क्षण क्या हैं??????
एक बार पलक झपकने भर का समय....
पल-प्रति-पल घटते क्षण में,
क्षणिक पल अद्वितीय,अद्भुत,बेशुमार होते,
स्मृति बन जेहन में उभर आये,वो बीते पल,
बचपन का गलियारा,बेसिर - पैर भागते जाते थे,…
ContinueAdded by babitagupta on May 28, 2018 at 4:17pm — No Comments
मुंह अँधेरे ही भजन की जगह,फोन की घंटी घनघना उठी,
घंटी सुन फुर्ती आ गई,नही तो,उठाने वाले की शामत आ गई,
ड्राईंग रूम की शोभा बढाने वाला,कचड़े का सामान बन गया,
जरूरत अगर हैं इसकी,तो बदले में कार्डलेस रख गया,
उठते ही चार्जिंग पर लगाते,तत्पश्चात मात-पिता को पानी पिलाते,…
ContinueAdded by babitagupta on May 17, 2018 at 12:00pm — No Comments
छोटा-सा,साधारण-सा,प्यारा मध्यमवर्गीय हमारा परिवार,
अपने पन की मिठास घोलता,खुशहाल परिवार का आधार,
परिवार के वो दो,मजबूत स्तम्भ बावा-दादी,
आदर्श गृहणी माँ,पिता कुशल व्यवसायी,
बुआ-चाचा साथ रहते,एक अनमोल रिश्ते में बंधते,
बुजुर्गों की नसीहत…
ContinueAdded by babitagupta on May 16, 2018 at 6:48pm — 1 Comment
वर्तमान में भागमभाग की जिन्दगी में मनुष्य एक ऐसी मायवी दुनिया में जी रहा हैं जहां ऊपर से अपने आप को दुनिया का सबसे खुशकिस्मत इन्सान जताता हैं,जबकि वास्तव में वो एक मशीनी जिन्दगी जी रहा हैं,तनावग्रस्त,सम्वेदनहीन,एकाकी हो गया हैं जहाँ सम्वेदनशीलता और सह्रदयता अकेली हो जाती हैं और एक उठला जीवन जीने लगता हैं .ऐसे में उसेइस कोलाहल भरी दुनिया से छुटकारा मिलने का एक मात्र साधन -सात सुरों से सजा संगीत होता हैं.संगीत ही ऐसी औषधि होती हैं जिसमें ह्रदय से बिखरे आदमी को…
ContinueAdded by babitagupta on May 16, 2018 at 6:02pm — No Comments
ममता का सागर,प्यार का वरदान हैं माँ,
जिसका सब्र और समर्पण होता हैं अनन्त,
सौभाग्य उसका,बेटा-बेटी की जन्मदात्री कहलाना,
माँ बनते ही,सुखद भविष्य का बुनती वो सपना,
इसी 'उधेड़बुन'में,कब बाल पक गये,
लरजते हाथ,झुकी कमर.सहारा तलाशती बूढ़ी…
ContinueAdded by babitagupta on May 13, 2018 at 1:00pm — 5 Comments
कुदरत की सबसे बडी नेमत है हंसी,
ईश्वरीय प्रदत्त वरदान है हंसी,
मानव में समभाव रखती हैं हंसी,
जिन्दगी को पूरा स्वाद देती हैं हंसी,
बिना माल के मालामाल करने वाली पूंजी है हास्य,
साहित्य के नव रसो में एक रस होता हैं हास्य,
मायूसी छाई जीवन में जादू सा काम करती हैं हंसी,
तेज भागती दुनियां में मेडिटेशन का काम करती हैं हंसी,
नीरसता, मायूसी हटा, मन मस्तिष्क को दुरुस्त करती हैं हंसी,
पलों को यादगार बना, जीने की एक नई दिशा देती हैं…
ContinueAdded by babitagupta on May 6, 2018 at 5:30pm — 4 Comments
कच्ची उम्र थी,कच्चा रास्ता,
पर पक्की दोस्ती थी,पक्के हम,
उम्मीदों का,सपनों का कारवां साथ लेकर चलते,
स्वयं पर भरोसा कर,कदम आगे बढाते,
कर्म भूमि हो या जन्म भूमि,हमारी पाठशाला होती,
काल,क्या??किसी व्यतीत क्षणों का पुलिंदा मात्र…
ContinueAdded by babitagupta on May 4, 2018 at 1:02pm — 9 Comments
चिथड़े कपड़े,टूटी चप्पल,पेट में एक निवाला नहीं,
बीबी-बच्चों की भूख की आग मिटाने की खातिर,
तपती दोपहरी में,तर-वतर पसीने से ,कोल्हू के बैल की तरह जुटता,
खून-पसीने से भूमि सिंचित कर,माटी को स्वर्ण बनाता,
कद काठी उसकी मजबूत,मेहनत उसकी वैसाखी,…
ContinueAdded by babitagupta on May 1, 2018 at 1:30pm — 4 Comments
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