For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Coontee mukerji's Blog – May 2013 Archive (8)

अचानक



उस दिन अचानक

न मैंने कुछ सोचा था ,

न वक्त ने कुछ तय किया था .

आकाश भी नीला था

उसने भी तो कुछ सोचा नहीं था -

फिर राह में आ गया बादल

हम आपस में टकरा गये

न उसने कुछ कहा

न मैंने कुछ कहा .

हवा धीरे धीरे बह रही थी ,

मुझे देख ठिठक गयी ,

पर, मैं अभिमानिनी ,

जैसे कुछ सुनने की अपेक्षा ही नहीं .

कुछ दूर चल कर बादल रूका ,

वह चाहता था मुझसे कुछ सुनना ,

पर , मैंने कुछ न कहा.

एक अंतराल बाद

जिसमें समय की…

Continue

Added by coontee mukerji on May 31, 2013 at 4:00pm — 14 Comments

हवा

हवा

एक वासंती सुबह

‘’ मैं कितनी खुशनसीब हूँ ,

मेरे सर पर है आसमान

पैरों तले ज़मीन .

मेरी सांसों के आरोह – अवरोह में ,

मेरे रंध्रों में ,

शुद्ध हवा का है प्रवाह .’’

‘’ मैं कितनी खुशनसीब हूँ .’’

कुंजों में एक सरसराहट सी हुई ,

मालती की कोमल पल्लवों पर ,

ठहरी हुई थी हवा ,

मेरे विचारों को भाँप कर ,

मेरे गालों को थपथपा कर

उसने हौले से कहा –

‘’ खुश और नसीब ,

दो अलग अलग है बात .

मुझसे पूछो –

मैं…

Continue

Added by coontee mukerji on May 29, 2013 at 1:25am — 14 Comments

सूखा

सूखा !

मही मधुरी कब से तरस रही ,

बुझी न कभी एक बूँद से तृषा ,

घनघोर घटाएँ लरज लरज कर ,

आयी और बीत चली प्रातृषा .

ईख की जड़ में दादुर बैठे ,

आरोह अवरोह में साँस चले ,

पानी की अहक लिये जलचर ,

ताल हैं शुष्क सबके प्राण जले .

पथिक राह चले बहे स्वेदकण ,

पथतरू* से प्यास बुझाए मजबूरन , * traveller’s tree

दूर कोई आवाज़ बुलाए कल् कल्…

Continue

Added by coontee mukerji on May 9, 2013 at 10:30pm — 14 Comments

भिखारन की निष्ठा

भिखारन की निष्ठा

मेरे घर के करीब भिखारियों का एक परिवार रहता था. चार बच्चे और पति – पत्नी. सुबह तड़के ही सभी घर से निकल जाते और गोधूली बेला तक सभी वापस आ जाते.

एक दिन क्या हुआ कि पति और बच्चे तो आ गये लेकिन भिखारन को आने में देर हो गयी . उसके आते आते रात के आठ बज गये. सभी भूखे थे. अतः भिखारन ने जल्दी से चावल की हांडी चूल्हे पर रख दी. चावल जब पक गया तो उसने अपने पति और बच्चों को पहले खिला दिया. बाद में जब वह खाने बैठी तो देखा हांडी में चावल के साथ एक छिपकली भी पक गयी है. भिखारन के…

Continue

Added by coontee mukerji on May 8, 2013 at 12:00pm — 9 Comments

माँ का पल्लू

माँ का पल्लू



मेरा छोटा भाई हमेशा मेरी माँ का पल्लू थामे रहता .माँ जहाँ भी जाती वह पल्लू पकड़े साथ साथ चलता . कभी कभी तो माँ को जब बाथरूम जाना होता तो और मुश्किल में पड़ जाती. कभी माँ खीज कर कहती – छोड़ो पल्लू बेटा ! इतना अपशकुन क्यों करते हो ? अगर मैं मर गयी तो क्या करोगे ?

अबोध बालक तो कुछ नहीं समझ पाया कि मृत्यु क्या…

Continue

Added by coontee mukerji on May 7, 2013 at 6:00pm — 9 Comments

नर-नारी संवाद



कहता है नर सदियों से

‘’ हे नारी !

