For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Pragya Srivastava's Blog – June 2013 Archive (10)

मेरा मन

जाने क्यो उदास है

मेरा मन

जाने क्यों निराश है

मेरा मन

जाने क्यों हताश है

मेरा मन

अधरों से फूटते नही बोल

घुटन सी होती है इस मन में

चुभन सी होती है इस तन में

चंचलता से भरा मेरा मन

जाने क्यों उदास है

लगता है ऐसे कोई नही

अपना आस-पास है

अपनों को खोजता ये मन

लिए तड़पन, लिए लगन

आँसूओं की धारा में

गुम-सुम हुआ मेरा मन

मौलिक व अप्रकाशित

Added by Pragya Srivastava on June 29, 2013 at 11:13am — 15 Comments

सरस्वती वंदना

वंदना हम कर रहे

माँ शारदे माँ शारदे

अज्ञान के अंधेरों से

तू हमें तार दे

हम तो अज्ञानी  हैं

ज्ञान से संवार दे

माँ शारदे------------

.

श्वेत वस्त्र धारणी

कमल पे विराजती

वीणा के तार की

झंकार दे झंकार दे

माँ  शारदे----------

.

चरणों में तेरे हम

शीश को झुका रहे

ज्ञान की ज्योति

हमको उपहार दे

माँ शारदे------------

 

 

मौलिक व अप्रकाशित------

Added by Pragya Srivastava on June 21, 2013 at 11:00am — 9 Comments

वो आवाज

वो आवाज

जो पल भर पहले था कितना खुशहाल

अचानक हुई एक धमाके की आवाज

उस धमाके की आवाज से बंद हुई पलकें

जब खुली तब तक,

खत्म हो चुका था सब कुछ

रह गए थे टूटे हुए बर्तन,

बिखरी हुई चूड़ियाँ, छितराई हुई लाशें,

फैला हुआ खून, ढ़ूढ़ती हुई आँखें,

एक अकेले रोते हुए बच्चे की आवाज

 

 

 

मौलिक व अप्रकाशित

Added by Pragya Srivastava on June 20, 2013 at 12:34am — 9 Comments

बरसो घन

 

घटाएँ काली-काली हैं

शायद बरसने वाली हैं

वन उपवन हैं प्यासे कब से

तरस रहे हैं पानी बरसे

खेतों और खलिहानों को

मजदूर और किसानों को

आस जगी है अब तो बरसें

बरसों बीत गए हैं बरसे

बरसे तो सबका मन हर्षे

तपन मिटे इस धरती की

हरियाली की चादर फैले

मोर पपीहों का दिल बहले

नाचे लोग घर उपवन में

नव जीवन का संचार हो मन मे

खिलें फूल मुस्काए हर मन

उमड़-घुमड़ कर बरसो…

Continue

Added by Pragya Srivastava on June 17, 2013 at 4:47pm — 16 Comments

कर्म किए जा फल की इच्छा मत कर

आशा के सहारे इंसान अपनी सारी उम्र गुजार देता हैI यही कि अब अच्छा होने वाला है अब सब सही हो जाएगा1 मैं सोचती हूँ क्या सचमुच सब सही हो जाएगाIजिंदगी की गाड़ी पटरी पर चलने लगेगी1भगवान देता है माना पर मुझे दिया अस्त-व्यस्त बिखरा हुआI अब उसे समेटना हैI यहाँ संभालो तो वहाँ की चिंता,वहाँ संभालो तो यहाँ की चिंता क्या करूं?पता नही कब सब कुछ सही होगा,होगा की नही1 जीवन के इस करूक्षेत्र में आशा और निराशाके इस महाभारत में कहीं कौरव न जीत जाए1भगवान कृष्ण तुम कहाँ हो? सुनते क्यों नही ?पुकारते-पुकारते थक गई…

Continue

Added by Pragya Srivastava on June 15, 2013 at 11:41am — 4 Comments

मन की किताब के कुछ पन्ने

       मन की किताब के कुछ पन्ने

       तुमको सुनाती हूँ मैं

       कहीं पे हैं खुशियाँ खुद को समेटे

       और गम हैं देखो चादर में लिपटे

       सलवटें हजारों दर्द की पड़ी हैं

        आशा की किरण पट खोले खड़ी है

        खिड़कियों से उमंगें पवन बन के आती

        देखो झरोखों से फिर जा रही हैं

       कमरे के कोने में छिपी बैठी चाहत

       लाल सुर्ख साड़ी में मुस्कुराहट शरमा रही है

       हंसी फूलों में खिलखिला रही…

Continue

Added by Pragya Srivastava on June 14, 2013 at 8:00pm — 4 Comments

सच

सच एक सवाल हो गया

झूठ का धमाल हो गया

कमाल हो गया, कमाल हो गया

नोट है तो वोट है

हर चीज में खोट है

चोट पर चोट है, चोट पर चोट है

धूप है छाँव है

अनकहे,अनछुए घाव ही घाव हैं

नोचता ,कचौटता मन को मसौसता

राह का पता नही ढ़ूढ़ता फिर रहा

कोई तो बता दे

ये सच कहाँ रहता है

 

