कुछ तो नया मिल जाए, अपना कुछ रूप-रंग बदल जाये, किसी तरह तो पागल-दीवानों को संतुष्ट किया जाये। इसी सोच के साथ वे सब आज फिर इंतज़ार में थीं, किसी नये अवतार में ढलने के लिए। एक-दूसरे के हालात का जायज़ा लेते हुए उनके बीच विचार विमर्श चल रहा था।
"इन लोगों को तो बस भाषण देना या राग अलापना आता है, बस!"
"करते वही हैं, जो फ़ैशन में है और जो विज्ञापनों में दिखाया, सिखाया जाता है!"
समूह में से दो क़लमों के संवाद सुनकर तीसरी ने कहा -"देशी तन में हमें विदेशी तकनीक के चोले पहनने पड़ते हैं। नई…
Added by Sheikh Shahzad Usmani on October 27, 2017 at 1:00am — No Comments
Added by Sheikh Shahzad Usmani on October 20, 2017 at 11:00am — 9 Comments
Added by Sheikh Shahzad Usmani on October 19, 2017 at 5:00am — 13 Comments
Added by Sheikh Shahzad Usmani on October 17, 2017 at 12:43pm — 8 Comments
Added by Sheikh Shahzad Usmani on October 13, 2017 at 4:57pm — 13 Comments
Added by Sheikh Shahzad Usmani on October 10, 2017 at 6:38pm — 4 Comments
Added by Sheikh Shahzad Usmani on October 6, 2017 at 4:40pm — 7 Comments
Added by Sheikh Shahzad Usmani on October 3, 2017 at 11:14pm — 10 Comments
Added by Sheikh Shahzad Usmani on October 2, 2017 at 2:42pm — 6 Comments
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