पंक्तियाँ
v एक दिन देखना देश हमारा इतना हाईटेक हो जाएगा,
दूल्हा भी घूंघट दुल्हन का रिमोट से ही उठाएगा!
v आयेंगे तो जा न पायेंगे ये हमारी ज़िम्मेदारी है,
और जायेंगे भी कैसे जनाब ये अस्पताल ही सरकारी है!
v पुरुषो से हैं कहीं आगे आजकल की महिलाएं,
धडल्ले से हैं पीती दारू वो भी बिना बरफ मिलाये!
v पत्नियां घूमें सेल में ढूंढें महंगी साड़ी,
पति बेचारा जेब टटोले कभी…
ContinueAdded by Ranveer Pratap Singh on August 25, 2012 at 9:53pm — 2 Comments
रंग बिरंगा देश है मेरा
रंग बिरंगी शान है
सारी दुनिया कहती है , सुनलो …
भारत देश महान है !
Added by Ranveer Pratap Singh on August 15, 2012 at 11:30am — 5 Comments
बचपन !
आज मन मेरा फिर मुस्कुराया है
बचपन का दिन आज याद मुझे आया है
यादों ने फिर एक गीत सुनाया है
बचपन का दिन आज याद मुझे आया है…
स्कूल से घर आकर बसते का पटकना
तपती हुई धुप में बस यूँ ही भटकना
आइने के सामने मस्ती में मटकाना
पापा के कंधे पर जबरन…
ContinueAdded by Ranveer Pratap Singh on August 14, 2012 at 1:12pm — No Comments
क़लम, डायरी और तू...
आज सोचा की तेरी बड़ाई लिखूं
कुछ तेरी ही बाते कुछ तो सच्चाई लिखूं
कुछ ऐसा लिखूं जो मेरी कल्पना ना हो
चाँद, तारे, बादलों से तेरी तुलना ना हो
कुछ शब्द है मन में मेरे, कुछ पंक्तियाँ सजाई है
तुझपे कविता लिखने को मैंने डायरी उठायी है....…
ContinueAdded by Ranveer Pratap Singh on August 12, 2012 at 3:28pm — No Comments
दुनिया
चाँद धरा पे लाना है
सूरज को पिघलाना है
सागर को भर अजुरी में
बादल को बरसाना है
है अंत जहां भी आसमान का
उससे ऊपर…
ContinueAdded by Ranveer Pratap Singh on August 12, 2012 at 12:24am — No Comments
मेरी सखी
कभी चंचल है, कभी है गंभीर
कभी हवा सी है, कभी जैसे नीर
कभी मोती जैसे खानेके वो
कभी चन्दन जैसे महके वो
कभी…
ContinueAdded by Ranveer Pratap Singh on August 10, 2012 at 1:20pm — 7 Comments
Added by Ranveer Pratap Singh on August 9, 2012 at 1:30pm — 2 Comments
अमीरी
बचपन की अमीरी जाने कहाँ खो गयी
सपनो की दुनिया मेरी आँखे मूँद सो गयी …
चार आने जेब में रखकर
दुनिया लेने जाते थे
चार आने में चार गोलियां
संतरे वाली लाते थे
चार चवन्नी रख गुल्लक में
उसको रोज़ बजाते थे
चार रुपये हो जाए तो एक
नयी गुल्लक ले आते थे
चार आने की खनक चार कंधो पे सो…
Added by Ranveer Pratap Singh on August 8, 2012 at 1:30pm — 4 Comments
प्रगति पथ पर चलो निरंतर
न किसी का भय न कोई डर
करना है कुछ अलग सा काम
चाहे हो जाए जीवन तमाम
पर चले चलो अ-विराम
कांटो सी राह पर चलते है जाना
सूरज की आग में जलते है जाना
रोशन करना है जग में नाम
चाहे हो जाए जीवन तमाम
पर चले चलो…
ContinueAdded by Ranveer Pratap Singh on August 7, 2012 at 11:33pm — 5 Comments
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