For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Somesh kumar's Blog – March 2015 Archive (9)

दीवारों में दरारें-4

दीवारों में दरारें-4

मीना का घर रामनवमी के दिन

“मीना,भोग तैयार है |- - - जाS ,लडकियों को बुला ला|”

“जी मम्मी |”

“अरी मीना,यूँ सुबह-सुबह कहाँ चली ?” चौखट पर बैठे अख़बार पढ़ रहे दादा जी ने उसकी तरफ देखते हुए पूछा   

“भोग लगाने के लिए कन्याओं को बुलाने |”मीना ने धीमी आवाज़ में कहा

“अच्छा-अच्छा,जा जल्दी जा,पड़ोस में छोटी लड़कियाँ वैसे ही कम हैं अगर दूसरे लोग उनके घर पहले चले गए तो हमें ईंतज़ार करना पड़ेगा |”

“जी,दादा जी |”कहकर वो…

Continue

Added by somesh kumar on March 22, 2015 at 9:00pm — 8 Comments

दीवारों में दरारें -3(सोमेश कुमार )

दीवारों में दरारें-3 

मीना की अध्यापिका पद  पर नियुक्ति के बाद

"मैडम,आपको सुनीता मैडम ने लंच के लिए अपने क्लास रूम में बुलाया है | “आशा ये सन्देशा देकर चली जाती है |

रूम में पहुँचने पर |

“आ गई बेटा |” सुनीता दलाल की नानी पुष्पा ने मीना गौतम को देखकर कहा |

सुनीता के बीमार होने के कारण नानी सुनीता के यहाँ आईं थी और लंच में गर्मागर्म खाना उसके लिए लेकर आ गईं थी |

“इसकी क्या ज़रूरत थी,नानीजी ,मैं तो इसके लिए भी रोटियाँ लाई हूँ |”मीना ने…

Continue

Added by somesh kumar on March 18, 2015 at 10:30am — 10 Comments

दीवारों में दरारें-2 सोमेश कुमार

साल पहले विद्यालय दफ्तर में

“सर, मैं अंदर आ सकती हूँ ?”

“बिल्कुल !” मि.सुरेश एक बार उस नवयुवती को ऊपर से नीचे तक देखते हैं और फिर उसकी तरफ प्रश्नसूचक निगाह से देखते हैं |

“सर ,मुझे इस स्कूल में नियुक्ति मिली है |” वो बोली

“बहुत बढ़िया !बैठो अभी प्रधानाचार्य आते हैं तो आपको ज्वाइन करवाते हैं |” प्रफुल्लतापूर्वक मि.सुरेश बोले

“वैसे कब और कहाँ से की है बी.एड.?” उन्होंने अगला सवाल किया

“इसी साल,कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से - -“उसने बड़ी सौम्यता से जवाब…

Continue

Added by somesh kumar on March 13, 2015 at 11:18am — 17 Comments

दीवारों में दरारें

दीवारों  में दरारें-1  

दीवारे  और दरारें-1  

“कभी सोचा था कि ऐसे भी दिन आएँगे |हम लोग इनके फंक्शन में शामिल होंगे !”मि.सुरेश ने कोलड्रिंक का सिप लेते हुए पूरे ग्रुप की तरफ प्रश्न उछाला |

“मुझे लग रहा है इस वाटिका की सिचाईं नाले के गंदे पानी से करते हैं |कैसी अज़ीब सी बदबू आ रही है !”नाक पे हाथ रखते हुए राजेश डबराल बोले |

“पैसे आ जाने से संस्कार नहीं बदलते जनाब !इन्हें तो गंदगी में रहने की आदत है|” मि.सुरेश ने जोड़ा |

“सी S S ई |किसी ने सुन लिया…

Continue

Added by somesh kumar on March 12, 2015 at 10:30am — 11 Comments

सामने आ रे !

सामने आ रे !

रात्रि-आकाश में अक्सर

तुम्हें निहारे

कहाँ छुपे हो प्रियम्वदा

होकर तारे ?

बचपन से कहते आए हैं

सब प्यारे

इस लोक से जाने वाले हो

जाते हैं तारे !

