याद है तुम्हें वे ढाक के पेड़
जहां ऐसे ही सावन में
हम-तुम भींगे थे.....
और....कितना रोया था मैं
कि पहली छुअन की सिहरन
को पचा नहीं पाया ...
उस विशाल मैंदान की मांग.....
जब मेरे साइकिल पर
तुम बैठी थी और
Added by राजेश 'मृदु' on August 25, 2012 at 2:40pm — 2 Comments
जब भी गुमसुम तन्हा तट पर
बरबस तुम आ जाओगे
वहीं लहर के श्रृंग तोड़ते
मुझको तुम पा जाओगे
बिछुड़े पल के दीप तले
जब अश्रु अर्घ्य चढ़ाओगे
वहीं शिखा की छाया छूते
मुझको तुम पा जाओगे
छोड़-छोड़ सौन्दर्य प्रसाधन
जब कुंतल तुम बिखराओगे
वहीं किसी दर्पण में हंसते
मुझको तुम पा जाओगे
ना कहना ना मुझको छलिया
फिर किसको प्रीत सिखाओगे
पायल,कंगन,बिंदी,अंजन में
मुझको तुम पा…
ContinueAdded by राजेश 'मृदु' on August 23, 2012 at 4:08pm — 9 Comments
भ्रम जीने का पाल रहा हूँ
जग सा ही बदहाल रहा हूँ
फटा-चिटा कल टाल रहा हूँ
किसी ठूँठ सा जड़ित धरा पर
भ्रम जीने का पाल रहा हूँ
हरित प्रभा, बिखरी तरुणाई
पतझड़ पग जब फटी बिवाई
ओस कणों पर प्यास लुटाए ...
घूर्णित पथ बेहाल चला हूँ
भ्रम जीने का पाल रहा हूँ
पतित-पंथ को जब भी देखा
दिखी कहाँ आशा की रेखा
बड़ी तपिश, था झीना ताना…
Added by राजेश 'मृदु' on August 21, 2012 at 5:30pm — 7 Comments
जब मेरे जीवन की बाती
फफक-फफक बुझने लगे
और मोह छनकर हृदय से
प्राण को दलने लगे
लोचन मेरे जब नीर लेकर
मन के कलुष धोने लगे
और पाप नभ सा मेरा वो
प्रलय-नाद करने लगे
Added by राजेश 'मृदु' on August 19, 2012 at 1:19am — 2 Comments
कवि तेरे भी
कवि तेरे भी मन में
कोई तो विरहिणी
रहती है
श्वेत शीत पड़ी
किरण देह सी…
Added by राजेश 'मृदु' on August 14, 2012 at 10:30pm — 6 Comments
ऑनर किलिंग पर एक रचना
बेटियां मरती नहीं
मेरे बालों में
वही फूलोंवाली क्लिप
अभी भी लगी है
और फैली है
मेरे चेहरे पर
तुम्हारी…
Added by राजेश 'मृदु' on August 13, 2012 at 9:50pm — 7 Comments
किसके मन में नहीं वेदना
विकल प्राण की धरणी है
कौन प्रतापी धूसर पग से
पार हुआ वैतरणी है ?
किसके मन में ......
कौन विधु परिपूर्ण कला से
गगन खिला अभिराम लला से
कल्पवृक्ष यहां किसे मिला है
कौन अमर निर्झरणी है ?
किसके मन में.....
किसके पगतल भंवर नहीं हैं
गुहा-गर्त कुछ गह्वर नहीं हैं
दशो दिशा किसकी पूरब है ?
कौन वृत्त विकर्णी है ?
Added by राजेश 'मृदु' on August 13, 2012 at 2:00pm — 6 Comments
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