For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Naveen Mani Tripathi's Blog – September 2016 Archive (8)

ग़ज़ल - जिंदगी है ढ़लान पर भाई

2122 1212 22

आज मुद्दा ज़ुबान पर भाई ।

गोलियां क्यूँ जवान पर भाई ।।



उठ रहीं बेहिसाब उँगली क्यूँ ।

इस लचीली कमान पर भाई ।।



कुछ वफादार हैं अदावत के।

तेरे अपने मकान पर भाई।।



बाल बाका न हो सका उनका।

खूब चर्चा उफान पर भाई ।।



मरमिटे हम भी तेरी छाती पर।

चोट खाया गुमान पर भाई ।।



बिक रही दहशतें हिमाक़त में ।

उस की छोटी दुकान पर भाई ।।



गीदड़ो का फसल पे हमला है ।

बैठ ऊँचे मचान पर भाई ।।



यार… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on September 27, 2016 at 12:34am — 4 Comments

ग़ज़ल - मेरी ग़ज़ल पे निशाना है बात क्या करना

1212 1122 1212 22



बड़ा खराब ज़माना है बात क्या करना ।

मेरी ग़ज़ल पे निशाना है बात क्या करना ।।



नहीं है नज्म की तहजीब जिस मुसाफिर को ।

उसी से दिल का फ़साना है बात क्या करना ।।



अजीब शख़्स यूँ पढ़ता उन्हीं निगाहों को ।

किसी को वक्त गवाना है बात क्या करना ।।



बिखर गए है तरन्नुम के हर्फ़ महफ़िल में ।

नजर नज़र से मिलाना है बात क्या करना ।।



हुजूर जिन से दुपट्टे कभी नही सँभले ।

उसे भी घर को बसाना है बात क्या करना ।।



दिखी है… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on September 25, 2016 at 6:00pm — 16 Comments

ग़ज़ल - आँख जब भी कभी लड़ी होगी

बहरे ख़फ़ीफ़ मुसद्दस् मख़बून

फाइलातुन मुफाइलुन् फेलुन



2122 1212 22



उन अदाओं में तिश्नगी होगी ।

कोई खुशबू नई नई होगी ।।



यूं ही नाराजगी नही होती ।

बात उसने भी कुछ कही होगी ।।



होश आया कहाँ उसे अब तक ।

कुछ तबीयत मचल गई होगी ।।



बेकरारी का बस यही आलम ।

बे खबर नींद में चली होगी ।।



कर गया इश्क में तिज़ारत वह ।

शक है नीयत नहीं भली होगी ।।



वो बगावत की बात करता है ।

खबर शायद सही पढ़ी होगी… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on September 24, 2016 at 11:54am — 12 Comments

ग़ज़ल - कब तक खिंजां का साथ निभाया करेंगे आप।

2212 121 122 121 21

चिलमन तमाम वक्त हटाया करेंगे आप ।

तश्वीर महफ़िलों में दिखाया करेंगे आप ।।



चुप चाप आसुओं को छुपाया करेंगे आप ।

कुछ बात मशबरे में बताया करेंगे आप।।



मुझको मेरे नसीब पे यूं छोड़िये जनाब ।

कब तक खिंजां का साथ निभाया करेंगे आप।।



तहज़ीब मिट चुकी है जमाने के आस पास ।

बुझते मसाल को न जलाया करेंगे आप।।



यह बात सच लगी कि मुकद्दर नही है साथ ।

मेरे ज़ख़म पे ईद मनाया करेंगे आप ।।



आजाद आसमा के परिंदे हैं बदजुबान… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on September 10, 2016 at 3:44pm — 2 Comments

दोहे

बलात्कार पर कर रहे मोदी बिल को पेश ।

दलित नही महिला अगर होगा हल्का केस ।।



ब्लात्कार में भेद कर तोड़ा है विश्वास ।

अच्छे दिन अब लद गए टूटी सबकी आस ।।



कितना सस्ता ढूढ़ता कुर्सी का वह मन्त्र ।

मोबाइल के दाम में बिक जाता जनतन्त्र ।।



सड़को पर इज्जत लुटे मथुरा भी हैरान ।

न्याय बदायूं मांगता सब उनके शैतान ।।



नए सुशासन दौर में जनता है गमगीन ।

सौगातों में ला रहे वही सहाबुद्दीन ।।



छूटा गुंडा जेल से जिसका था अनुमान ।

जंगल… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on September 10, 2016 at 12:28am — 6 Comments

ग़ज़ल : गालों पर है रंग गुलाबी तौबा तौबा

2221 21122 2222



गालों पर है रंग गुलाबी तौबा तौबा ।

मतवाली की चाल शराबी तौबा तौबा ।।



कातिल शम्मा रात जला कर लूटे हस्ती।

नयी अदा में बात नबाबी तौबा तौबा ।।



अंदाजों से हुस्न बयां वो आधा है अब ।

हुई हया से आँख हिजाबी तौबा तौबा ।।



खंजर दिल पे मार गई है हक से यारों ।

पढ़ती है वो रोज तराबी तौबा तौबा ।।



खैरातों में इश्क बटा कब उस के दर पे ।

निकली वह भी खूब हिसाबी तौबा तौबा ।।



अंगड़ाई न ले तू खुले दरीचों से अब…

Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on September 5, 2016 at 9:30pm — 8 Comments

ग़ज़ल : टूटती सारी हदें सड़कों पे अब

212 22 12 22 12

टूटती सारी हदें सड़कों पे अब ।

लुट रहीं हैं इज्जतें सड़को पे अब ।।



ऐ मुसाफिर देख जंगल राज ये ।

फिर खड़ी है जहमतें सड़कों पे अब ।।



हैं बहुत दागी यहां की खाकियां ।

बिक रही है हरकतें सड़को पे अब ।।



हो चुके हैं राज में गुंडे बहुत ।

लग रहीं हैं महफ़िलें सड़कों पे अब ।।



दिख रही इंसानियत की बेबसी ।

हर तरह की सोहबतें सड़कों पे अब ।।



बाप जिन्दा लाश बनकर रह गया ।

मिट गयीं सब अस्मतें सड़को पे अब ।।…

Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on September 3, 2016 at 5:30am — 4 Comments

ग़ज़ल: शूलियों पर चढ़ चुकी सम्वेदनायें

212 22 12 22122



शूलियों पर चढ़ चुकी सम्वेदनायें ।

बाप के कन्धों पे बेटे छटपटाएं ।।



लाश अपनों की उठाये फिर रहा है ।

दे रही सरकार कैसी यातनाएं ।।



है यही किस्मत में बस विषपान कर लें ।

दर्द की गहराइयां कैसे छुपाएँ ।।



सिर्फ खामोशी का हक अदने को हासिल ।

डूबती हैं रोज मानव चेतनाएं ।।



हम गरीबों का खुदा कोई कहाँ है ।

मुफलिसी पर हुक्मरां भी मुस्कुराएं।।



वो करेंगे जुर्म का अब फैसला क्या ।

जो नचाते सैफई में…

Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on September 1, 2016 at 9:30pm — 6 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday
anwar suhail updated their profile
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service