भीड़ भरे आकाश में नयन

खोज के हारें

शांतिप्रभा आर्त पुकार सुन लो

करो  इशारे |

टूटता विश्वास का पुंज देख के  

टूटते तारे

है व्याकुल हृदय की क्रन्दना

सामने आ रे !

मौलिक एवं अप्रकाशित

 

 

Added by somesh kumar on March 7, 2015 at 9:51am — 7 Comments

अभिव्यक्तियाँ

अभिव्यक्तियाँ

किस्से कहानी कविताएँ 

सब अभिव्यक्तियाँ जीवन की 

कहाँ तक साधू अपेक्षायें 

गुरुजन गुणीजन की ?

मन की बेकली है 

लिखने का प्रथम उदेश्शय 

हो जाऊ सफल जो मानकों

पर चलूँ /दूँ गहन संदेश |

बिन पथों से डिगे 

होंगी कैसे राहे प्रशस्त 

नव सृजन की ?

अलंकारों से छंदों को साधना 

क्या संकुचित बस यहीं तक 

साहित्य की आराधना 

अर्थ क्या रह जाएगा 

जो ना हो इनमें 

जीवन-तत्व अवशिष्ट…

Continue

Added by somesh kumar on March 6, 2015 at 8:54am — 5 Comments

शादी की दावत -2

शादी की दावत-2

द्वार पर चुनमुनिया थी |

“भईया आप लोग बारात नहीं चलेंगे |उहाँ सब लोग तैयार हो गए हैं |बैंड-बाजा वाले भी आ गए हैं |सभी औरत लोग लावा लेने जा रही हैं |”

कितना बोलती है तू !क्या तू भी बारात चेलेगी ?मैंने कहा

“और क्या ?उहाँ चलकर फुलकी ,रसगुल्ला ,टिकिया खाने वाला भी तो चाहिए ना |”

“अच्छा तू चल ,हम लोग नया कपड़ा पहनकर आते हैं |”महेश भईया बोले

उसके मुड़ते ही महेश भईया ने कहा - “चलों जवानों ,कूच करते हैं |”

“मैं विद्रोह पर हूँ !शादी में…

Continue

Added by somesh kumar on March 3, 2015 at 11:30pm — 4 Comments

शादी की दावत -1 (कहानी )

शादी की दावत -1

स्टेशन से सीधे हम अजय भईया के घर पहुँचे |मड़वा में स्त्रियाँ उन्हें हल्दी-उबटन मल रही थीं |बड़े बाउजी यानि की मानबहादुर सिंह परजुनियों को काम समझाने में व्यस्त थे |बीच-बीच में वे द्वार पर आ रहे मेहमानों से मिलते उनकी कुशल-खैर पूछते और आगे बढ़ जाते |

“अरे सीधे ,स्टेशन से आ रहे हो क्या ?” हमारा समान देखकर शायद उन्हें अंदाज़ा हो गया था |

“जी,हमनें आपस में बात कर ली थी |गाड़ी आने के समय में भी ज़्यादा फ़र्क नहीं था इसलिए हम सब स्टेशन पर ही - -- “बारी-बारी से…

Continue

Added by somesh kumar on March 2, 2015 at 11:03pm — 7 Comments

बहिष्कार (कहानी )

बहिष्कार

“क्यों री आंनद की अम्मा ?अपनी देवरानी को शादी में नहीं बुलाईं क्या ?”निमन्त्रण पत्र पकड़ते हुए भोली की अम्मा यानि मायादेवी ने पूछा

“आपकी भी तो जेठानी लगती हैं |आपहि कौन उन्हें रामायण में बुलाई रहीं !” बिंदियादेवी ने मुँह बनाते हुए कहा

“हमार कौन सगी है,ऊपर से काम ही ऐसा करी हैं कि उन्हें बिरादरी से बहिरिया देना चाहिए |अपनी लड़की ही काबू में नहीं |पता नहीं कहाँ से मुँह काला कर आई |”

“हाँ दीदी ,सुना है चौका बाज़ार में बदरी बनिया के बेटे का काम था |जात-बिरादरी…

Continue

Added by somesh kumar on March 1, 2015 at 11:14am — 10 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Monday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Sunday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service