For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

July 2021 Blog Posts (48)

ग़ज़ल

 212     212     212     212

जो चला वो नमाज़ी  फँसा  रह गया !

दूरियाँ  घट गयीं फासला  रह गया  !!

ज़िन्दगी  बंदगी हो  सकी  गर खुदा,

दूर था प्यार वो पास  आ रह गया !!

ना रहा कोई  अपना जहाँ दोस्त  जाँ,

जीस्त  होती रही दिल जला रह गया !

क्या हुआ गर तुम्हारा वो सर झुक गया,

झूठ  का  दम  रहा बेमज़ा रह गया !!

साजिशें चाहे जितनी करे कोई  याँ,

सर मरासिम  का पर बारहा रह गया  !

बख्श…

Continue

Added by Chetan Prakash on July 6, 2021 at 4:08pm — No Comments

दोहे

अपर्याप्त तो सोचना, किए बिना प्रयास।

हो प्रयास उसके लिए, पूरी तब हो आस॥

इच्छाएँ सीमित रहें, दें प्रकृति को मान।

रखें स्वच्छ पर्यावरण, धरती स्वर्ग समान॥

तन को ढकने के…

Continue

Added by Om Parkash Sharma on July 4, 2021 at 11:30pm — 8 Comments

अहसास की ग़ज़ल : मनोज अहसास

1222    1222    122

खबर झूठी उड़ाना चाहता हूँ,

तेरी यादें छुपाना चाहता हूँ।

तुम्हारे पास थोड़ा वक्त हो तो,

मैं हाले दिल सुनाना चाहता हूँ।

रकीबों की गली में आ गया हूँ,

तेरे घर में ठिकाना चाहता हूँ।

जो मेरी जान के दुश्मन बने हैं,

उन्हीं के हाथ आना चाहता हूँ।

बवंडर क्यों उठा है सरहदों पर,

मैं सबको सच बताना चाहता हूँ।

सियासत ,घर के झगड़े, दिल की बातें

मैं सब से दूर जाना…

Continue

Added by मनोज अहसास on July 3, 2021 at 8:39pm — 2 Comments

अहसास की ग़ज़ल : मनोज अहसास

ग़ज़ल-221 1222 22 221 1222 22

इस बहर में मेरी ये पहली ग़ज़ल है यह मतला लगभग 2 वर्ष पहले हुआ था लेकिन यह ग़ज़ल पूरी नहीं हो रही थी इसका कारण यह है कि मैं इस बहर में सहज महसूस नहीं कर रहा था यह बहर मेरी समझ में ही नहीं आ रही आज किसी तरह यह पूरी हुई है जानकार लोग बताएं कि क्या यह बहर ठीक से निभाई गई है या नहीं....

मरने का बहाना मिल जाता, जीने की सज़ा से बच जाते,

इक बार कभी वो आ जाते जो आ न सके आते आते ।

महसूस कभी होता कैसे वो दर्द का रिश्ता टूट गया…

Continue

Added by मनोज अहसास on July 3, 2021 at 12:06am — 7 Comments

कोविड 19 - 2021

221 - 2121 - 1221 - 212 

है कौन  ऐसा  जिसको  यहाँ आज  ग़म नहीं 

हर दिल में याद यादों के नश्तर भी कम नहीं 

दहलाता हर किसी को ये मंज़र है ख़ौफ़नाक

साँसें  हुईं   मुहाल  कि  मसला  शिकम  नहीं 

ग़म  को  वसीह  करते  ये अटके  हुए  बदन

नदियों के तट भी गोर-ए-ग़रीबाँ से कम नहीं 

आई  वबा ये कैसी  कि मातम  है  हर तरफ़ 

ग़मगीन  चहरे  लाशों पे  लाशें भी कम नहीं 

मस्कन भी थी ये गंगा है मद्फ़न भी आज…

Continue

Added by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on July 2, 2021 at 11:15pm — 17 Comments

ग़ज़ल (जगह दिल में तुम्हारे...)

1222 - 1222 - 1222 - 1222 

(बह्र-ए-हज़ज मुसम्मन सालिम) 

जगह  दिल में  तुम्हारे अब  भी थोड़ी  सी बची  है  क्या

मेरे  बिन  ज़िन्दगी  में  जो  कमी  सी  थी  वही  है  क्या

अभी  तक  आरज़ू  जो  दफ़्न  कर  रक्खी  है  सीने  में 

तड़प  उसकी जो  सुनता हूँ  वो तुमने भी  सुनी है  क्या

तेरे  साँसों   की  गर्मी  से  पिघल  कर   रह  गया  हूँ  मैं 

जो    हालत   हो   गई   मेरी  वही   तेरी  हुई   है   क्या 

मिले  हो जब भी…

Continue

Added by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on July 2, 2021 at 6:04pm — 7 Comments

देवता होना नहीं पर दानवों की बात सुन-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/२१२२/२१२२/२१२



कौन कहता घाव  अपने  सी  रहा है आदमी

आजकल तो खून  अपना  चूसता है आदमी।१।

*

देवता होना  नहीं  पर  दानवों  की बात सुन

आदमी की  पाँत  से  ही  लापता है आदमी।२।

*

जब हुआ उत्पन्न होगा तब भले वरदान हो

आज धरती के लिए बस हादसा है आदमी।३।

*

प्यास होने पर  मरुस्थल  छान लेता नीर…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 1, 2021 at 6:42pm — 12 Comments

स्वयं को आजमाने को तू खुलकर आ जमाने में

स्वयं को आजमाने को

तू खुलकर आ जमाने में

बहुत अनमोल है जीवन

गवाँता क्यों बहाने में

नदी के पास बैठा है

दबा के प्यास बैठा है

तुझे मालूम है, तुझमें

कोई एहसास बैठा है

किनारे कुछ न पाओगे

मिलेगा डूब जाने में

तुम्हारे सामने दुनिया

सुनो रणभूमि जैसी है

स्वयं का तू ही दुश्मन है

स्वयं का तू हितैषी है

कहीं पीछे न रह जाना

स्वयं से ही निभाने में

कहाँ दसरथ की दौलत …

Continue

Added by आशीष यादव on July 1, 2021 at 2:30am — 4 Comments

Monthly Archives

2025

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

1999

1970

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।प्रस्तुत…See More
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"प्रस्तुति को आपने अनुमोदित किया, आपका हार्दिक आभार, आदरणीय रवि…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
Saturday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service