 

 

मौलिक व अप्रकाशित 

Added by Pragya Srivastava on June 13, 2013 at 12:33pm — 7 Comments

प्रकृति

पेड़ पर बैठी चिड़िया बोली

ओ जंगल के राजा

मानव कितना अभिमानी है

इसको तू खाजा

स्वार्थ में आकर छीन रहा था

मेरा घर वो आज

बच्चे मेरे बिलख रहे थे

कैसी गिरी ये गाज

ना जाने क्या सोच कर उसने

ये पेड़ आज नही काटा

पेड़ भी बोला गुस्से से

मारूंगा एक चांटा

छाया देता ,फल भी देता

और आसरा सबको

फिर भला ये मानव

काट रहा क्यों मुझको

सुन कर सारी बातें

शेर जोर से दहाड़ा

आने दो  कल मानव…

Continue

Added by Pragya Srivastava on June 10, 2013 at 11:04am — 5 Comments

प्रेम करें खुद से ही नही इस प्रकृति से भी

भक्ति में शक्ति है1 ईश्वर की भक्ति जीवन का अंतिम लक्ष्य है1  योग साधना है1योग हो या भक्ति दोनों ईश्वर तक पहुँचने का माध्यम हैं1योग हमारे शरीर, मन –मस्तिष्क को स्वस्थ रखता है और इस साधना के बगैर भक्ति संभव नही1 हम बहुत सौभाग्यशाली हैं कि हमें मनुष्य जीवन मिला1 हम जन्म से लेकर मृत्यु तक सांसारिक बंधनों में लिप्त रहतें हैं1 बल्कि हमारा उदेश्य तो सांसारिकता को छोड़कर ईश्वरीय अराधनाओं में होना चाहिए वही तो सच्चा ज्ञान है1जब तक हम शिक्षित नही होंगे पहचानेगें कैसे कि सच क्या है? हमें इस जीवन का…

Continue

Added by Pragya Srivastava on June 6, 2013 at 5:35pm — 5 Comments

महंगाई

 

आज बढ़ सकते हैं दाम

हाय राम, आम तो आम

बढ़ सकते हैं गुठलियों के भी दाम

ये महँगाई सुरसा के मुहँ की तरह

बढ़ती ही जा रही है

अपनी हरकतों से बाज नही आ रही है

सरकारी नीति यही समझा रही है

जनसंख्या वृद्धि को रोकने मे

महँगाई बहुत बढ़ी भूमिका निभा रही है

भूखे मरेंगे लोग

तरसेगें पीने के लिए जल

आज नही तो कल

जनसंख्या वृद्धि जैसी समस्या का

अपने आप निकल जाएगा हल

मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by Pragya Srivastava on June 6, 2013 at 5:12pm — 12 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, आपकी प्रस्तुति में जिन चिह्नों से युग्मकों को अलग किया गया है उन्हें हटा दिया…"
15 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, क्या ही सुंदर रचना हुई है ! वाह वाह !! .. एक-एक बंद जैसे प्रदत्त चित्र के मर्म…"
29 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, दीपपर्व की शुभकामनाएँ।  छंदो पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। इंगित…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय  अशोक  भाईजी हार्दिक धन्यवाद आभार आपका।  लगता है गेयता की समस्या  मेरी…"
2 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। "
2 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी  हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। "
2 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"धन्यवाद  भाव स्पष्ट करने  के लिए |"
2 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"लड़ियाँ  झूमें  ओने-कोने,  फूले-फले  त्योहार।...उत्तम कामना है आपकी किन्तु…"
4 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
" दूर दूर रहना मजबूरी, बिखर गया परिवार।               …"
4 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"ग्राहक सोचे क्या-क्या ले लूँ , और किसे दूँ छोड़.... सच यही स्थिति होती है सजा हुआ बाज़ार देखकर.…"
4 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत छंद गीत पर आपकी सराहना ने सृजन को सार्थकता प्रदान की है.…"
4 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service