( ये कविता सूरज को दीपक दिखाने के बराबर है फिर भी मेरी तरफ से ओबीओ के सम्मान मे एक तुच्छ सी भेट, )
खुली किताब ( OPEN BOOK )
ये खुली किताब है बडी अनोखी, है गद्य-पद्य रचना की…
Continueआयो होली को त्यौहार
रंग सतरंगी लेकर आई एक छैलछबिली नार,
आ के पास कर गई मेरे रंग बिरंगे गाल ।
कि आयो होली को त्यौहार्, कि आयो होली को त्यौहार् ॥.…
ContinueAdded by बसंत नेमा on March 14, 2013 at 2:00pm — 8 Comments
हंसबैंड
बिल शोपिंग का देते –देते, जिसकी ढीली हो गई पेंट
फिर भी हंसते हंसते जो , खुद की बजवाये बैण्ड ...
उसको कहते है हंसबैंड, की भईया कहते है हंसबैंड,
भोर भई जब सोते सोते बीबी बोले डार्लिंग,
देखो बाहर सूरज निकला, हो गई है गुड मार्निग.
यदि…
ContinueAdded by बसंत नेमा on March 11, 2013 at 11:30am — 5 Comments
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