(फेलुन -फइलुन -फेलुन -फेलुन -फेलुन -फइलुन -फेलुन -फेलुन )
लल का न करे कोई चर्चा वो याद मुझे आ जाएँगे |
छल का न करे कोई चर्चा वो याद मुझे आ जाएँगे |
ज़ालिमकेमुक़ाबिल लब यारों मैं खोलभीदूँगाअपने मगर
बल का न करे कोई चर्चा वो याद मुझे आ जाएँगे |
लम्हे जो गुज़ारे उल्फ़त में मुश्किल से मैं उनको भूला हूँ
पल का न करे कोई चर्चा वो याद मुझे आ जाएँगे |
तूफ़ां से बचा कर कश्ती को लाया तो हूँ साहिल पर लेकिन
जल का न करे कोई…
Added by Tasdiq Ahmed Khan on October 20, 2017 at 6:00pm — 6 Comments
मफऊल -फ़ाइलात -मफाईल -फाइलुन
दिल में चरागे इश्क़ तो पहले जलाइए |
नफ़रत मिटा के दीपावली फिर मनाइए |
तहवार भाई चारे का अहले वतन है यह
लग कर गले से रस्मे महब्बत निभाइए|
होने लगीं हवाएँ भी ज़हरीली दोस्तों
आतिश फशाँ पटाखे न घर में चलाइए |
करवा के बंद हर तरफ होता हुआ जुआ
रुसवाइयों से दीपावली को बचाइए |
फरहत ही जिस ग़रीब की मंहगाई खा गई
कैसे मनाए दीपावली वो बताइए…
ContinueAdded by Tasdiq Ahmed Khan on October 20, 2017 at 9:00am — 6 Comments
फइलात -फ़ाइलातुन -फइलात -फ़ाइलातुन
सरे राह उसने देखा जो मुझे पलट पलट के |
उसी दिन से रह गया हूँ मैं मुआशरे से कटके |
अभी रूठ कर उठे थे कि कड़क के बर्क़ चमकी
मेरी बाहों में वो सहमे हुए आ गये सिमट के |
बड़ी रात जा चुकी है कोई ख़ाक आएगा अब
शबे ग़म मेरी इधर आ तुझे रो लूँ मैं लिपट के |
जो ग़रीब हौसला है उसे होगा कुछ न हासिल
वही जाम पा सकेगा जो उठा ले ख़ुद झपट के |
जिन्हें गुमरही का डर था वही पा गये हैं…
ContinueAdded by Tasdiq Ahmed Khan on October 17, 2017 at 6:00pm — 20 Comments
मफऊल -फाइलातुन -मफऊल -फाइलातुन
मेरे हबीब इस में तेरी खता नहीं है |
इल्ज़ामे बे वफ़ाई किस पर लगा नहीं है |
ओ प्यार के मुसाफिर इस पर भी ग़ौर कर ले
यह राहे ग़म है इस में कोई मज़ा नहीं है |
माली तेरी कमी से गुलशन में है तबाही
तू अब भी कह रहा है तुझको पता नहीं है |
दीदार मैं अभी तक चहरे का कर रहा हूँ
ठहरो अभी न जाओ यह दिल भरा नहीं है |
ग़मदीदा दिलसे उल्फ़त तुझसे न निभ सकेगी
कर तर्के इश्क़ कुछ भी…
Added by Tasdiq Ahmed Khan on October 17, 2017 at 4:30pm — 12 Comments
फाइलातुन -मफ़ाइलुन -फेलुन
दिल की हसरत यही है मुद्दत से |
कोई देखे हमें महब्बत से |
नामे उल्फ़त से जो नहीं वाक़िफ़
देखता हूँ मैं उसको हसरत से |
सब्र का फल तो खा के देख ज़रा
क्यूँ है मायूस उसकी रहमत से |
जिस ने देखा उन्हें यही बोला
उनको रब ने बनाया फ़ुर्सत से |
उसके हाथों में आइना दे दो
बाज़ आए नहीं जो गीबत से |
देखिए तो करम अज़ीज़ों का
वो हैं बे ज़ार मेरी सूरत से…
Added by Tasdiq Ahmed Khan on October 6, 2017 at 12:00pm — 16 Comments
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