1212 1122 1212 22
न नींद है न कहीं चैन प्यारी आँखों में,
तमाम ख़्वाब पले हैं कुँवारी आँखों में.
शिकार कैसे हुए हम समझ नहीं पाए,
दिखा न तीर न कोई कटारी आँखों में
करीब जा के न कोई भी लौट कर आया,
फँसे पड़े हैं कई इन जुआरी आँखों में
ये दिल हमारा किसी और का हुआ जब से,
तभी से…
ContinueAdded by बसंत कुमार शर्मा on July 21, 2020 at 8:00pm — 6 Comments
मापनी
२२१/२१२१/१२२१/२१२१/२
पकड़ा किसी का हाथ तो छोड़ा नहीं कभी.
जोड़ा जो रिश्ता प्यार का तोड़ा नहीं कभी.
महँगा पड़ा है झूठ से लड़ना हमें मगर,
घुटनों को उसके सामने मोड़ा…
ContinueAdded by बसंत कुमार शर्मा on July 17, 2020 at 9:33pm — 4 Comments
मापनी १२२२ १२२२ १२२२ १२२२
कभी रुकना नहीं आया कभी चलना नहीं आया.
हमें हर एक साँचें में कभी ढलना नहीं आया.
बहारों में ये सहरा भी गुलिस्ताँ बन गया होता,
किसी दरिया समंदर को उसे छलना नहीं आया.
जो बाहर ख़ूब फूले हैं…
ContinueAdded by बसंत कुमार शर्मा on July 15, 2020 at 9:00am — 9 Comments
मापनी १२२२ १२२२ १२२२ १२२२
बहुत आसान है धन के नशे में चूर हो जाना,
बड़ा मुश्किल है दिल का प्यार से भरपूर हो जाना.
अगर वो चाहता कुछ और होना तो न था मुश्किल,
मगर मजनूँ को भाया इश्क में मशहूर हो जाना.
भले दो गज जमीं थी गॉंव में अपने मगर खुश…
ContinueAdded by बसंत कुमार शर्मा on July 13, 2020 at 5:59pm — 6 Comments
मापनी २१२२ २१२२ २१२२ २१२
इस जिग़र में प्यास बाकी है बुझाने की कहो,
झूमती काली घटा से छत पे आने की कहो.
है मधुर आवाज़ उसकी और चेहरा खूबसूरत,
गीत सावन के सुहाने आज गाने की कहो.
देखना गर चाहते हो इस जहाँ को ख़ुशनुमा, …
ContinueAdded by बसंत कुमार शर्मा on July 9, 2020 at 8:44pm — 8 Comments
मापनी
२२१२ १२१२ ११२२ १२१२
प्यारी सी ज़िंदगी से न इतने सवाल कर,
जो भी मिला है प्यार से रख ले सँभाल कर.
तदबीर के बग़ैर तो मिलता कहीं न कुछ,
सब ख़ाक हो गए यहाँ सिक्का उछाल कर.
…
ContinueAdded by बसंत कुमार शर्मा on July 6, 2020 at 11:30am — 12 Comments
मापनी 22 22 22 22
पंछी को अब ठाँव नहीं है,
पीपल वाला गाँव नहीं है.
दिखते हैं कुछ पेड़ मगर,
उनके नीचे छाँव नहीं है.
लाती जो पिय का संदेशा,
कागा की वह काँव नहीं है
…
ContinueAdded by बसंत कुमार शर्मा on July 2, 2020 at 5:19pm — 4 Comments
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