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Rahila's Blog – November 2015 Archive (4)

जालिम की दलीलें (लघुकथा )राहिला

"देखो,बच्चे बहुत थक गये है और तुम्हारी हालत भी खस्ता हो रही है । हम खच्चर कर लेते है । ये सुनते ही वो कर्कशा!सुपरिचित वाणी में कूकी-"वाह जी वाह!!फिर कैसी यात्रा?अरे थोड़ा बहुत कष्ट तो होता ही है।फिर मेरी सहेलियां कह रही थीं कि जो पुण्य पैदल वैष्णों देवी जाने में है वो...."उसने अपनी बात को वजनी बनाने में दुनिया की दलीलें दे डाली । मैं उसके स्वभाव से बहुत अच्छी तरह वाकिफ़ था,यात्रा में कोई बदमज़गी ना हो इसलिये हमने उसके आगे हथियार डाल दिये।और चल पड़े । हम खरगोश ना सही,परन्तु वो जरूर कछुये की चाल… Continue

Added by Rahila on November 17, 2015 at 3:36pm — 16 Comments

कोरी शिक्षा (लघु कथा )राहिला

"हां,तो बताओ इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है? "

दादाजी!इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी किसी की चीज देखकर ईर्ष्या नहीं करनी चाहिये।बल्कि हमारे पास जो कुछ भी है उसी में संतोष करना चाहिए । "

"शाबाश बेटा! क्योंकि संतोष ही सुख और सुकून की चाबी है । "

तभी -

"अरे आओ -आओ वर्मा जी!कहिये क्या सेवा कर सकता हूं आपकी? "

"बस दो बिस्कुट के पैकेट और एक चाय पत्ती का डिब्बा दे दीजिये । और ये बाहर गुप्ता जी !की दुकान के आगे नई कार खड़ी है ।उन्होनें !ले ली… Continue

Added by Rahila on November 12, 2015 at 4:24pm — 11 Comments

मुफ़्त का माल -(लघुकथा )राहिला

पिताजी!उस कमजोर बकरी को जल्दी हृष्ठ-पुष्ट देखने की चाह में स्नेहवश बागीचे से अलग-अलग किस्म की पत्तियां लाकर लगभग जबरन खिलाने की कोशिश कर रहे थे।लेकिन वो ढीठ की बच्ची भूख शांत होने के बाद किसी चींज को मुंह तक ना लगा रही थी।ये देख वे खीज गये और बोले:

"अरी खा ले कम्बख्त!इतने किस्म की पत्तियां मुफ़्त में मिल रही हैं और तू भाव खा रही है ।"

"अजी!गुस्सा क्यों होते हो जी ! मुफ़्त माल है!वो क्या जाने?जानवर है जानवर, इंसान नहीं है "मां कनखियों से देख, छेड़ लेकर बोली।

.

मौलिक…

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Added by Rahila on November 9, 2015 at 6:00pm — 18 Comments

जरूरत (लघुकथा)

मॉल से दीवाली की ढेर सारी खरीदारी करके जैसे ही कार से गेट के बाहर निकले,एक गुब्बारे बेचने वाला कम उम्र का लड़का दौड़कर आया और गुब्बारे खरीदने की इल्तिज़ा करने लगा।

"अरे नहीं चाहिये भैया !"

"ले लो ना बीबी जी! "

"हां मम्मा ! ले लो ना मुझे चाहिये "

"अरे नहीं बेटा! क्या करोगे?अभी इतने सारे खिलौनें खरीदे है ना।"

"जाओ भैया!हमें जरूरत नहीं ।"उसने झिड़कने के अंदाज में कहा ।

लड़का थोड़ा हताश हुआ और बोला -

"कुछ चीजें जरूरी तो नहीं जब जरूरत हो तभी खरीदी जाए बीबी…

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Added by Rahila on November 3, 2015 at 12:30pm — 11 Comments

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