पड़े सागर तल में

सीप में जो मोती द्वय

या ‌‌– तुम्हारे दो नयन हैं ! .

तुम रूपजाल हो या –

तुम्हारे अंग – अंग में

प्रकृति अटकी हुई है .’’

नारी कहती है

हे नर !

‘’ मैं ही अक्ष हूँ .

मैं ही आँसू

मोती भी

और सीप भी हूँ -

तुम्हारे लिये ही

मैं रोती हूँ, हँसती हूँ,

सजती हूँ, गाती हूँ

समझो न मुझे तुम रूपजाल

मैं प्रकृति की छाया हूँ

मही मेरी जननी है ‘’

( नर-नारी…

Continue

Added by coontee mukerji on May 6, 2013 at 10:00am — 8 Comments

देवता ! मुझे शरण दो

देवता ! मुझे शरण दो !

अस्सी साल की बुढ़िया ,

लाठी टेकती आयी ,

गुहार करने

मंदिर आंगन द्वार .

हाथ उठाकर ,

घण्टी भी बजा न सकी .

जर्जर काया जीवन से त्रस्त ,

और दुखित -

अपनों से सतायी हुई, उपेक्षित .

माँग रही थी मृत्यु का वरदान ,

पर – देवता सोये थे निश्चिंत .

कम्पित कर जोड़े ,

साथ न दे रही थी

थर्राती वाणी.

‘’ मैया ! घर जाओ ‘’ बोले पुजारी

‘’ कहाँ जाऊँ बेटा, कहीं नहीं कोई ‘’.

जो कुछ था लूट लिया…

Continue

Added by coontee mukerji on May 4, 2013 at 7:13pm — 8 Comments

एक सवाल

(1)

कब मैंने तुमसे

वादा किया था कोई

अपने को मैंने कब बंधन में बाँधा

जो किया , तुमने ही किया

हर सुबह आलस्य तजकर

पूजा की थाल सजा

अरूणोदय होता तेरे दर्शन से .

(2)

मिथ्या लगी

जग की सारी बातें

जब मैंने तुमसे प्रीत की

अब क्रोध करूँ या मान करूँ

या करूँ अपने आप पर दया

रीति रिवाजों के नाम पर

खींच दी तुमने सिंदूर की लम्बी रेखा

भाग्य ने लिख दी माथे पर मृत्युदण्ड

चेहरे पर घूँघट खींचकर .

(3)…

Continue

Added by coontee mukerji on May 2, 2013 at 11:30am — 17 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सादर प्रणाम, आदरणीय ।"
3 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सुन, ससुराल में किसी से दब के रहने की कोई ज़रूरत नहीं है। अरे भाई, हमने कोई फ्री में सादी थोड़ी की…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
8 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"स्वागतम"
20 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र जी, हृदय से आभारी हूं आपकी भावना के प्रति। बस एक छोटा सा प्रयास भर है शेर के कुछ…"
21 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"इस कठिन ज़मीन पर अच्छे अशआर निकाले सर आपने। मैं तो केवल चार शेर ही कह पाया हूँ अब तक। पर मश्क़ अच्छी…"
22 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र ji कृपया देखिएगा सादर  मिटेगा जुदाई का डर धीरे धीरे मुहब्बत का होगा असर धीरे…"
23 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"चेतन प्रकाश जी, हृदय से आभारी हूं।  साप्ताहिक हिंदुस्तान में कोई और तिलक राज कपूर रहे होंगे।…"
23 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"धन्यवाद आदरणीय धामी जी। इस शेर में एक अन्य संदेश भी छुपा हुआ पाएंगे सांसारिकता से बाहर निकलने…"
23 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय,  विद्यार्जन करते समय, "साप्ताहिक हिन्दुस्तान" नामक पत्रिका मैं आपकी कई ग़ज़ल…"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"वज़न घट रहा है, मज़ा आ रहा है कतर ले मगर पर कतर धीरे धीरे। आ. भाई तिलकराज जी, बेहतरीन गजल हुई है।…"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
23 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service