For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Rahila's Blog – July 2016 Archive (5)

इच्छापूर्ति(लघुकथा)राहिला

"चलो अच्छा है,आखिरकार जीजाजी के सर का बोझ कुछ तो हल्का हुआ"

"अरी! अब तो बाकी की दोनों लड़कियाँ झट से निपट जाएँगी ।ये तो सुचि ही रंगरूप में इतनी गयीबीती थी, कि चार साल लग गए मौसाजी को चप्पल चटकाते ।उन दोनों के रिश्तों की तो लाइन लगी है।"

"वो तो आज भी चप्पल ही चटकाते फिरते ,अगर सुचि ने लड़का खुद पसंद न किया होता तो।"

"हाय...,क्या कह रही हो? तो क्या ये पसंद की शादी है।"

"और क्या। सहकर्मी है सुचि का।"

"लेकिन लड़के ने इसमें क्या देखा ?"

"उसकी सरकारी नौकरी और क्या?"वो मुँह… Continue

Added by Rahila on July 21, 2016 at 3:12pm — 14 Comments

अक़ल का चश्मा(लघुकथा)राहिला

किसी भी सफ़र की बेहद आम,लेकिन जबरदस्त मानसिक प्रताड़ना वाली हरक़त से सोमी दो चार हो रही थी।उसके बगल में बैठे सज्जन गाहे वाहे हर संभव मौके पर उसे छूने का कोई अवसर हाँथ से नहीं गवां रहे थे।सफर लंबा था और बर्दास्त की हद हो रही थी।लेकिन संकोची स्वभाव आज उसपर भारी पड़ रहा था।ऐसे में अचानक उसकी नज़र मोबाइल पर पड़ी।और पता नहीं क्या सोचकर उसने अपनी सहेली को संदेश लिखना शुरू किया।

"सुन यार!इस समय बस में हूँ।और मुझे बहुत गुस्सा आ रहा है।"

"क्यों.. क्या हुआ?"

"क्या कहूँ यार!मेरी बगल में एक छिछोरा… Continue

Added by Rahila on July 13, 2016 at 4:19pm — 16 Comments

बाँझ निवास (लघुकथा)राहिला

"अरी विभा देख जरा वहां"बस के आगे जा रहे वाहन की ओर इशारा करके सुधा बोली।

"क्या दिखाना चाह रही हो ,वो ट्रॉली?"

"हाँ,क्या ऐसा नहीं लग रहा उसे देख कर, जैसे सैकड़ो नन्हें मुन्ने नर्सरी के बच्चे पहली बार विद्यालय वाहन में सवार हो,झूमते ,गाते ,तालियाँ बजाते चले जा रहे हों।"

"फिर दौड़ाये तूने कल्पना के घोड़े"

"तो तू भी दौड़ाकर देख ,एक बार मेरी तरह।"

सुधा द्वारा चित्रित किये दृश्य को जब उसने ,उसकी नज़र से देखा तो भाव विभोर होकर बोली।

"कसम से सुधी! ये नर्सरी  वाहन…

Continue

Added by Rahila on July 9, 2016 at 1:01pm — 25 Comments

अक़लदाढ़(लघुकथा)राहिला

"यार रमेश!याद है परसों एक पंडित जी अपनी जमीन के किसी मसले को लेकर अपने कलेक्टर साहब से मिलने आये थे।"

"हाँ यार,क्या ओज था उस व्यक्ति के चेहरे पर।कोई भी प्रभावित हुए बगैर नही रह सकता था।मैंने तो खुद अपने बालक के बारे में पूछा था उनसे । ज्योतिष का खूब ज्ञाता था।"

"हाँ ,यही तो मैं बता रहा हूँ, अपने कलेक्टर साहब ! भी नहीं बच पाये।"

"मतलब अपनी तरह उन्होंने भी कुछ पूछा क्या? लेकिन आपको कैसे पता चला?"

"अपना रघु जिंदाबाद ,चाय पानी देने गया था अंदर, बस... ।"

"ऐसा क्या पूंछ… Continue

Added by Rahila on July 4, 2016 at 1:53pm — 20 Comments

मक्खियाँ (लघुकथा) राहिला

सौम्या की खास सहेली काफ़ी जतन के बाद भी लन्दन से शादी के एक दो दिन पहले ना पहुँच, ठीक उसी दिन पहुँच पायी।अपनी प्रिय सखी की पसंद को लेकर उसके मन में काफ़ी सवाल थे,जो मौका पाते ही निकल पड़े।

"तू बस एक वजह बता दे इस कोयले की खान से शादी करने की?"उसने एक नज़र स्टेज पर खड़े उसके दूल्हे डाल कर कहा।

"तमीज से बोल रमा!इतना तो याद रख ,तू मेरे पति के बारे में बात कर रही है।"

"अच्छा!!खूब ,जरा देख..,अपने पूरे कुटुंब को एक नज़र।इतनी हेठी शख्सियत तो तेरे ड्राइवर की भी नहीं।"

"शक्ल…

Continue

Added by Rahila on July 1, 2016 at 3:00pm — 18 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
Sep 30
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
Sep 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service