For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Ranveer Pratap Singh's Blog – August 2012 Archive (9)

पंक्तियाँ...

पंक्तियाँ

 

v एक दिन देखना देश हमारा इतना हाईटेक हो जाएगा,

दूल्हा भी घूंघट दुल्हन का रिमोट से ही उठाएगा!

 

v आयेंगे तो जा न पायेंगे ये हमारी ज़िम्मेदारी है,

और जायेंगे भी कैसे जनाब ये अस्पताल ही सरकारी है!

 

v पुरुषो से हैं कहीं आगे आजकल की महिलाएं,

 धडल्ले से हैं पीती दारू वो भी बिना बरफ मिलाये!

 

v पत्नियां घूमें सेल में ढूंढें महंगी साड़ी,

पति बेचारा जेब टटोले कभी…

Continue

Added by Ranveer Pratap Singh on August 25, 2012 at 9:53pm — 2 Comments

रंग बिरंगा देश

रंग बिरंगा देश है मेरा 

रंग बिरंगी शान है 

सारी दुनिया कहती है , सुनलो … 

भारत देश महान है !



रंग बिरंगे लोग यहाँ पर 

रंग बिरंगी संस्कृति 

विश्व नक़्शे पर है बनी 
सबसे सुन्दर सी आकृति 


लोग यहाँ रहते हैं मिलकर 

सबका साथ निभाते हैं 

ईद , होली हो या बैसाखी 

मिलकर जश्न मनाते हैं 



रंग बिरंगे मौसम…
Continue

Added by Ranveer Pratap Singh on August 15, 2012 at 11:30am — 5 Comments

बचपन !

बचपन !

आज मन मेरा फिर मुस्कुराया है 

बचपन का दिन आज याद मुझे आया है 

यादों ने फिर एक गीत सुनाया है 

बचपन का दिन आज याद मुझे आया है…

 

स्कूल से घर आकर बसते का पटकना

तपती हुई धुप में बस यूँ ही भटकना

आइने के सामने मस्ती में मटकाना

पापा के कंधे पर जबरन…

Continue

Added by Ranveer Pratap Singh on August 14, 2012 at 1:12pm — No Comments

क़लम, डायरी और तू...

क़लम, डायरी और तू... 

 

आज सोचा की तेरी बड़ाई लिखूं

कुछ तेरी ही बाते कुछ तो सच्चाई लिखूं

कुछ ऐसा लिखूं जो मेरी कल्पना ना हो

चाँद, तारे, बादलों से तेरी तुलना ना हो

कुछ शब्द है मन में मेरे, कुछ पंक्तियाँ सजाई है

तुझपे कविता लिखने को मैंने डायरी उठायी है....…

Continue

Added by Ranveer Pratap Singh on August 12, 2012 at 3:28pm — No Comments

दुनिया

दुनिया

चाँद धरा पे लाना है

सूरज को पिघलाना है

सागर को भर अजुरी में

बादल को बरसाना है

है अंत जहां भी आसमान का

उससे ऊपर…

Continue

Added by Ranveer Pratap Singh on August 12, 2012 at 12:24am — No Comments

मेरी सखी

मेरी सखी

कभी चंचल है, कभी है गंभीर

कभी हवा सी है, कभी जैसे नीर 

कभी मोती जैसे खानेके वो

कभी चन्दन जैसे महके वो

कभी…

Continue

Added by Ranveer Pratap Singh on August 10, 2012 at 1:20pm — 7 Comments

तिनका तिनका ज़िन्दगी

तिनका तिनका ज़िन्दगी
 
बिखर गए पन्ने, मेरी ज़िन्दगी की किताब से 
तिनका तिनका ज़िन्दगी, जी रहा हूँ हिसाब से…
Continue

Added by Ranveer Pratap Singh on August 9, 2012 at 1:30pm — 2 Comments

अमीरी

अमीरी



बचपन की अमीरी जाने कहाँ खो गयी 

सपनो की दुनिया मेरी आँखे मूँद सो गयी …

चार आने जेब में रखकर 

दुनिया लेने जाते थे 

चार आने में चार गोलियां 

संतरे वाली लाते थे 

चार चवन्नी रख गुल्लक में 

उसको रोज़ बजाते थे 

चार रुपये हो जाए तो एक 

नयी गुल्लक ले आते थे 

चार आने की खनक चार कंधो पे सो…

Continue

Added by Ranveer Pratap Singh on August 8, 2012 at 1:30pm — 4 Comments

अ-विराम

                         

प्रगति पथ पर चलो निरंतर

न किसी का भय न कोई डर

करना है कुछ अलग सा काम

चाहे हो जाए जीवन तमाम

पर चले चलो अ-विराम

 

कांटो सी राह पर चलते है जाना

सूरज की आग में जलते है जाना

रोशन करना है जग में नाम

चाहे हो जाए जीवन तमाम

पर चले चलो…

Continue

Added by Ranveer Pratap Singh on August 7, 2012 at 11:33pm — 5 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. अजय जी "
1 hour ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"मोर या कौवा --------------- बूढ़ा कौवा अपने पोते को समझा रहा था। "देखो बेटा, ये हमारे साथ पहले…"
2 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"जी आभार। निरंतर विमर्श गुणवत्ता वृद्धि करते हैं। अपनी एक ग़ज़ल का मतला पेश करता हूँ। पूरी ग़ज़ल भी कभी…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"क़रीना पर आपके शेर से संतुष्ट हूँ. महीना वाला शेर अब बेहतर हुआ है .बहुत बहुत बधाई "
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"हार्दिक स्वागत आपका गोष्ठी और रचना पटल पर उपस्थिति हेतु।  अपनी प्रतिक्रिया और राय से मुझे…"
2 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"आप की प्रयोगधर्मिता प्रशंसनीय है आदरणीय उस्मानी जी। लघुकथा के क्षेत्र में निरन्तर आप नवीन प्रयोग कर…"
3 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"अच्छी ग़ज़ल हुई है नीलेश जी। बधाई स्वीकार करें।"
3 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"मौसम का क्या मिज़ाज रहेगा पता नहीं  इस डर में जाये साल-महीना किसान ka अपनी राय दीजिएगा और…"
3 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"उपयोगी सलाह के लिए आभार आदरणीय नीलेश जी। महत्वपूर्ण बातें संज्ञान में लाने के लिए धन्यवाद। एक शेर…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आ. गिरिराज जी ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई ..मैं निजि रूप में दर्पण जैसे संस्कृतनिष्ठ शब्द को…"
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. गिरिराज जी "
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"आ. अजय जी,अच्छे भावों से सजी हुई ग़ज़ल हुई है लेकिन दो -तीन बातें संज्ञान में लाने का प्रयत्न कर रहा…"
5 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service