब निशाँ उनके मिटाने में /
दिलों को तोड़ते हैं जो विदा कर यार को ऐसे
जो थामे धडकनें तेरी न डर…
Added by Sarita Bhatia on January 24, 2014 at 3:30pm — 9 Comments
याद है मुझे
उसका वो पागलपन
लिखता मेरे लिए प्रेम कवितायेँ
जिनमें होते मेरे लिए कई प्रेम सवाल
उसमें ही छुपी होती उसकी बेपनाह ख़ुशी
क्योंकि जानता न था वो मेरे जवाब
वो उसकी आजाद दुनिया थी
जिसमें नहीं था किसी का दखल
उसके दिल के दरवाजे पर खड़ी रहती मैं
उस पार से उससे बतियाती
उसका पा न सकना मुझे
मेरा खिलखिला कर हँसना
और टाल देना उसका प्रेम अनुरोध
देता उसको दर्द असहनीय
जैसा आसमान में कोई तारा टूटता
और अन्दर टूट जाते उसके ख़्वाब…
Added by Sarita Bhatia on January 23, 2014 at 6:11pm — 4 Comments
दिलों को जो सुहाते हैं /
दिलों पे जाँ लुटाते हैं /
निगाहों से क़त्ल करके
मुझे कातिल बनाते हैं /
दिलों के हैं अजब रिश्ते
सदा अपने निभाते हैं /
यूँ पल पल मर रही हूँ मैं
मुझे जिन्दा बताते हैं /
सभी अपने तुम्हारे बिन
मुझे जीना सिखाते हैं /
सुना है ऐसे में अपने
भी दामन छोड़ जाते हैं /
.....................................
..मौलिक व् अप्रकाशित....
Added by Sarita Bhatia on January 20, 2014 at 5:30pm — 20 Comments
तू बहादुर बेटी है पंजाब की
तू शान आन और बान है हमारे घर की
तू झाँसी की रानी है
तुझे क्या डर अकेले
दुनिया के किसी भी कोने में जा सकती हो
हाँ
ऐसे ही तो कहते थे ना हमेशा
जब कहती थी
मेरे साथ कहीं चलने को
आज समझा रहे थे मुझे
पगली क्यों रोती है ?
तेरे अंग संग हूँ हमेशा
तेरे साथ अपनी दोनों भुजाएं
अपने दो बेटे छोड़ आया हूँ
तुम्हे जरुरत नहीं
किसी का मुँह ताकने की
दोस्त जो नहीं पूछते मत कर चिंता
जो साथ हैं उनका कर…
Added by Sarita Bhatia on January 16, 2014 at 10:01am — 10 Comments
कभी सोचा न था ...
कितनी कलरफुल थी
मेरी दुनिया
अब तुम्हारे बाद
ब्लैक एंड वाइट होकर रह जाएगी
कभी सोचा न था ...
अलमारी में पड़े
लाल गुलाबी कपड़े
मुंह चिड़ाएंगे और पूछेंगे
मुझसे कई सवाल
कभी सोचा न था ..
आइने के सामने आज
खड़े होने में डर लगेगा
क्योंकि
खो दूंगी वो अक्स
जो मुझे निहारा करता था
कभी सोचा न था ...
बड़ी बेपरवाह थी जिन्दगी
बस तुम्हे बताकर
दुनिया की परवाह किये बिना
स्वछन्द घूमा करती थी
अब घर…
Added by Sarita Bhatia on January 9, 2014 at 2:37pm — 13 Comments
जाने वाला साल सब सुख चैन ले गया
नयनों में है नीर दिल में दर्द दे गया /
क्या मनाएं साल उस बिन अब लगे न दिल
एक झटके में सभी अरमान ले गया /
मुस्कराएँ हम क्या तेरे बिन ओ साथी अब
खुशिओ का तू सारा ही सामान ले गया /
उसकी हर आहट का होता है मुझे गुमाँ
खुद को समझायें क्या वो संसार से गया /
याद आती उसकी है अब रात रात भर
यादों का वो इक सफ़र है नाम दे गया /
काटना है अब अकेले उस बिना सफ़र
जिन्दगी भर का गमे…
Added by Sarita Bhatia on January 7, 2014 at 10:00am — 17 Comments
1 2 2 2 1 2 2 2 1 2 2 2 1 2 2 2
कभी जीवन में अपने कुछ दुखद से पल भी आते हैं
सभी अपने हमेशा के लिए तब छोड़ जाते हैं /
समय अपना बुरा आया,तमस भी साथ ले आया
करीबी जो रहे अपने वही नजरें चुराते हैं /
किसे फुर्सत हमें देखे हमारा हाल वो जानें
हमें रुसवाइओं में तन्हा अक्सर छोड़ जाते हैं /
मिले ढूंढे नहीं कोई सहारा बन सके जो तब
मुसीबत में कहाँ अब लोग यूँ रिश्ते निभाते हैं /
भला कर तू भला होगा बुरा मत सोचना मन…
Added by Sarita Bhatia on January 5, 2014 at 8:30pm — 20 Comments
जब से उनका यहाँ आना जाना हुआ
दिल हमारा भी उनका दिवाना हुआ /
साथ तेरे का जो छूट जाना हुआ
तब से सबका यहाँ आना जाना हुआ /
माँग तेरी भरूं आ सितारों से मैं
ऐसा कह जो गया फिर न आना हुआ /
माँग सूनी हुई जो सितारों भरी
माथे की बिंदी छिनना बहाना हुआ /
राहतें अब कहाँ चैन दिल को कहाँ
मत कुरेदो जख्म ये पुराना हुआ /
याद आती रही रात भर थी मुझे
भूल वो अब गया इक जमाना हुआ /
उसके आने की टूटी है…
Added by Sarita Bhatia on January 2, 2014 at 7:30pm — 20 Comments
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