देख दुर्दशा यार वतन की, गीत रुदन के गाता हूँ
कलम चलाकर कागज पर मैं, अंगारे बरसाता हूँ
कवि मंचीय नहीं मैं यारों, नहीं सुरों का ज्ञाता हूँ
पर जब दिल में उमड़े पीड़ा, रोक न उसको पाता हूँ
काव्य व्यंजना मै ना जानूँ, गवई अपनी भाषा है
सदा सत्य ही बात लिखूँ मैं, इतनी ही अभिलाषा है
आजादी जो हमे मिली है, वह इक जिम्मेदारी है
कलम सहारे उसे निभाऊं, ऐसी सोच हमारी है
काल प्रबल की घोर गर्जना, लो फिर मैं ठुकराता हूँ
देख…
ContinueAdded by नाथ सोनांचली on February 11, 2018 at 6:18am — 9 Comments
अरकान-1212 1122 1212 22
तुम्हारे ख़त जो मेरे नाम पर नहीं आते
तो दुश्मनों के भी चहरे नज़र नहीं आते
सतर्क आप रहें हर घड़ी निगाहों से
लुटेरे दिल के कभी पूछ कर नहीं आते
भला भी वक़्त तुम्हारे लिये बुरा होगा
सलीक़े जीने के तुमको अगर नहीं आते
बदल दिए हैं हमीं ने मिजाज मौसम के
भिगोने अब्र हमें बाम पर नहीं आते
हमेशा पीछे भी क्या देखना जमाने में
समय जो बीत गए लौट कर नहीं…
ContinueAdded by नाथ सोनांचली on February 7, 2018 at 6:51pm — 8 Comments
कभी पेट पर लेकर अपने, हमें सुलाते पापा जी
कभी बिठा काँधे पर हमको, खूब घुमाते पापा जी
छाया देते घने पेड़ सी, लड़ते वो तूफानों से
हो निष्कंटक राह हमारी, उनके ही बलिदानों से
विपरीत रहें हालात मगर, कभी नहीं घबराते हैं
ओढ़ हौसलों की चादर को, हँसते और हसाते हैं
हँसकर तूफानों से लड़ना, हमें सिखाते पापा जी
कभी बिठा काँधे पर हमको, खूब घुमाते पापा जी
बोझ लिए सारे घर का वो, दिन भर दौड़ लगाते हैं
हम सबके सपनो की…
ContinueAdded by नाथ सोनांचली on February 7, 2018 at 6:16pm — 14 Comments
साजन मेरे मुझे बताओ, कैसे दीप जलाऊँ
घर आँगन है सूना मेरा, किस विधि सेज सजाऊँ
इंतिजार में तेरे साजन, लगा एक युग बीता
हाल हमारा वैसा समझो, जैसे विरहन सीता
सूनी सेज चिढ़ाए मुझको, अखियन अश्रु बहाऊँ
घर आँगन है सूना मेरा, किस विधि सेज सजाऊँ
वे सुवासित मिलन की घड़ियाँ, लगता साजन भूले
बौर धरे हैं अमवा महुआ, सरसो भी सब फूले
सौतन सी कोयलिया कूके, किसको यह बतलाऊँ
घर आँगन है सूना मेरा, किस विधि सेज…
ContinueAdded by नाथ सोनांचली on February 3, 2018 at 11:30am — 20 Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |