आज फिर बापू को हमने याद दिल से कर लिया ।
और सारे साल फिर इनसे किनारा कर लिया ।।
फूल चरणों में चढ़ाकर सोचते सब ठीक है ।
रूप बगुले का बशर ने फिर तिबारा कर लिया।।
परचम-ए-खादी तिरंगे में लिपटकर…
ContinueAdded by प्रदीप देवीशरण भट्ट on October 2, 2018 at 9:00am — 5 Comments
क्लास के
सबसे होनहार बच्चे से
मैंने कहा
कल दो अक्टूबर है
और है
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की
जयंती
तुम लिखो, एक निबंध
देश के राष्ट्र-पिता पर
और मुझको दिखाओ
एक घंटे बाद
आया वह होनहार
लिखकर लाया था वह एक निबंध
जैसा मैंने कहा था
उसने लिखा था
कल दो अक्टूबर है
और है
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की
जयंती…
ContinueAdded by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on October 2, 2018 at 6:56am — 7 Comments
जंतर-मंतर चौराहे पर भीड़ जमा हो चुकी थी। कुछ नियोजित, तो कुछ टाइम-पास थी। कुछ नुक्कड़-नाटिका कलाकार मुखौटे पहने हुए थे, कुछ आम नागरिकों और कुछ नेताओं के वेश में थे। एक वृत्ताकार जमावड़े में संवादों और अदायगी का जंतर-मंतर शुरू हुआ :
"तुरपाई हो नहीं सकती, भरपाई हो नहीं सकती
कपड़े फट सकते हैं, चिथड़े उड़ सकते हैं!
सुनवाई होती है, कार्यवाही सदैव हो नहीं सकती!"
ज़मीन पर पड़ी बलात्कार-पीड़िता और लिंचिंग-पीड़ित के शवों को घेरते हुए दो कलाकार बोले।
"घटना बहुत…
Added by Sheikh Shahzad Usmani on October 1, 2018 at 5:30pm — 7 Comments
2122 2122 212
गर अदब में नाम की दरकार है।
तो ग़ज़ल कोई नयी दरकार है।।
तू किसी को देख ले ग़मगीन तो।
आँख में तेरी नमी दरकार है।।
प्यार करते हो मुझे तुम भी अगर
इक नज़र चाहत भरी दरकार है।।
एक दूजे पे हमेशा हो यकीं।
दोस्ती में बस यही दरकार है।।
ये अँधेरा दूर होगा एक दिन।
इल्म की बस रौशनी दरकार है।।
बात सच्ची ही कहें हर शेर में।
शाइरी में ये रही दरकार है।।
तुम बढ़ा…
ContinueAdded by surender insan on October 1, 2018 at 12:00pm — 6 Comments
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