Added by सतविन्द्र कुमार राणा on November 30, 2017 at 11:42pm — 16 Comments
२१२२ १२१२ २२
कोंचती है ये धूल कहता है
किस नफ़ासत से फूल कहता है
मख़मली ये लिबास चुभते हैं
रास्ते का बबूल कहता है
जिन्दगी से निबाह करती हूँ
आइना जब क़ुबूल कहता है
अपने दम पे मक़ाम हासिल कर
मुझसे मेरा उसूल कहता है
चाहो मंजिल तो आबले न गिनो
हर कदम पे रसूल कहता है
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by rajesh kumari on November 21, 2017 at 11:46am — 25 Comments
Added by Balram Dhakar on November 6, 2017 at 6:32pm — 26 Comments
Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on November 5, 2017 at 10:35pm — 6 Comments
Added by Gajendra shrotriya on November 5, 2017 at 7:00pm — 20 Comments
Added by Ram Awadh VIshwakarma on November 3, 2017 at 10:39pm — 14 Comments
Added by Hariom Shrivastava on November 3, 2017 at 3:23pm — 10 Comments
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